साकेत अग्रवाल
वर्ष 2010 में जब कतर को फीफा फुटबॉल विश्वकप 2022 का मेज़बान घोषित किया गया था , तब से ही कतर विवादों में है। मेजबानी प्राप्त करने के लिए रिश्वतखोरी की बात हो या विश्वकप की तैयारी के दौरान श्रमिकों के शोषण जैसी बातें हो या विश्वकप प्रारंभ होने से पूर्व भारत के भगोड़े जाकिर नाइक को कतर बुलाना हो या विश्वकप के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटकों के धर्म परिवर्तन करने का मामला हो, इन सब विवादास्पद कारणों के कारण कतर को एक विवादित मेजबान कहा जा रहा है।
1- रिश्वत देने का आरोप
कतर की अपनी कोई फुटबॉल संस्कृति नहीं है |आठ में से सात स्टेडियम नये बनाए गए हैं। इससे पहले कतर ने विश्वकप के लिए कभी क्वालीफाई ही नहीं किया था। इसलिए ऐसे में जब कतर ने जापान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे समृद्ध फुटबॉल संस्कृति वाले देशों को पीछे छोड़कर 2022 फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी प्राप्त की तो फुटबॉल प्रशंसकों का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक था। ऐसे आरोप लगे कि कतर ने मेजबानी प्राप्त करने के लिए फीफा अधिकारियों को रिश्वत दी है। 2014 में लीक हुए कुछ दस्तावेजों और ईमेलों के आधार पर दावा किया गया कि कतर फुटबॉल के महत्वपूर्ण अधिकारी और फीफा कार्य समिति के पूर्व सदस्य मोहम्मद बिन हम्माम ने कथित तौर पर फीफा अधिकारियों को लाखों डॉलर की रिश्वत दी थी। फीफा ने इन आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाई। मुख्य जांचकर्ता और अमरीका के पूर्व अटॉर्नी माइकल जे गार्सिया को बोली प्रक्रिया में अनियमितताओं के प्रमाण तो मिले लेकिन इस बात के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले की मेजबानी प्राप्त करने के लिए कतर के अधिकारियों ने फीफा अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश की। इसलिए फीफा ने सारे आरोपों को खारिज कर कतर को क्लीन चिट दे दी। हालांकि इसके बाद भी कई बार कई एजेंसियों ने कतर पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए। इसी क्रम में 2020 में अमेरिकी न्याय विभाग ने खुलासा किया कि फीफा के शीर्ष स्तर के पांच अधिकारियों ने 2022 के विश्वकप की मेजबानी कतर को देने के लिए रिश्वत ली थी। 2022 विश्वकप की मेजबानी के अधिकारों पर मतदान करने वाले तत्कालीन फीफा अध्यक्ष सैप ब्लैटर सहित अधिकतर फीफा अधिकारियों पर बेईमान व्यवहार करने का आरोप भी लगाया गया। नबंवर 2022 में सैप ब्लैटर ने कहा कि “कतर को 2022 का विश्वकप देना एक गलती थी”।
हालांकि उनके इस वक्तव्य को इस पूरे विवाद(कतर को मेजबानी देने संबंधित विवाद) से स्वयं को दूर रखने का असफल जतन माना गया।
2- श्रमिकों का शोषण
कतर में फुटबॉल विश्वकप 2022 के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण प्रारंभ होने के बाद से समय-समय पर कई गैर सरकारी संगठनों ने कतर पर श्रमिकों के शोषण का आरोप लगाया है। इन गैर सरकारी संगठनों ने निर्माण कार्य के दौरान श्रमिकों की मृत्यु होने का भी दावा किया है हालांकि संख्या को लेकर अलग-अलग गैर सरकारी संगठनों के आंकड़े और दावे भिन्न-भिन्न हैं। कतर में फुटबॉल विश्वकप 2022 का आधारभूत ढांचे का निर्माण करने के लिए कई विकासशील देशों जैसे भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश आदि के प्रवासी मजदूर पहुंचे। 