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आपका -विपुल
एक पकी हुई और थकी हुई टीम
भारत विश्व टेस्ट क्रिकेट चैंपियनशिप का फाइनल हार गया, लगातार दूसरी बार।
पिछली बार न्यूजीलैंड से हारा था, अबकी बार ऑस्ट्रेलिया से।


अंतिम आईसीसी टूर्नामेंट जो भारत जीता था वो 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी था।
उस दस साल पुरानी टीम के कुछ सदस्य इस विश्व टेस्ट क्रिकेट चैंपियनशिप फाइनल में भी थे।
जैसे रोहित, विराट, जडेजा, उमेश , अश्विन आदि।
अश्विन बाहर बैठे थे पर बाकी वही थे, दस साल पुराने।
और यहीं से मैं बात शुरू करूंगा।
देखो, एक टीम को पकने में टाइम लगता है।
विराट कोहली बहुत भाग्यशाली थे कि उन्हें 2015 से 2020 तक टीम इंडिया की कप्तानी का मौका मिला।तब भारतीय टीम केवल ऊंचाइयों की तरफ जा रही थी, कोहली, अश्विन, जडेजा, शमी , इशांत, उमेश , पुजारा, रहाणे जैसे खिलाड़ी पिछ्ले सात आठ साल के अनुभव से पक चुके थे और राहुल बुमराह, पांड्या, पंत, कुलदीप यादव, युजवेंद्र जैसे नए लोग आ रहे थे।


कभी कोई कभी कोई प्रदर्शन करता था और टीम इंडिया जीतती चली जा रही थी, घर पर तो 100 प्रतिशत और बाहर भी लगभग अच्छा ही कर रहे थे।
2017 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में खेली टीम 2016- 17 में कई घरेलू टेस्ट सीरीज जीत कर आत्मविश्वास से भरी थी। कुंबले कोच और कोहली कप्तान दोनों ही आक्रामक थे, पाकिस्तान को लीग मैच में हरा कर हम फाइनल में पहुंचे और वहां केवल बुमराह की नोबॉल ही नहीं, टॉस जीत कर पटरा पिच पर चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में पहले गेंदबाजी का फैसला भी भारत के लिये घातक साबित हुआ।
2019 एकदिवसीय विश्वकप में टीम इंडिया सेमीफाइनल तक पहुंची, चार विकेटकीपर इस मैच में खेले।
तमाम आलोचनाओं के बावजूद जडेजा के अलावा धोनी ही थे जिन्होंने एक अर्धशतक बनाकर भारत को अपने रन आउट होने तक मैच में बनाये रखा था। बाकी सब को सांप सूंघ गया था।


अंबाती रायडू के बजाय विजय शंकर का चयन केवल रायडू के लिए ही नहीं एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज ऑलराउंडर विजय शंकर के करियर के लिये भी घातक साबित हुआ।विजय शंकर से लोग अनावश्यक ही घृणा करने लगे और फिर उसे ज्यादा मौके भी नहीं दिये गये।
टी 20 विश्वकप में हम 2016 में सेमीफाइनल में हारे।
2020 में पाकिस्तान से लीग मैच में दस विकेट से हार कर पहले ही दौर में वापस हुये।
2022 में सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने 10 विकेट से हराया।
दुनिया जानती है टी 20 में लेग स्पिनर का महत्व सिवाय हमारे चयन कर्ताओं को और टीम मैनेजमेंट को छोड़ कर।
बिश्नोई का चयन नहीं हुआ और चहल को मौका नहीं दिया।

ईशांत शमी और अश्विन जडेजा जैसे गेंदबाज टेस्ट विश्व चैंपियनशिप जीतने के हकदार थे पर मौके पर बुमराह पुजारा रहाणे कोहली रोहित, गिल जैसे बल्लेबाजों ने 2021 में भी धोखा दिया और 2023 में भी।
स्थिति इतनी खराब है कि विश्व नंबर 1 गेंदबाज अश्विन को इसलिये विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में नहीं खिलाया जाता क्योंकि उनकी बल्लेबाजी अच्छी नहीं है।
मात्र इस बात के लिये भारतीय शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था, पर वो तो बला के बेशर्म हैं।

देखिये एक अच्छी टीम को पकने में टाइम लगता है, पर ये टीम इंडिया अब इतना पक चुकी है कि सड़ने ही लगी है। मैं आपको कुछ आंकड़े बताता हूं जिन्हें आप गौर से देखियेगा।

