आपका -विपुल
बहुत दिनों से इस बारे में बात नहीं की।कल किसी आईपीएस ने आत्महत्या कर ली और फिर वही विषय याद आया।
मेरी पहली पहचान ही ऐसे विषयों पर बात करने से बनी थी और कई युवक मात्र इसी टॉपिक की वजह से जुड़े थे।
केवल उनके लिये लिख रहा हूं। सबको पढ़ने की क्या जरूरत।
तो बात शुरू करें?
आप बहरे हो,लंगड़े हो,लूले हो ,काले हो बदसूरत या अजीब।
आप वैसे ही हो जैसा भगवान ने आपको बना के भेजा और वो इससे संतुष्ट है, तो आपको भी संतुष्ट होना चाहिये।
आपको अगर जीवन मिला है,भगवान ने दिया है तो ये आपकी ही जिम्मेदारी है कि जीवन जियो।
मैंने शारीरिक अक्षमता की वजह से खुद अपनी जान देते ज्यादा लोग नहीं देखे।
आर्थिक असफलताओं और प्रेम संबंधों या पारिवारिक कलह की वजह से आत्महत्या का आंकड़ा शायद ज्यादा होता है।मैं विशेषज्ञ नहीं हूं।ये आंकड़ा गलत भी हो सकता है पर मुझे ऐसा लगता है क्योंकि मैंने ऐसे ही केस ज्यादा देखे हैं।
तो इन दोनों में से किसी वजह से कभी किसी को आत्महत्या का ख्याल आये तो उसे थोड़ा ठहर कर खुद से एक सवाल पूछना चाहिये।
उसके जाने से दुनिया को क्या फ़र्क पड़ेगा?
दुनिया उतनी ही कमीनी रहेगी जितना तुम्हारे जिंदा होने पर थी और जब तुम जिंदा नहीं रहोगे, दुनिया तब भी उतनी ही कमीनी रहेगी।
पैसा जरूरी है और बहुत जरूरी है।
परोपकार से ज्यादा जरूरी है।
तुम खुद के लिये किसी और से ज्यादा जरूरी हो।
हो सकता है तुमने पैसा कमाया हो, पर बचा न पाये हो। कई वजहें हो सकती हैं।
थोड़ा शांत रह कर उन वजहों की तलाश करो।
फिजूलखर्ची, जुएं या सट्टे की आदतें,अल्कोहल,अगर इन वजहों से पैसे की कमी पड़ी तो थोड़ा आदतें सुधारो।घर की जरूरतों के लिये लोन लिया है, किश्तें नहीं भर पा रहे हो तो प्रॉपर्टी बेच दो या किश्तों वाली कार को लोन एजेंटों को ले जाने दो।
नंबर 1 और नंबर दो के पैसे वसूलने वाले लोग ब्लैकमेल तो करते हैं,बेइज्जत भी करते हैं।लेकिन किसी की जान लेने की मंशा नहीं होती कभी।
और अपनी इज्ज़त की तुम्हें इतनी ही परवाह होती तो ऐसे पैसे न तो तुम लोन लेते,न हारते।
तो अब तुम्हारी इज्ज़त इतनी कैसे बढ़ गई कि लटकने की सोचने लगे?
जिन्दगी जीने के लिये बेशर्मी एक बड़ी चीज है।
आगे बढ़ने के लिये भी।
बात मजाक लगेगी लेकिन जरा गौर करो।
एक बड़ा जमीनी नेता पुलिस हेडक्वार्टर में एक एसएसपी से कहता है कि तुम्हें देख लूंगा।
उसमें इतनी हिम्मत इसलिए आती है क्योंकि वो पहले थाने में, चौराहे पर पुलिस वालों से उलझ चुका होता है।लाठी डंडे गाली सब खा चुका होता है और उसे पता है,इससे ज्यादा क्या करेंगे ये लोग?
यही चीज ध्यान रखो।
जान बड़ी चीज है लेकिन पैसे नहीं चुकाती।
इंश्योरेंस कंपनी के चक्कर लगा के देख आना कभी।
ज्यादा नहीं बोलूंगा।खुद की जान की कद्र करो।
दूसरा प्रेम संबंध या पारिवारिक कलह।
मैं बहुत बुरी तरह से ये मानता हूं कि बिना यौन संबंधों के कोई प्यार होता ही नहीं।
युवावस्था में विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण प्रकृति का नियम है।रूहानी प्रेम,प्लेटोनिक लव और इश्क सूफियाना केवल किताबी बातें हैं।
अंत में ये रूहानी प्रेम क्या केवल अगरबत्ती लगाने के लिये होता है?
परिवार बनाना और चलाना प्रेम से बड़ी चीज होती है।
प्रेम,बेइज्जती और पारिवारिक कलह के कारण आत्महत्या करने की सोचने वालों !
मेरी बात जरा गौर से सुनना।
घरेलू कलह के कारण राजपाट छोड़ जंगल में भटकते राम की पत्नी को तत्कालीन समय का सबसे शक्तिशाली शासक जबरन हरण कर के ले गया था।
बेइज्जती भी थी और दर्द भी।
राम ने क्या किया?
आत्महत्या?
नहीं!
राम ने लोगों को बताया,लोगों का साथ लिया।अपनी लड़ने की क्षमता दिखाई और लंका की शक्ति को,रावण के गर्व को चकनाचूर करके अपनी पत्नी सीता को ससम्मान वापस लाये।
माना भगवान थे,पर सीख तो ले ही सकते हो उनसे।
उठो लड़ो
और जी भर के जियो।
आत्महत्या कभी विकल्प नहीं होती।
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आपका -विपुल
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सच में आप बहुत अच्छे इंसान है; जो कोई भी इस तरह के दिक्कत का सामना कर रहा हो..उसे बार बार इस पोस्ट को पढ़ना चाहिए.. salute you social reformer 👍🏻💪🏻🤘🏻🙏🏻
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