ढाका इंडिपेंडेंस कप फाइनल 1998
आपका -विपुल
ढाका इंडिपेंडेंस कप फाइनल 1998
18 जनवरी तारीख थी, ठीकठाक सर्दी का दिन था, कोहरा था और गलन भी
लेकिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को गर्मी लग रही थी ।भारत पाकिस्तान का फाइनल मैच था
बंगलादेश की राजधानी में
ओवर कम हुये 2 ,खराब रोशनी की वजह से।
अज़हर और राशिद लतीफ में टॉस हुआ।अज़हर जीते।
लेकिन अज़हर ने पहले बौलिंग का फैसला लिया।48 ओवर के इस फाइनल मैच में ।राशिद लतीफ खुश थे।बाद में बैटिंग कर के भारतीय टीम ज़्यादा मैच नहीं जीती थी पाक के खिलाफ़।
आज भी 18 साल के शाहिद अफरीदी तब भी 18 के थे, जो ओपनिंग में सईद अनवर के साथ आये।और विस्फोटक 18 रन बनाये 20 गेंदों में।
उन्हें हरविंदर सिंह ने रोबिन सिंह के हाथों कैच कराया।छठे ओवर की चौथी गेंद पर ।स्कोर 30 था पाक का तब।
वन डाउन आये आमिर सोहेल भी 12वें ओवर में 66 स्कोर पर चलते बने।ये विकेट भी हरविंदर ने लिया था।सोहेल ने 14 (17) रन बनाये थे।इसके बाद इजाज अहमद के रूप में क्रीज़ पर तूफान आया।
एक तरफ इजाज अहमद रन कूट रहे थे, दूसरी तरफ सईद अनवर केवल सहला ,थपथपा के गेंदे बाउंड्री पार पहुंचा रहे थे।भारतीय गेंदबाजी की धज्जियां उड़ रही थीं।अनवर और इजाज अहमद मनचाहे शॉट्स खेल रहे थे।दोंनो ने शतक पूरे किए।
296 के स्कोर पर सईद अनवर आउट हुए 140 रन बना के ,132 गेंद में
ओवर 45.4
इन्हें भी हरविंदर सिंह ने आउट किया था।ठीक 6 गेंद बाद इजाज अहमद का विकेट श्रीनाथ ने लिया ।सिद्भू ने कैच पकड़ के इजाज की 112 गेंदो में खेली 117 रन की पारी समाप्त की।पाक का स्कोर 302 था तब।पारी की अंतिम गेंद पर अज़हर महमूद 10 (6) का विकेट सचिन को मिला।
पाकिस्तान का स्कोर 314
श्रीनाथ और हरविंदर ने पूरे 10 ओवर फेंके थे।श्रीनाथ ने 61 रन देकर 1 और हरविंदर ने 74 रन देकर 3 विकेट लिए थे।सचिन ने 7 ओवर में 49 रन देकर 1 विकेट लिए।
रॉबिन सिंह, नए खिलाड़ी ऋषिकेश कानितकर और डेब्यूटेंट स्पिनर राहुल सांघवी ने भी गेंदबाजी की थी ।
पर दादा का स्पेल 2-0-5-0 था।
👌👌👌
भारतीय पारी शुरू हुई ।सचिन सौरव ओपनिंग में आये।
परंपरा प्रतिष्ठा और अनुशासन था कि सचिन को पाकिस्तान के खिलाफ बढ़िया खेलना ही था।सचिन ने कई शतक अर्धशतक बनाये होंगे ,लेकिन ये 41 रनों की पारी शायद सचिन भी अपनी top 10 में रखेंगे।
तब 300 रन चेस करने का मतलब था!
