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2023 विश्वकप के लिये टीम इण्डिया
आपका – विपुल

थोड़ी बात क्रिकेट पर भी।
बुमराह अगर फुली फिट होकर वापस आता है राहुल को कीपर के तौर पर नंबर 5 पर खिलाया जाता है और कुलदीप का फॉर्म बरकरार रहता है तो भारत के चांसेज सेमीफाइनल तक पहुंचने के बन सकते हैं। हालांकि अभी भी मेरा मानना है कि इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड भारत से एक टीम के तौर पर आगे दिख रही हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश भी कमजोर नहीं हैं।
भारत की मुख्य समस्या पिछ्ले एक दशक से नंबर 4,5,6,7 के बल्लेबाज रहे हैं और अब भी कोई आश्वस्त नहीं है कि इन नंबरों पर कौन कौन खेलेगा?

धवन ,रोहित और कोहली ने पिछ्ले दस सालों में खूब धूम मचाई, पर धवन को लगभग 1 साल और कुछ एकदिवसीय दौरों का कप्तान बना कर टीम कॉम्बिनेशन से हटा दिया गया।रोहित अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म को पीछे छोड़ आए हैं और अकेले कोहली पर आप पूरा भार नहीं डाल सकते।कोहली की पहले टिक कर,बाद में हिट करके खेलने वाली शैली रोहित और राहुल की भी रही।अब सफल नहीं रहती ऐसी शैली ज्यादातर।

सूर्यकुमार यादव वनडे में बेहद असफल रहे हैं। श्रेयस अय्यर कितने फिट हैं और कितने फॉर्म में पता ही नहीं। हार्दिक पांड्या नंबर 7 के लिए ठीक हो सकते हैं पर 4 5 6 कौन खेलेगा?

इसके अलावा विकेटकीपर दूसरी बड़ी समस्या है भारतीय टीम के लिये।
पंत नहीं खेलेंगे, ये तय ही है।


संजू सैमसन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।ईशान किशन अगर खिलाए जाते हैं तो ओपनिंग के अलावा उनका मध्यक्रम का प्रदर्शन कुछ खास नहीं है।और ओपनिंग में गिल और रोहित के होते इनकी जगह नहीं बनेगी। राहुल अगर फिट होकर आते हैं तो मैं आंख मूंद कर राहुल को विकेटकीपर चुन लूंगा और नंबर 5 पर खिलाऊंगा।

बुमराह के साथ सिराज और शमी ठीक आक्रमण है। हालांकि मैं प्रसिद्ध कृष्णा को भी जोड़ना चाहूंगा। पेस और साफ सुथरा एक्शन।
जो लोग एक बाएं हाथ के तेज गेंदबाज की हमेशा वकालत करते हैं उनसे एक सवाल –
वेस्टइंडीज की सर्वकालिक महान विजेता टीम में कितने बाएं हाथ के तेज गेंदबाज थे?

कुलदीप यादव के साथ चहल या बिश्नोई अच्छा कॉम्बिनेशन हो सकते हैं, जिसे टीम चाहें और जिसका फॉर्म अच्छा हो।
रवींद्र जडेजा का सीमित ओवरों में एक गेंदबाज के तौर पर प्रदर्शन बहुत खराब रहा है पिछ्ले कुछ सालों से।उसे मैं सीमित ओवरों में केवल एक अच्छा फील्डर और बल्लेबाज मानता हूं जो कुछ ओवर फेंक सके।अश्विन को खिलाना मुझे नहीं पता अच्छा होगा या बुरा , पर सुंदर को छोड़ कोई नया ऑफ स्पिनर इधर दिख भी नहीं रहा।

और अंत में एक खास बात बताते चलूं-


2011 की भारत की विश्वकप विजेता टीम में गंभीर को छोड़ कर हर कोई गेंदबाजी कर सकता था।ठीक ठाक गेंदबाजी कर लेते थे टीम के ज्यादातर खिलाड़ी।
फिर 1983 की भारत की विश्वकप विजेता टीम देखना।
उसमें भी 75 प्रतिशत खिलाड़ी गेंदबाजी कर सकते थे। गावस्कर तक ने कई टेस्ट मैचों में नई गेंद से पहला ओवर फेंक रखा है। 1983 की अपनी टीम में भी हरफनमौला बड़ी तादाद में थे


अभी की पूरी भारतीय वनडे टीम में कितने खिलाड़ी हैं ऐसे?
🙏🙏

आपका – विपुल

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