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निश्चल त्यागी

वो लीग जिसने जन्म दिया IPL को

सन 2007 का वर्ल्ड कप वेस्ट इंडीज में था। मज़बूत भारतीय टीम वर्ल्ड कप जीतने की बड़ी दावेदार थी। द्रविड़, तेंदुलकर, गांगुली, सहवाग, युवराज, उथप्पा, धोनी, हरभजन, कुंबले, पठान, ज़हीर, अगरकर, मुनाफ और श्रीशांत। ऐसे प्लेयर्स जिनका नाम सुन कई टीम हथियार डाल दे। खैर वर्ल्ड कप के पहले ही राउंड में पहले बांग्लादेश फिर श्रीलंका से हार भारत बाहर हो गया। करोड़ो फैंस के दिल टूट गए।

मीडिया से लेकर गांव, शहर, गलियों, सड़कों तक पूरी भारतीय टीम और BCCI की ज़बरदस्त आलोचना हुई और वही हुआ जो हमेशा होता है, लोगो ने कहा इन प्लेयर्स को हटा कर नयी टीम बनाओ, बूढ़े प्लेयर्स को बाहर करो, 100 करोड़ की आबादी में क्या बस यही प्लेयर्स हैं ? और न जाने क्या क्या।
क्रिकेट फैंस में बड़ी हताशा थी तो वहीं टीवी,प्रिंट मिडिया में लगातार चर्चा थी कि देश के क्रिकेट का क्या भविष्य है ?, कैसे नए खिलाडी देश के लिए बनाये जायें।
ऐसे में ज़ी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइज़स ने एक बड़ा दावं खेल दिया।

वर्ल्ड कप खत्म होने के चंद दिनों बाद ही उन्होंने अपनी इंडियन क्रिकेट लीग (ICL) शुरू करने की घोषणा कर दी, कहा कि अब हम देश दुनिया के लिए बेहतर क्रिकटरों का निर्माण करेंगे।
इंडियन क्रिकेट लीग एक निजी क्रिकेट लीग थी जो 2007 से 2009 तक संचालित हुई। इसका स्वरुप कैरी पैकर की 1977 की वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज जैसा था, जिसमे कई अंतराष्ट्रीय खिलाडी एक साथ अलग अलग टीम में खेलते थे। इस लीग को 9 घरेलू, जिनका नाम देश के 7 और पाकिस्तान, बांग्लादेश के 1 -1 शहरों के नाम पर रखा गया और 4 इंटरनेशनल टीमों में बाटा गया और प्रत्येक घरेलु टीम को किसी पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के द्वारा कोच किया गया। देश विदेश के प्लेयर्स को बेहतर फ़ीस पर लीग में खेलने के लिए बुलाया गया और इसमें चार अंतरराष्ट्रीय, दो भारतीय और आठ घरेलू खिलाड़ियों से मिलकर हर टीम का निर्माण किया गया। सभी टीमों को मेंटर, फ़िज़ियो और मनोवैज्ञानिक भी दिया गया।

वहीँ इंटरनेशनल टीम में उस देश के घरेलू और इंटरनेशनल मैच खेलने वाले खिलाडियों का होना तय किया गया। आयोजनकर्ताओं ने देशभर में क्रिकेट अकादमियां स्थापित करने की भी योजना भी बनाई । BCCI को यह आश्वासन दिया गया कि वह ICL से निकली प्रतिभा का उपयोग करने में स्वतंत्र है।


शुरू में BCCI का रुख कोई खास नहीं रहा। जिसे देख बड़ी संख्या में देश विदेश के क्रिकेटर इस लीग से जुड़ गए। क्रिस क्रैन्स, डेमियन मार्टिन, शेन बांड, अम्बाती रायडू, स्टुअर्ट बिन्नी, इंज़माम उल हक़, मोईन खान, अब्दुल रज़्ज़ाक़, हबीबुल बशर, ब्रेंडन मॅक्कुलम, क्रिस हैरिस जैसे बड़े खिलाड़ियों ने ICL खेलने के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन किया।


हालाँकि BCCI ने ICL पर लगातार नज़र बनाये रखी हुई थी और अब लीग कि शुरुआत होते होते बोर्ड का बहुत बड़ा तबका इसे बागी लीग मानने लगा था। भारतीय क्रिकेट लीग के बोर्ड सदस्यों के रूप में एंजिंसोरा रिसोरा, टोनी ग्रीग, डीन जोन्स और किरण मोरे जैसे पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर भी नियुक्त किए गए। इनमे से कई BCCI और अन्य इंटरनेशल बोर्ड्स के साथ कॉन्ट्रैक्ट में थे। हड़कंप तब मचा जब नेशनल क्रिकेट अकेडमी के हेड कपिल देव भी लीग में शामिल हो गए।

