अश्विन विशेष हैं।
प्रस्तुति -विपुल मिश्रा
अश्विन ने संन्यास ले लिया।
बीच सीरीज ही संन्यास ले लिया ऑस्ट्रेलिया में।
एक टेस्ट खिलाड़ी के तौर पर भारत के ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन कितने बड़े खिलाड़ी थे,ये आंकड़े भी बता देते हैं और ये भी कि इस साल न्यूजीलैंड से घरेलू सीरीज हारने के पहले पिछले 12 सालों से भारतीय टीम घर में सारी सीरीज जीती थी।
पहले तो बात अश्विन के आंकड़ों की ही कर लें।
अश्विन ने 106 टेस्ट मैचों में 24 के गेंदबाजी औसत और 50.7 के स्ट्राइक रेट से 537 विकेट लिये हैं।
37 बार पारी में 5 विकेट और 8 बार मैच में 10 विकेट।
इसके अलावा 25.75 के औसत से 3503 रन।6 शतक,14 अर्धशतक।
अश्विन का एकदिवसीय पदार्पण टेस्ट से पहले हुआ था और पहले ही एकदिवसीय में अश्विन ने दिखा दिया था कि हालांकि वो एक ऑफ स्पिनर के तौर पर ही टीम में हैं पर उनकी बल्लेबाजी भी कमजोर नहीं है।
5 जून 2010 को श्रीलंका के खिलाफ हरारे में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय में अश्विन ने नंबर 8 पर आकर 32 गेंदों में 38 रन बनाये थे और 10ओवरों के अपने कोटे में 50 रन देकर 2 विकेट लिये थे
अपना अंतिम एकदिवसीय मैच अश्विन 2023 के विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले और 10 ओवरों में 34 रन देकर 1 विकेट लिया था।
अपने 116 एकदिवसीय मैचों के कैरियर में अश्विन ने 33.20 के औसत और 4.93 की इकोनॉमी से 156 विकेट लिये। सर्वश्रेष्ठ 4/25 था।
साथ ही 16.44 के बल्लेबाजी औसत से 707 रन बनाये।1 ही अर्धशतक रहा।
अश्विन का पहला अंतर्राष्ट्रीय टी 20 मैच 12 जून 2010 को हरारे में जिम्बावे के खिलाफ था जिसमें अश्विन ने 4 ओवरों में 22 रन देकर 1 विकेट लिया और अश्विन का अंतिम अंतर्राष्ट्रीय टी 20 मैच 10 नवंबर 2022 को एडिलेड में इंग्लैंड के खिलाफ टी 20 विश्वकप सेमीफाइनल था जिसमें भारत 10 विकेट से हारा था और अश्विन के आंकड़े 2 ओवरों में 27 रन देने के थे।
अश्विन ने 65 अंतर्राष्ट्रीय टी 20 मैचों में 23.22 के औसत और 6.90 की इकोनॉमी से 72 विकेट लिये हैं।सर्वश्रेष्ठ 4/8।
वहीं 19 अंतर्राष्ट्रीय टी 20 पारियों में 26.28 के औसत से 184 रन बनाये हैं।सर्वश्रेष्ठ 31 नाबाद।
मतलब कुल जमा 287 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अश्विन के 25.80 के औसत और 45.75 के स्ट्राइक रेट से 765 विकेट हैं जो भारत के लिये दूसरे नंबर पर हैं और विश्व क्रिकेट में ग्यारहवें नंबर पर।
साथ ही अश्विन के इतने ही अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 23.62 के औसत से 4394 रन हैं।
765 विकेट और 4394 रन!
मतलब ये एक विशेष ही खिलाड़ी था।आंकड़ों के अनुसार।
पर अब बात आंकड़ों के अलावा भी कर लेते हैं।
बहुत गिने चुने भारतीय क्रिकेटर ही टीम का हिस्सा बने रहते हुये ड्रेसिंग रूम में साथियों के सामने रिटायर हुये हैं।अंतिम ऐसे खिलाड़ी धोनी थे आज से दस साल पहले।पर धोनी ने भी केवल टेस्ट से ही संन्यास लिया था। सीमित ओवर का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते रहे थे।अश्विन ने सभी तरह के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है।अश्विन के संन्यास को देख कर 37 साल पहले सुनील गावस्कर का संन्यास याद आता है जब उन्होंने कहा था कि – “संन्यास तब लेना चाहिये,जब सभी पूंछें अभी क्यों?तब नहीं जब सभी पूंछने लग जायें कि अब भी क्यों नहीं?”
