भाग 32 – राहुल सांघवी
भूले बिसरे खिलाड़ी
भाग -32
राहुल सांघवी
आपका -विपुल
परिचय
राहुल सांघवी बायें हाथ के उंगलियों के स्पिनर थे जो 1998 में भारत के लिये 10 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच और 2001 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज में एक टेस्ट मैच खेले हैं।
दिल्ली से अपना क्रिकेट कैरियर शुरू करने वाले राहुल सांघवी दिल्ली की अंडर 19 टीम के सदस्य रहे और फिर भारत की अंडर 19 पुरूष क्रिकेट टीम के लिये 1994 में इंग्लैंड दौरे पर भी गये।
रणजी से शुरुआत
राहुल सांघवी ने 1994- 95 के रणजी सीजन में ही दिल्ली रणजी टीम की ओर से सीनियर वर्ग के घरेलू क्रिकेट में पदार्पण किया।
रणजी ट्रॉफी के प्रथम श्रेणी और लिस्ट ए मैचों में दोनों में राहुल सांघवी ने 1994-95 सीजन में ही डेब्यू किया , दिल्ली टीम की ओर से।
1997-98 के रणजी ट्रॉफी के एक घरेलू एकदिवसीय मैच में राहुल सांघवी ने दिल्ली की ओर से खेलते हुये हिमांचल प्रदेश के खिलाफ 15 रन देकर 8 विकेट लिये थे जोकि एक विश्व रिकॉर्ड था।
चयनकर्ताओं का ध्यान राहुल सांघवी की ओर गया और 1998 में ढाका में खेले गए सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप 1998 एकदिवसीय ट्रॉफी में राहुल सांघवी भारतीय टीम में शामिल थे।
सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप 1998 ढाका , तीसरा फाइनल
18 जनवरी 1998 को ढाका में भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया सिल्वर जुबली इंडिपेंडेंस कप 1998 एकदिवसीय चैंपियनशिप का तीसरा फाइनल गांगुली के शतक, रॉबिन सिंह की जुझारू पारी और हृषिकेश कानितकर के अंतिम ओवर में मारे गये चौके के लिये आज तक प्रसिद्ध है।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि राहुल सांघवी का अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू इसी मैच में हुआ था,18 जनवरी 1998 को ढाका में खेले गये इस अत्यंत रोमांचक भारत बनाम पाकिस्तान फाइनल में।
राहुल सांघवी के आंकड़े इस मैच में 5-0- 38-0 थे।
हृषिकेश कानितकर इस मैच के बाद स्टार बन गये थे लेकिन मौके राहुल सांघवी को भी मिले।
एकदिवसीय कैरियर
अप्रैल 1998 में भारत आस्ट्रेलिया और जिम्बावे के बीच भारत में पेप्सी एकदिवसीय त्रिकोणीय श्रृंखला खेली गई और राहुल सांघवी इसमें फाइनल सहित चार मैच खेले।
5 अप्रैल 1998 को जिम्बावे के खिलाफ भारत का लीग मैच था जिसमें राहुल सांघवी को अपना दूसरा अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय खेलने का मौका मिला।
भारत ने 274 रन बनाये थे और जिम्बावे 261 ही बना पाई थी।
राहुल सांघवी ने 8 ओवर में 29 रन देकर तीन विकेट लिये थे।
क्रेग इवांस को नयन मोंगिया के हाथों स्टंप करवा के राहुल सांघवी ने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय विकेट हासिल किया था और फिर गाय व्हिटाल और क्रेग विशार्ट को महत्वपूर्ण क्षणों में कॉट एंड बोल्ड किया था।
राहुल सांघवी के 8-0-29-3 के आंकड़े प्रभावित करने वाले थे पर मैन ऑफ द मैच हृषिकेश कानितकर ले गए जिन्होंने 31 गेंदों में 35 रन बनाये थे और 7 ओवरों में 37 रन देकर 2 विकेट लिये थे।
इस सीरीज के फाइनल सहित अगले तीन मैचों में राहुल सांघवी हर मैच में एक एक विकेट ही ले पाये, हालांकि रन भी किसी भी मैच में कभी 45 से ज्यादा नहीं दिये। किफायती और कंजूस बॉलर थे।
कोकाकोला त्रिकोणीय सीरीज फाइनल 1998
24 अप्रैल 1998 को शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोकाकोला त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में भी राहुल सांघवी खेले थे जिसमें भारत ने सचिन के 134 रनों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया को हराया था। इस फाइनल में राहुल सांघवी के गेंदबाजी आंकड़े 10-0-45-0 थे।
इसी साल मई 1998 में भारत में हुई भारत बांग्लादेश केन्या के बीच हुई त्रिकोणीय एकदिवसीय श्रृंखला में राहुल सांघवी एक मैच बांग्लादेश और 2 मैच केन्या के खिलाफ खेले और 4 विकेट लिये।
हरारे में 30 सितंबर 1998 को जिम्बावे के खिलाफ एकदिवसीय मैच राहुल सांघवी का अंतिम एकदिवसीय मैच साबित हुआ जिसमें भारत हारा था और राहुल सांघवी के गेंदबाजी आंकड़े 6-0-47-0 थे।