कपिल देव और किरण मोरे को BCCI ने ससपेंड कर दिया। BCCI ने यंग क्रिकेटर्स को लीग की तरफ बागी होते देख घरेलू फोर्मट्स में मैच फ़ीस डबल से भी ज्यादा कर दी और विजेता – उपविजेता टीम की जीत धनराशि भी बढ़ा दी और वहीँ सभी बागी क्रिकेटर्स को चेतावनी दी कि वे लीग छोड़ दें नहीं तो BCCI के किसी भी फॉर्मेट में नहीं खेल पाएंगे। खबर आयी कि कुछ यंग क्रिकेटर्स जिनकी उम्र बहुत कम थी वे तुरंत लीग से हट गए थे।
पर फ़िलहाल ICL शुरू हो ही गया और ये दो साल चला, जिसमें चार अंतरराष्ट्रीय टीमों और नौ घरेलू टीमों के बीच टूर्नामेंट आयोजित हुआ, जो मुख्य भारतीय शहरों जैसे कि कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, अहमदाबाद, हैदराबाद के रूप में थीं, साथ ही लाहौर और ढाका की टीम भी शामिल थीं। मैच टी-20 प्रारूप में खेले गए। इसके अलावा, एक नियोजित घरेलू 50-ओवर टूर्नामेंट भी था, लेकिन यह हो नहीं पाया।
पहले सीज़न में चेन्नई और दूसरे में लाहौर जीती वहीँ वर्ल्ड सीरीज़ में भारत जीता तो दूसरा कैंसिल हो गया।

सभी मैच टीवी पर लाइव दिखाए गए, जिन्हे बड़ी संख्या में दर्शको ने देखा। एक साथ इतने देशो के अलग अलग खिलाडियों को एक दूसरे के खिलाफ खेलते देख साथ ही नए नए कोण से कैमरा व्यू , फिर रंग बिरंगी आतिशबाजी और लाउड म्यूजिक पर चियर्स लीडर्स को थिरकते देख दर्शको को क्रिकेट का नया अवतार मिला और लोगो ने इस लीग को बहुत पसंद किया। ज़ी मीडिया ने इस लीग को दिखाने के राइट्स दूसरे ब्रॉडकास्टर्स को भी दिए और बड़ा फायदा कमाया। कुल मिलाकर यह लीग भविष्य के क्रिकेट की ओर इशारा कर चुकी थी।


पर ICL का पहला सीज़न शुरू होते होते BCCI कार्यवाही के लिए तैयार हो गया था। BCCI ने इसे धमकी की तरह देखा और कहा कि इस लीग को ICC से मान्यता नहीं है इसीलिए इस लीग में खेल रहे खिलाडियों का कोई भविष्य नहीं है। ICC ने भी लीग को मान्यता नहीं दी और न ही किसी और अन्य बोर्ड ने लीग का साथ दिया। घरेलू खिलाडियों की मैच फ़ीस बढ़ाने के बाद, ICL की सफलता देखते हुए BCCI ने भी ऐसी अपनी मान्यता प्राप्त मिलती जुलती लीग IPL शुरू करने की घोषणा कर दी और कहा कि यह लीग अप्रैल 2008 से शुरू होगी।


साथ ही साथ राज्यों के बोर्ड्स और प्रायोजकों ने ICL में खेल रहे खिलाडियों के कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने शुरू कर दिए। इंग्लैंड, बांग्लादेश और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्डो ने भी ICL का भारी विरोध किया। बांग्लादेश बोर्ड ने तो अपने खिलाडियों से ICL कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने की अपील भी और अपने देश में ICL के प्रसारण पर रोक ही लगा दी। इतने दवाब में कई खिलाडियों ने कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने का मन बना लिया और कहा कि लीग और बोर्ड्स की लड़ाई में उनका कैरियर दांव पर लग गया है।


यह देख जी मीडिया ने BCCI के ख़िलाफ़ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया कि BCCI अन्य बोर्ड्स के साथ मिलकर उसके खिलाड़ियों पर दबाव बना रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कॉरपोरेट दिग्गजों की लड़ाई में खिलाड़ियों को नुकसान नहीं होना चाहिए। अदालत ने ICL में शामिल होने वाले खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने के खिलाफ सभी कॉर्पोरेट प्रायोजकों, राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआई को नोटिस जारी किया।


पर तब तक देर हो चुकी थी। बड़े प्लेयर्स इंटरनेशल मैच खेलने अपने देश लौट चुके थे और लोकल प्लेयर्स रणजी की तैयारी में लग चुके थे। रही सही कसर पहले IPL की टीम की घोषणा और बाद में खिलाडियों पर लगी करोड़ों की बोली से पूरी हो गयी। जब दुनिया ने देखा कि एक घरेलू फॉर्मेट के लिए पूरे साल खेले जाने वाले इंटरनेशनल मैचों से भी ज्यादा फ़ीस और इनामी धनराशि मिल रही है। बड़े से बड़ा खिलाडी और बड़े से बड़ा क्रिकेट दिग्गज IPL से जुड़ना चाहता था। BCCI को IPL के लिए एक से एक खरीदार और प्रायोजक मिले। क्रिकेट में हज़ारो करोड़ रुपया इन्वेस्ट हुआ। साल 2008 में IPL की भव्य शुरुआत हुई। दुनिया के कई महान और युवा खिलाडी एक साथ खेले और दुनिया भर के करोड़ों क्रिकेट फैंस ने इसे TV पर देखा। तब से अब तक IPL बढ़ता ही चला गया और साथ में इतिहास भी बनाता रहा ।


IPL की शुरुआत के साथ ही, इंडियन क्रिकेट लीग 2009 में बंद हो गई। बाद में जिन सभी अधिकारियों, कोच, खिलाडियों पर बैन लगा था, उनके बैन हटा दिए गए और ICL में खेलने वाले खिलाडियों को IPL में भी खेलने मौका मिला ।

निश्चल त्यागी
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