2021 में एक गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट में दावा किया गया कि विश्वकप निर्माण से संबंधित परिस्थितियों में 15000 से अधिक प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु हो गई है। वही एक अन्य स्वतंत्र रिपोर्ट में दावा किया गया कि विश्वकप निर्माण से संबंधित कार्यों में लगे 6500 श्रमिकों की मृत्यु हो गई है। कई रिपोर्टों में बताया गया कि प्रवासी श्रमिक, श्रम अधिकारों के हनन का शिकार हुए थे। कतर में इन श्रमिकों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था बहुत ही निम्न स्तर की थी। इंजीनियरिंग की जॉब के लिए कतर पहुंचे कई लोगों से जबरन शारीरिक श्रम कराने की बात सामने आई, इन लोगों के पासपोर्ट जब्त कर इन्हें जबरदस्ती विश्वकप संबंधी निर्माण कार्यों में लगाया गया था। नवंबर 2022 के अंत में कतर के विश्व कप संगठन के प्रमुख हसन अल थवाडी ने स्वीकार किया कि 2010 से विश्वकप से संबंधित व्यापक निर्माण में 400 से 500 श्रमिकों की मृत्यु हुई है। हालांकि कुछ दिनों के बाद ही कतर की सर्वोच्च समिति ने हसन अल थवाडी के वक्तव्य का खंडन कर दिया।
3- मिशन दावाह और विवादित जाकिर नाइक को बुलावा
इसे मक्कारी, बेईमानी और धूर्तता ही कहा जाएगा कि कतर ने फुटबॉल विश्वकप प्रयोग गैर-मुसलमानों का धर्म परिवर्तन करने के लिए चलाए जा रहे “मिशन दावाह” की पूर्ति के लिए एक हथियार के रूप में किया। सर्वप्रथम तो दावाह के विषय में जानिए। दावाह एक इस्लामिक प्रथा है जिसके तहत गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है और उन्हें इस्लाम को अपनाने के लिए भ्रमित किया जाता है। फुटबॉल विश्वकप के चलते कतर में लाखों की संख्या में लोग पहुंचे हुए थे और इस अवसर का लाभ उठाकर कतर बहुत बड़ी संख्या में गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें मुस्लिम बनाना चाहता था। फुटबॉल विश्वकप के दौरान मिशन दावाह कतर का एक अघोषित उद्देश्य रहा। अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु कतर ने जाकिर नाइक को बुलाया।
वही जाकिर नाइक जिसके भड़काऊ भाषणों से आतंकवादी और जेहादी प्रेरणा लेते हैं। वही जाकिर नाइक जो भारत में गैर-मुसलमानों के विरुद्ध नफरत और घृणा की आग उगलने और मनी लांड्रिंग के आरोपों में वांछित है। जाकिर नाइक को कतर में देखकर किसी को भी आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए क्योंकि कतर का शाही परिवार पिछले कई दशकों से इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाले मुस्लिमों, जेहादियों और तालिबानी आतंकियों को संरक्षण और समर्थन देने के लिए जाना जाता है। फुटबॉल विश्वकप में कतर ने मिशन दावाह के लिए व्यापक अभियान चलाने की योजना बनाई थी। कतर के अधिकारियों और सरकार की ओर से वित्तपोषित संस्थाओं ने हजारो वालंटियर्स को, दुनिया भर से पहुंचे फुटबॉल प्रशंसकों के बीच इस्लाम का संदेश देने के लिए भर्ती किया था। इसके अलावा हजारों की तादाद में किताबें, पोस्टर और पंपलेट बांटे गए।
4- महिला फुटबॉल से संबंधित विवाद
कतर की महिला फुटबॉल टीम बनाई जाती है सन् 2009 में। सन् 2010 में कतर फीफा फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी के लिए दावा ठोंकता है और वादा करता है कि महिला फुटबॉल को कतर में बढ़ावा दिया जाएगा। सन् 2014 में कतर महिला फुटबॉल टीम अपना अंतिम मैच खेलती है और उसके बाद से कतर में महिला फुटबॉल की गतिविधि एकदम शून्य है। कतर महिला फुटबॉल टीम की सदस्या रहीं खिलाड़ी आजकल इंश्योरेंस कंपनी में एजेंट के रूप में कार्यरत हैं। 2014 में कतर महिला फुटबॉल टीम की कोच रही मोनिका स्टाब का कहना है कि उन्हें बिल्कुल ही अनुमान नहीं है कि आजकल वो टीम कहां है। मामला अगर इस्लाम, मुसलमान या इस्लामिक राष्ट्रों से जुड़ा हो तथाकथित नारीवादियों, सेकुलरों, लिबरलों की घिग्घी बंध जाती है और वो मुंह में फेविकोल डालकर शांत बैठना अधिक पसंद करते हैं। कतर महिला फुटबॉल से जुड़े इस मुद्दे पर भी कथित नारीवादियों ने फेविकोल पीना ही उचित समझा। अरे भाई गर्दन सब को प्यारी होती है सर को तन से जुदा कराने का खतरा कौन मोल ले। कुल मिलाकर कतर में आयोजित फीफा फुटबॉल विश्वकप 2022 लियोनेल मैस्सी के विश्व विजेता बनने के साथ ही साथ इन सब विवादों के लिए भी याद रखा जाएगा और कतर को “विवादों का मेजबान” भी कहा जाएगा।
साकेत अग्रवाल
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