विराट कोहली 2006 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल रहे हैं।2008 से एकदिवसीय,2010 से टी 20 और 2011 से टेस्ट।
109 टेस्ट,274 वनडे,115 टी 20 खेल चुके हैं।
कुल 498 यानी 500 से कुछ कम इंटरनेशनल मैच।
237 आईपीएल मैच।
12 हजार से ज्यादा एकदिवसीय रन,4 हजार से ज्यादा टी 20 रन,8 हजार से ज्यादा टेस्ट रन।
2011 एकदिवसीय विश्वकप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी विजेता टीम में शामिल थे।

रोहित शर्मा भी 2006 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं।2007 में टी 20 विश्वकप में डेब्यू किया था और वो टी 20विश्वकप मेडल इनके पास है।
2007 में एकदिवसीय डेब्यू किया था और 2013 का चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता पदक इनके पास है।
2013 में टेस्ट डेब्यू किया था और अभी तीनों प्रारूपों में भारत के कप्तान थे। हाल में ही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल बतौर कप्तान खेले।
243 आईपीएल मैच खेले हैं और 5 बार आईपीएल विजेता हैं।
9800 एकदिवसीय रन,3400 टेस्ट और 3800 टी 20 रन हैं।


रविचंद्रन अश्विन भी 2006 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हैं।2010 में इनका एकदिवसीय और टी 20 डेब्यू हुआ था।2011 में टेस्ट डेब्यू।
2011 एकदिवसीय विश्वकप विजेता टीम में थे,2013 चैंपियंस ट्रॉफी टीम में थे।300 टेस्ट विकेट और 3000 टेस्ट रन का डबल बनाने वाले कपिल के बाद मात्र दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं।
एक विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल खेल चुके हैं और इस समय टेस्ट में नंबर 1 रैंक के गेंदबाज हैं।

रवींद्र जडेजा केवल इस साल की ही नहीं 2008 में पहली आईपीएल विजेता टीम में भी थे।
2006 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं।2009 में टी 20 और आईपीएल डेब्यू हुआ था और 2012 में टेस्ट डेब्यू।
2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत चुके हैं।
250 टेस्ट विकेट और 2500 से ज्यादा टेस्ट रन का डबल है।

उमेश यादव 2008 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं।2010 में एकदिवसीय डेब्यू हुआ था,2011 में टेस्ट, 2012 में टी 20 डेब्यू।
2013 की चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता पदक इनके पास भी है।
कुछेक भारतीय तेज गेंदबाजों में से एक जिन्होंने 150 से अधिक टेस्ट विकेट लिये।

चेतेश्वर पुजारा 2005 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं 2010में टेस्ट डेब्यू हुआ था। भारत ने जब पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज हराई थी , तब ये ही नायक थे। दूसरी बार सहनायक।


अजिंक्य रहाणे 2007 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं।
2011 में इनका एकदिवसीय और टी 20 डेब्यू हुआ था और 2013 में टेस्ट डेब्यू।
2021 की गाबा सीरीज में कमाल की वापसी कराई थी इन्होंने अपनी कप्तानी में।
छा गए थे।

मोहम्मद शमी 2010 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं।2013 में टेस्ट और एकदिवसीय डेब्यू हुआ था,2014 में टी 20 डेब्यू।
200 से अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले मात्र पांचवें भारतीय तेज गेंदबाज।
के एल राहुल 2010 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हैं।
2014 में टेस्ट डेब्यू।
जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या आईपीएल से उभरे।


बुमराह 2013 से, पांड्या 2015 से।
दोनों 2013 में ही प्रथम श्रेणी में आये थे और भारत को जब सबसे ज्यादा जरूरत होती है, बुमराह की बॉलिंग एकदम दो कौड़ी की हो जाती है (जैसे 2016 टी 20 विश्वकप,2017 चैंपियंस ट्राफी फाइनल,2020 टी 20 विश्वकप मैच,2021 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप ) या बुमराह घायल मिलते हैं।आईपीएल में ये जान झोंक देते हैं। मुंबई इंडियंस को 5 बार आईपीएल जिताने में इनका बड़ा योगदान है।
पांड्या भी घायल ही रहते हैं और तब मैदान में दिखते हैं जब इन्हें कप्तानी मिलती दिखती है।
एक आईपीएल खिताब ये जीत भी चुके हैं कप्तान के तौर पर।

ईशांत शर्मा और वृद्धिमान साहा ने अभी आधिकारिक सन्यास नहीं लिया है। ईशांत 2006 से और साहा 2007 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल रहे हैं।
ईशांत के पास 2013 चैंपियंस ट्रॉफी पदक है। विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल खेले हैं।साहा आईपीएल जीते हैं।

