अज्ञात हमलावर
शिवम कुमार पाण्डेय।
कौन है जो लोगों को ठोंक रहा है शत्रु देश में घुसकर शत्रुओ को..? “अज्ञात हमलावर” खबरों में है,चर्चे में है,अखबार की सुर्खियों में बना हुआ है। चुन चुन के ठोंके जा रहे है सब अपने ही घर में । किसी को जहर देकर मार दिया जा रहा है तो किसी का ऑन द स्पॉट गोली मारकर काम तमाम हो रहा है।
किसी को चलती गाड़ी से भेड़ बकरियों की तरह उठा लिया जा रहा है और बाद में 72 हूरो के पास पहुंचा दिया जा रहा है। इसमें कोई शक नही है कि जितने भी आतंकवादी एनआईए की हिट लिस्ट में हैं, धीरे धीरे सब मारे जा रहे हैं। सबके मारे जाने की स्थिति एक सी है।
सवाल तो बहुत से उठते हैं साहब कि क्या ये काम भारतीय खुफिया एजेंसियों का है? क्या ये रॉ की साजिश है? मैं कहता हूं कि अगर ये सब रॉ की साजिश है तो एक्सपोज करके दिखाये पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना।
कहां गई इनकी दुनिया की टॉप की खुफिया एजेंसी आईएसआई जो इनके सामने से इनके आकाओं को ठोककर चले जा रहे हैं ये “अज्ञात हमलावर”?
बाकी हवा तो बनती ही रहेगी कि ये सब रॉ की साजिश है।क्योंकि मारे जाने वाले सारे व्यक्ति भारत में हुये आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और साजिशकर्ता रहे हैं।पाकिस्तान में तो जनाब बच्चा भी रोने लग जाये तो सब कहते हैं की ” रॉ की साजिश है ” ये तो हालात हैं इस मुल्क के।
बात करते है न्यूक्लियर पॉवर होने की।
पीछे से कोई अज्ञात घात करके चला जा रहा है।इन्हे कानों कान खबर ही नही लग रही है।
जिसे लग रही है उसके सीधे माथे में ही लग रही है गोली…!
अब गंभीर बात!
मेरे ख्याल से ये भी हो सकता है कि अज्ञात हमलावर दो चार को ठोके होंगे उसका फायदा लेकर पाकिस्तानी फौज सबको टपकाने में लगी हुई है।
कि “मारो इन ज़ाहिलों को।”
अब इनका कोई काम नहीं रह गया है।ये पड़े पड़े राशन उठा रहे हैं और पाकिस्तान के गले की फांस बने हुए हैं।
वैसे भी काम निकलने के बाद ये कच्छे और मोजे बेचने वाली पाकिस्तानी फौज किसी को भी नहीं पहचानती , ये इतिहास रहा है।
पाकिस्तान में इतनी अंधेरगर्दी मची हुई है कि पाकिस्तान के राजनेता ही अब अपने देश की फौज को भर भर के गालियां देते हैं।
सुनने में तो ये भी आता है कि आईएसआई वाले कार से निकलते थे। दिन दहाड़े उनको उठा लेते थे जो इनके खिलाफ किसी भी प्रकार की आवाज उठाए या जिस किसी भी व्यक्ति से बगावत की बू आ रही हो उन्हें। ये भी मानना गलत नहीं होगा कि अब तक जितने भी आतंकवादी ठोंके गये हैं उन्हें आईएसआई या पाकिस्तान की फौज के लोग ही ठोंके हों और सेहरा “अज्ञात हमलावर” के नाम पर सजा दिया गया।
कहानी बेहद साफ सुथरी है कि पाकिस्तान आर्थिक तंगी और प्रतिबंधों से जूझ रहा है और पाकिस्तान को पैसों की बहुत जरूरत है। पर पाकिस्तान को कहीं से ज्यादा कुछ मिलते हुये नजर भी नहीं आ रहा
ऐसे में कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हें आर्थिक प्रतिबंधों और आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए..!
हां,कुछ लोगों का यह भी मानना हैं की FATF का दबाव हो सकता है। पाकिस्तान ने FATF को भरोसा दिया था कि वह अपनी जमीन पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।इतना ही नही जो मारे गए, उन्हें न तो पाकिस्तान सरकार ने, न ही मीडिया ने आतंकवादी के रूप में पहचाना है।
अब जो भी हो किसी के मानने या न मानने से क्या ही फर्क पड़ता है?
रही बात भारतीय खुफिया विभाग की तो वो इन सबसे दस कदम आगे चल रहा है।
हो सकता है इनके यहां कुछ अधिकारी हों, जिनका विवाद चल रहा हो वहां की हुकूमत से।
जिनका भरपूर इस्तेमाल हमारा खुफिया विभाग कर रहा हो।
मन में तरह तरह के सवाल उठना लाज़मी हैं। इतने रहस्यमयी ढंग से कौन आतंकवादियों को ठोक सकता है किसी को वो? भी उनके गढ़ में घुसकर! ना कोई चेहरा ,ना कोई रूप क्या फर्क पड़ता है उसे छांव हो या धूप ,दिन हो या रात, अपना काम करके निकल जाता है “अज्ञात”…!
शिवम कुमार पाण्डेय।
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