वैसे भारतीय टीम की वर्तमान परिस्थितियों को देखें तो अश्विन के संन्यास लेने की वजहें साफ दिख रही हैं।भारतीय टीम पिछले 12 सालों से घर में अजेय थी और उसमें अश्विन के हरफनमौला कौशल का बड़ा योगदान था।जब टॉम लैथम की न्यूजीलैंड की टेस्ट टीम भारत को भारत में 3-0 से हरा कर चली गई तब शायद अश्विन और जडेजा ही वो खिलाड़ी रहे होंगे जिन्हें सबसे ज्यादा खराब लगा होगा।जडेजा ने तो बोल दिया था ये,पर अश्विन नहीं बोले थे। खराब तो लगा ही होगा।इस न्यूजीलैंड सीरीज से ठीक पहले बांग्लादेश की टेस्ट सीरीज हुई थी जिसके पहले ही चेन्नई टेस्ट की पहली पारी में अश्विन के शतक और जडेजा के अर्धशतक की बदौलत ही टीम इंडिया ने मैच जीता था।अगले टेस्ट में भी दोनों का ठीक ठाक प्रदर्शन था।इस बांग्लादेश की सीरीज के मैंन ऑफ द सीरीज रविचंद्रन अश्विन ही रहे थे।
ये अश्विन का 11वां मैन ऑफ द सीरीज खिताब था टेस्ट मैचों का और ये टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक है।10 बार मैन ऑफ द मैच भी रहे हैं अश्विन टेस्ट मैचों में।
पर न्यूजीलैंड से घरेलू टेस्ट सीरीज में पिछले कई सालों में पहली बार अश्विन का प्रदर्शन गेंद और बल्ले दोनों से ही कुछ खास अच्छा रहा नहीं।वॉशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा ने दूसरे और तीसरे टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन जरूर किया पर रविचंद्रन अश्विन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे और भारत 92 सालों में पहली बार न्यूजीलैंड से टेस्ट सीरीज हार गया।हारा ही नहीं बुरी तरह से हारा,सूपड़ा साफ हो गया।
इस अप्रत्याशित हार के बाद भारतीय खिलाड़ियों पर उंगलियां उठनी ही थीं और पिछले 5 सालों से केवल अपने नाम और रुतबे के बल पर बिना किसी खास प्रदर्शन के टेस्ट टीम में बरकरार विराट कोहली,औसत से कमतर टेस्ट कप्तानी करते दिखते रोहित जिनका इस न्यूजीलैंड सीरीज में हद से ज्यादा निराशाजनक प्रदर्शन था के साथ रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा पर भी उंगलियां उठाई गईं।
हालांकि ये हास्यास्पद था।विराट कोहली और रोहित शर्मा की पी आर टीम इतनी ज्यादा मजबूत है और दोनों के इतने तगड़े कनेक्शन हैं कि इस हार की जिम्मेदारी पूरी तरह से कोहली और रोहित के ही हमउम्र अश्विन और जडेजा पर डाल देने का प्रयास शुरू हुआ जो अश्विन के संन्यास के साथ सफल भी हो गया।
जो भी भारतीय टेस्ट क्रिकेट को गंभीरता से देखता आया है,वो ये जानता है कि पिछले कई सालों से भारतीय टेस्ट बल्लेबाजी की नाक निम्न मध्यम क्रम में आने वाले अश्विन जडेजा अक्षर सुंदर शार्दूल जैसे गेंदबाजी हरफनमौला ही बचाते आये हैं या ऋषभ पंत और ध्रुव जुरेल जैसे विकेटकीपर।
मात्र एक टेस्ट सीरीज खराब जाने का नतीजा अश्विन को भुगतना ही था।
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के पहले मैच में अश्विन की जगह सुंदर को मौका मिला था और दूसरे में अश्विन को।
