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आशीष जैन

ताकत और तकनीक से सराबोर एक से बढ़ कर एक दिग्गजों से सजी वेस्टइंडीज टीम का क्रिकेट जगत में वो रुतबा था कि परम्परागत रूप से क्रिकेट खेलने वाली इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया भी इस टीम के आगे संघर्षरत नजर आती थीं।


मगर आज दो बार की विश्व विजेता टीम भारत में होने वाले एकदिवसीय विश्व कप से इस बार वंचित रहेगी।ऐसा 48 साल के वर्ल्ड कप इतिहास में पहली बार होगा।पहले तो क्वालीफ़ायर में खेलना ही वेस्टइंडीज के लिए शर्मनाक था।ऊपर से कोढ़ में खाज यह कि क्वालीफ़ायर में भी वेस्टइंडीज टीम को करारी हार का सामना करके बाहर का रास्ता देखना पड़ा।

वेस्टइंडीज क्रिकेट का एक दौर ऐसा भी था जब इनकी पेस बैटरी के आगे बड़े से बड़े बल्लेबाजों के पैर कांपते थे।मैल्कम मार्शल, जोएल गार्नर, एंडी रॉबर्ट्स, कोलिन क्राफ्ट,कर्टली एम्ब्रोस और वाल्श जैसे कई सारे घातक तेज गेंदबाज जो बल्लेबाजों के लिये खौफ का कारण थे।

ऊपर से बल्लेबाजी में भी गैरी सोबर्स गार्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस , क्लाइव लॉयड, विव रिचर्ड्स, ब्रायन लॉरा, क्रिस गेल और कार्ल हूपर जैसे सक्षम बल्लेबाजों की लंबी फेहरिस्त हुआ करती थी जो अपने दिन पर किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियाँ उड़ा सकते थे।

पर यक्ष प्रश्न यह है कि वेस्टइंडीज क्रिकेट का टाईटेनिक डूबा कैसे। इसके लिए वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेटर बराबर के दोषी है। क्योकि वेस्टइंडीज बोर्ड वर्तमान समय के हिसाब से खिलाड़ियों को सुविधाएं और मेहनताना नही दे पाया। जब खिलाड़ियों के पास अन्य देशों की आईपीएल जैसी लीग क्रिकेट खेलने के प्रस्ताव आये तो खिलाड़ियों ने वेस्टइंडीज क्रिकेट का दामन छोड़ दिया। इसलिये शिमरॉन हेटमायर, सुनील नारायण, आंद्रे रसल जैसे अनेक दिग्गज खिलाड़ी होते हुए भी वेस्टइंडीज क्रिकेट की आज ये हालत है।

उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में स्थित पंद्रह कैरिबियाई द्वीपों को मिलाकर एक वेस्टइंडीज टीम तैयार की जाती है।हाल ही के दिनों में यहाँ के युवाओं का रुझान क्रिकेट से हटकर एथलेटिक्स, फुटबाल जैसे अन्य खेलों की ओर ज्यादा बड़ा है। वेस्टइंडीज बोर्ड भी आर्थिक तंगी के कारण बोर्ड भी क्रिकेट को ज्यादा प्रमोट नही कर पा रहा है। खिलाड़ियों और बोर्ड के बीच लंबे समय तक चला टकराव भी मुसीबत का सबब बना रहा।


खिलाड़ी भी पैसों को अधिक महत्व दे रहे है। शिमरॉन हेटमायर का दो-दो बार विश्व कप की  फ्लाइट मिस करना यही बताता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर पैसा कितना हावी है।वेस्टइंडीज के सभी खिलाड़ियों को लीग टीमें हाथों हाथ ले लेती हैं।

अर्श से फर्श पे पहुँचे वेस्टइंडीज क्रिकेट का पतन एक स्वर्णिम इतिहास के धूमिल पड़ जाने जैसा है। इस बार कैलिप्सो धुन के बिना विश्व कप सूना रहने वाला है। वेस्टइंडीज क्रिकेट का नुकसान पूरे क्रिकेट बिरादरी का नुकसान है।सारी दुनिया के क्रिकेट को नियंत्रित करने वाली संस्था आईसीसी को वेस्टइंडीज बोर्ड को सहयोग देना चाहिए। बीसीसीआई जैसे धनी क्रिकेट बोर्ड को भी मदद के लिए आगे आना चाहिए और वेस्टइंडीज के क्रिकेट खिलाड़ियों को भी धन का मोह कम करके वहाँ के युवाओं के लिए उदाहरण बनना चाहिए। तभी वेस्टइंडीज क्रिकेट का पतन रुक पायेगा और दर्शकों को भी एक अच्छी प्रतिद्वंद्वी क्रिकेट देखने मिल पाएगी।

भारतीय दल का वेस्टइंडीज दौरा:-
अब चलते चलते बात जुलाई मध्य से वेस्टइंडीज में होने वाले आगामी दौरे की भी कर लेते है। नए चयनकर्ता अजित आगरकर द्वारा चुनी भारतीय टीम काफी संतुलित नजर आ रही है।

कुछ एक खिलाड़ियों के चयन पे थोडा संशय है।अगर रिंकू सिंह का चयन हुआ होता तो बेहतर होता।

पांड्या की अगुवाई में जायसवाल, तिलक वर्मा जैसे नए रंगरूट भारतीय जर्सी में नजर आ सकते है। उम्मीद है भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी और भारत को अपने नये क्रिकेट सितारे इस दौरे से मिल पायेंगे।

आशीष जैन
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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