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विपुल

विपुल

बबूल की छांव , कंक्रीट के जंगल,
प्लास्टिक के दिल और रोता हुआ मर्द ।

हर कहानी का अंजाम खुशनुमा नहीं होता।

भेड़ियों का झुंड, बकरियों के बच्चे।
कौव्वों का शोर और बेहिसाब दर्द।।

हर कहानी का अंजाम खुशनुमा नहीं होता।

आस्तीनों के सांप ,ढंके छुपे बिच्छू,
रेगिस्तानी गिरगिट और सड़क की गर्द।

हर कहानी का अंजाम खुशनुमा नहीं होता।।

हसरतों की गठरी , ज़रूरतों के बंडल।
ख्वाहिशों की भूख और चेहरे की ज़र्द।।

हर कहानी का अंजाम खुशनुमा नहीं होता।।

उम्मीदों की लाशें, वफाओं के दंगल।
बर्फ की रजाई और मौसमों की सर्द।।

हर कहानी का अंजाम खुशनुमा नहीं होता।।

चमचमाते झूठ, सच्चाइयों के जंगल।
बेमानी खुशियां और नाकारा दर्द।।

हर कहानी का अंजाम खुशनुमा नहीं होता।।

विपुल

विपुल

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