राहुल सांघवी इसके बाद कभी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेले।
एकदिवसीय कैरियर आंकड़े
राहुल सांघवी ने 10 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों की 10 पारियों में 39.90 के औसत और 4.80 की इकोनॉमी से 10 विकेट लिये हैं।
इनका सर्वश्रेष्ठ 3/29 जिम्बावे के खिलाफ अप्रैल 1998 में वड़ोदरा के मैदान में आया था।
10 एकदिवसीय मैचों में 8 रन हैं इनके।
टेस्ट कैरियर
2001 में स्टीव वॉग की दुर्जेय ऑस्ट्रेलियाई टीम अपना अश्वमेध का घोड़ा दौड़ाते हुये भारत आई थी और मुंबई के वानखेड़े मैदान में 1 मार्च 2001 से खेले गये भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज के पहले मैच में राहुल सांघवी को दादा सौरव गांगुली की भारतीय टीम की तरफ से विशेषज्ञ स्पिनर के तौर पर डेब्यू का मौका मिला।
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मुंबई टेस्ट 2001
अनिल कुंबले चोटिल थे और हरभजन सिंह और राहुल सांघवी पर भारतीय स्पिन आक्रमण की जिम्मेदारी थी।
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और भारत को पहले खिला दिया। सचिन ने 76 बनाये थे और पूरी भारतीय टीम 176 पर आउट। नंबर 11 पर उतरे राहुल सांघवी ने 2 रन बनाये थे।
ऑस्ट्रेलिया ने मात्र 73.2 ओवर में 349 रन ठोक दिये जवाब में। हेडन और गिलक्रिस्ट ने शतक मारे थे इस पारी में।
हरभजन सिंह के इस पारी में आंकड़े 28-3-121-4 थे और राहुल सांघवी के 10.2-2-67-2।
राहुल सांघवी के टेस्ट कैरियर का पहला विकेट स्टीव वॉग का था जिन्हें द्रविड़ ने कैच किया था और दूसरा शेन वार्न का जिन्हें सचिन ने कैच किया था।
भारत अपनी दूसरी पारी में सचिन के 65 रनों के बावजूद 219 रन ही बना पाया।
राहुल सांघवी इस बार खाता भी न खोल पाये।ऑस्ट्रेलिया ने 47 रनों का विजय लक्ष्य बिना कोई विकेट खोये हासिल कर लिया।
राहुल सांघवी के दूसरी पारी के गेंदबाजी आंकड़े 2-1-11-0 रहे।
हरभजन ने चूंकि 4 विकेट लिये थे, इसलिये सीरीज के अगले मैच खेलने के दावेदार थे।
राहुल सांघवी का ये पहला और अंतिम टेस्ट मैच था।इसके बाद राहुल सांघवी कभी भी किसी भी प्रारूप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले।
टेस्ट आंकड़े
राहुल सांघवी ने 1 टेस्ट मैच खेला है और 2 टेस्ट पारियों में 39 के गेंदबाजी औसत और 37 के स्ट्राइक रेट से 2 विकेट लिये हैं।
सर्वश्रेष्ठ 2/67 बनाम आस्ट्रेलिया 2001 वानखेड़े।
और 2 ही टेस्ट रन बनाये हैं।
प्रथम श्रेणी आंकड़े
राहुल सांघवी ने 95 प्रथम श्रेणी मैचों में 33.91 के औसत से 271 विकेट लिये हैं।
68 लिस्ट ए मैचों में 25.23 के औसत और 4.37 की इकोनॉमी से 97 विकेट लिये हैं।
इसमें इनका सर्वश्रेष्ठ 8/15 एक समय विश्व रिकॉर्ड था।
आईपीएल में भूमिका
राहुल सांघवी आईपीएल की 2008 में शुरुआत से ही मुंबई इंडियंस टीम के साथ जुड़े हैं और नवीन प्रतिभाओं को तलाशने और तराशने का काम करते हैं। राहुल सांघवी मुंबई इंडियंस की सारी टीमों जैसे एमआई एमिरेट्स, एमआई केपटाउन, एमआई वूमेन टीम के लिये काम करते हैं
ये डीडीसीए के चयनकर्ता भी रहे हैं।2016 में आईपीएल में मुंबई इंडियंस टीम के साथ जुड़े होने के साथ डीडीसीए के चयनकर्ता के रूप में भी काम करने पर इन्हें हितों के टकराव का दोषी पाया गया था और डीडीसीए के चयनकर्ता का पद छोड़ना पड़ा था।
उपसंहार
राहुल सांघवी बिशन सिंह बेदी के शिष्य रहे हैं जो खुद एक लीजेंड लेफ्ट आर्म स्पिनर थे।
इनकी गेंदबाजी बहुत सटीक थी और एकदिवसीय क्रिकेट के लिये तो ये बहुत ही अच्छे गेंदबाज थे। मेरे ख्याल से इन्होंने कॉट एंड बोल्ड आउट बहुत किये हैं।
इनके साथ दुर्भाग्य ये रहा कि ये अपने ज्यादातर एकदिवसीय मैच
हृषिकेश कानितकर के साथ खेले और कानितकर के स्टारडम के नीचे इनका प्रदर्शन दबा रहा।
मैं इनको बहुत ऊंचे दर्जे का गेंदबाज मानता हूं जिन्हें पर्याप्त मौके नहीं दिये गये।
इसका एक कारण ये भी था कि सौरव गांगुली बायें हाथ के उंगलियों के स्पिनर को ज्यादा पसंद नहीं करते थे।
यदि हिंदी क्रिकेट के इस प्रयास को आर्थिक सहयोग करना चाहते हैं तो qr कोड नीचे है ।
आपका -विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com