लाश की कहानी
लाश की कहानीद्वारा - विजयंत खत्री विजय पूरा दिन ड्यूटी करके आ कर, खाना खा कर, नहा कर बस सोने की तैयारी ही कर रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठा कर देखा तो थाने के हेड मोहर्रिर का फोन था। विजय का माथा ठनक गया। ये आज…
लाश की कहानीद्वारा - विजयंत खत्री विजय पूरा दिन ड्यूटी करके आ कर, खाना खा कर, नहा कर बस सोने की तैयारी ही कर रहा था कि फोन की घंटी बजी। फोन उठा कर देखा तो थाने के हेड मोहर्रिर का फोन था। विजय का माथा ठनक गया। ये आज…
लघुकथा -विजयंत खत्री खेतों की हरी-भरी शांति में, जहाँ हवा सरसराती हुई फसलों के बीच से गुजर रही थी, बसंत अपनी चारपाई पर बैठा था। उसका चेहरा ढलते सूरज की रोशनी में चमक रहा था, लेकिन उसकी आँखों में एक अंधेरा था जो खेतों की हरियाली से मेल नहीं खाता…
ब्रा ब्रा साहबलघुकथा प्रस्तुति -विपुलकहानी चुरू से शुरू हुई जहां मैं गणित का युवा लेक्चरर विपुल अपने कॉलेज के प्रिंसिपल रमाकांत जी के लिये नोएडा से असली बासमती चावल लेने पहुंचा था।बस में एक युवा सा दिखता वृद्ध व्यक्ति अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था और" वाह राहुल" बोल…
आज का दिन खराब है (थ्रिलर कहानी)विपुल मिश्राआईआईटी की स्टेट बैंक की ए टी एम से 10 हजार रुपए लेकर बाहर निकला ही था और अपनी बाइक की ओर जाने की बजाय उसके विपरीत बनी कॉफी की दुकान की तरफ जाने की इच्छा जागृत हो गई।अचानक से काफी पीने की…