चलते रहो
चलते रहोहॉरर कहानीप्रस्तुति -विपुल मिश्रादिल्ली से कानपुर वापस आने के लिए बस में बैठे थे और रात दस बजे बस आनंद विहार से निकल भी ली।ज्यादा सवारी थी नहीं। पता नहीं क्यों।नींद आ गई थी और बारह बजे करीब नींद खुली तो बस को खड़ा पाया।खराब हो गई थी बस।सूनसान…