यहां भी अश्विन ने पहली पारी में 22 रनों की पारी खेल कर दिखाई थी जो भारतीय पारी का चौथा सबसे बड़ा स्कोर था। गेंदबाजी खराब नहीं की थी पर बहुत अच्छी भी नहीं।वैसे भी ऑस्ट्रेलिया की धरती पर पिंक बॉल टेस्ट में स्पिनर्स के लिये ज्यादा कुछ रहता भी नहीं। ऊपर से ट्रेविस हेड भी अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे।रविचंद्रन अश्विन का अंतिम अंतर्राष्ट्रीय स्पेल 18-4-53-1 का था।मिशेल मार्श को पंत के हाथों कैच करवाया था।
ब्रिसबेन टेस्ट में रवींद्र जडेजा को मौका मिला और जडेजा ने अच्छी बल्लेबाजी करके भारत को फॉलोऑन बचाने में मदद की ।भारत ये मैच बारिश की वजह से ड्रॉ करवाने में सफल हो गया जबकि अश्विन एडिलेड टेस्ट में खेले थे, वो भारत हार गया था।
सीरीज 1-1 से बराबर हो चुकी थी, मेलबर्न और सिडनी के दो टेस्ट बाकी थे जहां दो स्पिनर्स भारत खिलाता आया है और फिर भी अश्विन ने संन्यास ले लिया तो उसकी वजह साफ दिख रही थी।
अश्विन के अंतिम 11 में होने की गारंटी केवल भारतीय पिचों पर होने वाले टेस्ट मैचों में होती है और भारत को अपनी जमीन पर अगली टेस्ट सीरीज अक्टूबर नवंबर 2025 में ही मिलने वाली थी।सुंदर और जडेजा के हालिया अच्छे प्रर्दशन को देखते हुये अश्विन की मेलबर्न और सिडनी में अंतिम 11 में होने की गारंटी नहीं थी।भारत को इसके बाद इंग्लैंड में खेलना था जहां पिछली बार ही अश्विन को पांच में से एक भी टेस्ट नहीं खिलाया गया था और इस बार भी कोई गारंटी नहीं थी।
अश्विन ने उचित यही समझा होगा कि अब संन्यास ले ही लिया जाये क्योंकि अगर अगले साल घरेलू टेस्ट सीरीज में भी अश्विन को बिठाकर अक्षर कुलदीप जडेजा और सुंदर को खिलाया जाता तो ये अश्विन के लिये अपमानजनक हो जाता।और अगर आपको लगता है कि ऐसा नहीं हो सकता तो आप गौतम गंभीर को जानते नहीं।
अश्विन के पिता ने कल जो बयान दिया कि उसको लगातार नीचा दिखाया जा रहा था और उसे कम से कम एक फेयरवेल मैच तो देना था,ये सारी सच्चाई बता ही देता है।हालांकि अश्विन ने कहा कि उनके पिता मीडिया ट्रेंड नहीं हैं,पर पिता ने सच्चाई ही बोली।
अश्विन हरभजन की जगह पर टीम में आये थे और आपको हरभजन और अश्विन में अंतर बता दें।हरभजन का टेस्ट कैरियर गेंदबाजी औसत 32 का है जबकि अश्विन का 24 का।
हरभजन का ऑस्ट्रेलिया में 73, इंग्लैंड में 49, दक्षिण अफ्रीका में 34, न्यूजीलैंड में 24 ,श्रीलंका में 49 और भारत में 28 औसत है।
वहीं अश्विन का ऑस्ट्रेलिया में 42 , इंग्लैंड में 28 , दक्षिण अफ्रीका में 49 , न्यूजीलैंड में 33, श्रीलंका में 21, भारत में 21 का टेस्ट गेंदबाजी औसत है।
मतलब अश्विन टेस्ट मैचों में विदेशों में इतने बुरे भी नहीं थे जितना हल्ला मचता था और भारत में तो कुंबले के बराबर मैच विनर थे।
अश्विन कितने बड़े खिलाड़ी रहे,इसको दो तीन और चीजों से बताना चाहूंगा।