आप मैच जीत नहीं पाएंगे।
7 यादगार चौके और मिडविकेट पर एक झन्नाटेदार छक्का।
मात्र 26 गेंदों में सचिन ने पाकिस्तान को बता दिया था,
अब यलगार होगा।
नौंवे ओवर की दूसरी गेंद पर सचिन आउट हुये ।अफरीदी की गेंद पर महमूद ने कैच लिया।स्कोर बोर्ड पर 71 रन थे
सौरव कुछ निराश थे, सचिन थोड़ा पलटे, पता नहीं क्या बात हुई ।
वन डाउन पर शायद सिद्भू आएंगे या अज़हर !ऐसा पाकिस्तान की सोच थी।भारतीय खेमे की सोच कुछ अलग थी।पता नहीं किसका आइडिया था ,लेफ्टि रॉबिन सिंह जो फिनिशर थे ,उन्हें लेफ्टि गांगुली का साथ देने भेजने का। क्रिकेट पंडित के लिये ये बेवकूफी भरा फैसला था।
लेकिन मैच कंप्यूटर से नहीं जीते जाते।
महत्वपूर्ण मैचों के फैसले ऐसे ही महत्वपूर्ण फैसलों से होते हैं ।
तो पाकिस्तान टीम थोड़ा भौंचक होने के बाद तैयार हुई ,रोबिन सिंह की पिंच हिटिंग देखने को।
रॉबिन सिंह भी तैयार हुये
पहली बॉल ,दूसरी, तीसरी
रॉबिन सिंह हिटिंग नहीं कर रहे थे
प्रॉपर बल्लेबाज की तरह खेल रहे थे।
ये ब्लफ था ।
रॉबिन सिंह सधी हुई पारी खेल रहे थे।गांगुली हिटिंग कर रहे थे।
ये साझेदारी भारतीय एकदिवसीय क्रिकेट की टॉप 10 महत्वपूर्ण साझेदारियों में रख सकते हैं।ठीक 250 रनों पर रॉबिन सिंह को मुहम्मद हुसैन ने आकिब जावेद के हाथों कैच आउट करवाया
रॉबिन ने 83 गेंदों पर 82 रन बनाए
4 चौके 2 छक्के
53 गेंदे बची थीं,65 रन बनाने थे।
268 के स्कोर पर अज़हर 4(11) आउट हुए ।
41.2 ओवर में
42.4 ओवर में 274 स्कोर पर सौरव आउट हुये।आकिब जावेद ने बोल्ड किया।
गांगुली ने 138 गेंदों पर 124 रन बनाए थे ।
ये पारी मैं गांगुली की सर्वश्रेष्ठ वनडे पारी मानता हूँ
समय भांप कभी धीमे ,कभी तेज़ खेले ।
नवजोत सिद्भू और अजय जडेजा के रूप में दो पुराने भारतीय वनडे ओपनर एक साथ क्रीज़ पर मौजूद थे।
आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहे सिद्भू को सकलैन मुश्ताक ने बोल्ड किया 43.2 ओवर में ।सिद्भू ने 4 गेंदे खेली थीं,1 चौका मारा था।5 रन बनाए थे।
स्कोर था 281
35 रन बनाने थे ,
28 गेंदों में।
अजय जडेजा का साथ देने हृषिकेश कानितकर आये जो शायद अपना दूसरा मैच खेल रहे थे।
अब स्थिति वाकई गम्भीर थी ,जो 296 के स्कोर पर जडेजा को सकलैन के बोल्ड मारने के बाद लगभग आउट ऑफ कंट्रोल थी।
जडेजा ने 9 गेंदों में 8 रन बनाये थे।
भारत का स्कोर 45.4 ओवर में 296/6
19 रन
14 गेंद
तनाव ।
47 वें ओवर की अंतिम गेंद पर नयन मोंगिया 9 रन (6 गेंद)के रन आउट होते ही भारतीय खेमे में तनाव चरम पर था।स्कोर 306
6 गेंद में 9 रन बनाने थे जीत के लिये।
श्रीनाथ,कानितकर क्रीज़ पर।
श्रीनाथ की डेथ ओवर में बैटिंग पर 1998 में उतना ही भरोसा होता था ,जितना 2022 में उनादकट की बौलिंग पर ।
96 विश्वकप के ऑस्ट्रेलिया वेस्टइंडीज सेमीफाइनल थ्रिलर के बाद और 99 विश्वकप के ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका सेमीफाइनल मैच के पहले ये इकलौता ऐसा टेन्स मैच था ,जिसने भरी सर्दी में पसीने ला दिए थे।
दिल के मरीजों को tv के सामने से हटने की सलाह आने लगी थी।
अंतिम ओवर सकलैन मुश्ताक की ज़िम्मेदारी थी।
पहली गेंद पर सिंगल,
दूसरी गेंद पर श्रीनाथ ने दो रन लिए थे ।
तीसरी पर श्रीनाथ का अनअलटप्पू शॉट हवा में गया ।
भारतीय खेमे ने माथा पकड़ लिया।
अब हार गए।
पर कैच छूटा,
2 रन मिले।
चौथी गेंद पर श्रीनाथ का ऑफ साइड पर सिंगल ।
कानितकर को स्ट्राइक।
3 रन
2 गेंदे
तनाव
इसी ओवर की पांचवीं गेंद पर हृषिकेश कानितकर ने वो शॉट खेला, 4 रन के लिये ।
जिसने न केवल भारत को ये फाइनल मैच और इंडिपेंडेंस कप 1998 की ट्रोफी जितवाई।
बल्कि हृषिकेश कानितकर को कई अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच और शायद 1 टेस्ट मैच खिलवा दिए।
भारत 3 विकेट से मैच जीता।
सौरव मैन ऑफ द मैच।
सौरव भले मैन ऑफ द मैच रहे हों, असली हीरो हृषिकेश कानितकर ही माने गए।
बहुत फैन फॉलोइंग बढ़ी उनकी।
रॉबिन सिंह ने साबित किया था कि वो टीम के लिये कितने महत्वपूर्ण हैं।
दादा और सचिन की ओपनिंग जोड़ी ने फिर छाप छोड़ी थी।
ये मैच भारतीय क्रिकेट इतिहास का एक चमकता हुआ पन्ना है
🙏
विपुल
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