हनुमा विहारी 2010 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं,2018 में टेस्ट डेब्यू हुआ। मयंक अग्रवाल 2012 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं, इनका डेब्यू भी 2018 में हुआ। अक्षर पटेल 2012 से प्रथम श्रेणी खेल रहे हैं, एकदिवसीय डेब्यू 2014 में, टी 20 डेब्यू 2015 में , टेस्ट डेब्यू 2021 में हुआ।

जयदेव उनादकट जो अभी वेस्टइंडीज सीरीज के लिये चुने गये हैं, टेस्ट डेब्यू 2010 में हुआ था।

शुभमन गिल इतने कम वक्त में दो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल खेल ले गये हैं और इंग्लैंड की स्विंग वाली पिचों पर बिलकुल भी नहीं खेल पाये।
ऋषभ पंत और वॉशिंगटन सुंदर ज़रूर ऐसे दो नये खिलाड़ी थे जो दमदार दिखे।


और हां भुवनेश्वर कुमार, जिनका पूरा दावा है 2023 एकदिवसीय विश्वकप खेलने का, वो प्रथम श्रेणी में 2007 से खेल रहे हैं।
2012 में एकदिवसीय और टी 20 डेब्यू हुआ था और 2013 में टेस्ट डेब्यू।
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2013 का विजेता पदक इनके भी पास है।
हो सकता है इतने लंबे आंकड़े पढ़ कर आप बोर हो गए हों, पर मेरी बात आपको समझाने के लिये ये जरूरी था।
देखो कोई भी बड़ा टूर्नामेंट जीतने के लिये जो आग चाहिये, वो इन खिलाड़ियों में नहीं हो सकती।

गौर करिये, इस टीम के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े खिलाड़ी 2006 -2007 से प्रतिद्वंदी क्रिकेट में हैं।

थके नहीं होंगे?


दो बातें हैं, एक तो ये थक चुके हैं, दूसरा इन्हें किसी को कुछ साबित करने की जरूरत ही नहीं है अब।
विराट कोहली के पास सचिन के बाद सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय शतकों का रिकॉर्ड है। दशक के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए जा चुके हैं।25 हजार अंतर्राष्ट्रीय रन हैं और 2011 विश्वकप और 2013 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी खिताब हैं।अब इन्हें क्या साबित करना?


रोहित शर्मा के पास 2007 टी 20 विश्वकप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी है। एकदिवसीय में मजे के रन हैं, टेस्ट कप्तान हैं और आईपीएल में 5 खिताब, ये उपलब्धियां कम नहीं हैं। प्राण क्यों दें?


अश्विन के पास भी अच्छे आल राउंडर होने के अलावा 2011 विश्वकप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी खिताब हैं।
जडेजा के पास भी 2013 चैंपियंस ट्रॉफी और सीएसके की फैन फॉलोइंग है।
पुजारा अपनी ऑस्ट्रेलियाई विजय के लिये जाने जाते हैं और जाने जाते रहेगें और रहाणे 2021 सीरीज की कप्तानी से
शमी बुमराह, उमेश,
इन्हें भी अब किसी को कुछ साबित नहीं करना।
और यही वजह है कि मुझे 2023 विश्वकप जीतने की उम्मीद इन लोगों से नहीं है।


ये टीम थक चुकी है, पक चुकी है, सड़ चुकी है।
आपस में खंजर चल रहे हैं।भारतीय क्रिकेट की भलाई के लिये इन सबको एक साथ हटा ही दें तो बढ़िया है।
2025 की विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का मुझे पता नहीं पर 2023 एकदिवसीय विश्वकप अगर टीम इंडिया नहीं जीती तो नुकसान केवल क्रिकेट प्रेमियों का होगा, दुःख क्रिकेट प्रेमियों को ही होगा।एक एक इंस्टाग्राम पोस्ट से करोड़ों कमाने वाले, हार के बाद खींसें बघारते हुये बेशर्मी से मौज मस्ती करने वाले ये खिलाड़ी तो अपनी अपनी पी आर कंपनी को पैसे देकर सोशल मीडिया पर अपनी दस साल पुरानी उपलब्धियों को बताते हुये भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को जहरीला बताते हुये विदेश निकल लेंगे।


चयनकर्ता आईपीएल फ्रेंचाइजी के दबाव में या दबाव और प्रभाव में निर्णय लेकर इन्हीं को दोबारा चयनित कर लेंगे और हम और आप ऐसे ही खिसियाते रहेंगे।

और हां!
जलज सक्सेना कहां है वैसे?
सरफराज?
पृथ्वी शॉ?

सुंदर को तो चोट लगी है शायद?
आपका -विपुल
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