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में मात्र 11 खिलाड़ी ही हैं जिनके नाम 300 टेस्ट विकेट और 3000 टेस्ट रन का डबल है।
कपिल, बॉथम, इमरान, हेडली, पोलॉक, विटोरी, वास, ब्रॉड, वार्न, अश्विन, जडेजा।
इन 11 खिलाड़ियों में से अश्विन एक हैं।
वहीं इन 11 खिलाड़ियों में से मात्र 7 खिलाड़ी ऐसे हैं जिनका गेंदबाजी औसत उनके बल्लेबाजी औसत से कम है और इस वजह से उन्हें गेंदबाजी हरफनमौला माना जा सकता है।ये सात खिलाड़ी हैं-
कपिल, बॉथम, इमरान, हेडली, पोलॉक, अश्विन, जडेजा।
अब इन 7 हरफनमौला खिलाड़ियों में से मात्र 2 स्पिनर हैं अश्विन और रवींद्र जडेजा।
और इन दो भारतीय स्पिन ऑलराउंडर्स में भी सबसे पहले ये उपलब्धि रविचंद्रन अश्विन ने प्राप्त की थी।
अश्विन विशेष हैं।
और अश्विन की विशेषता मात्र यहीं खत्म नहीं होती।अश्विन का टेस्ट गेंदबाजी स्ट्राइक रेट 50.7 है।स्ट्राइक रेट का मतलब कि गेंदबाज कितनी गेंदों बाद विकेट लेता है।50.7 स्ट्राइक रेट का मतलब हुआ कि अश्विन अपनी फेंकी हर 51वीं गेंद से पहले एक विकेट लेते हैं।
एक स्पिनर के लिये ये 50.7 का स्ट्राइक रेट कितना बड़ा आंकड़ा है, ये इससे समझें कि 100 या ज्यादा विकेट लेने वाले मात्र 2 स्पिनर का ही स्ट्राइक रेट अश्विन से अच्छा है।
इंग्लैंड के जॉनी ब्रिग्स
118 विकेट स्ट्राइक रेट 45.7
स्लो लेफ्ट आर्म आर्थोडॉक्स गेंदबाजी करते थे।
1902 में स्वर्गवासी हो चुके।
इंग्लैंड के कोलिन ब्लीथ
100 विकेट 45.4 स्ट्राइक रेट।
1917 में देहांत हो चुका।
मतलब पिछले 100 सालों में ऐसा कोई दूसरा बड़ा स्पिनर नहीं जिसका गेंदबाजी स्ट्राइक रेट अश्विन से अच्छा रहा हो।
फिर से कहूंगा,अश्विन विशेष हैं।
अश्विन के नाम टेस्ट मैचों में पारी के 5 विकेट के आंकड़े 37 हैं हैं मुरली से कम हैं और वॉर्न के बराबर हैं।
अश्विन के नाम टेस्ट मैचों में मैच में 10 विकेट के आंकड़े 8 हैं जो केवल मुरली वार्न हेडली और हैराथ से कम हैं।
अश्विन का टेस्ट गेंदबाजी स्ट्राइक रेट हेडली,इमरान खान मैकग्राथ, लिली, होल्डिंग, गार्नर , मिशेल जॉनसन, ब्रेट ली से अच्छा है।
अश्विन का टेस्ट गेंदबाजी औसत वाल्श और जेम्स एंडरसन से अच्छा है।
अश्विन भारत के मात्र 3 और विश्व के मात्र 7 ऐसे खिलाड़ियों में से एक हैं जिनके 300 से ज्यादा टेस्ट विकेट और 3000 से ज्यादा टेस्ट रन उच्च बल्लेबाजी औसत और निम्न गेंदबाजी औसत के साथ हैं।
अश्विन के नाम टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द सीरीज के खिताब हैं।
और अंत में!अश्विन भारत के उन उंगलियों पर गिने जा सकने वाले खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने टीम में चयन होते हुये ड्रेसिंग रूम से सन्यास लिया। सिडनी टेस्ट 2021 और 2022 टी 20 विश्वकप की अश्विन की बल्लेबाज़ी 👍
अश्विन विशेष हैं।
प्रस्तुति – विपुल मिश्रा
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