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विपुल

सात तारीख ।
सोनीपत की सर्दी।
सलेटी कलर का सफारी सूट पहने सत्त्या भाई की सफारी सवा सौ की स्पीड में सनसनाते हुये जा रही थी।
सट्टे में जीते सात लाख रुपये सात लिफाफों में सत्त्या भाई के साथ थे।
समां है सुहाना गाना

सात बज कर सत्ताईस मिनट हुये थे जब सत्त्या भाई की गाड़ी को अचानक 7 सफारियों ने ओवरटेक कर उन्हें रुकने पर मजबूर किया।

सतविंदर, सत्येंद्र, सतीश ,सतनाम ,सुरेश ,सुनील और सुजीत ।
सत्त्या भाई के ये सात पुराने दुश्मन साथ साथ आये सत्त्या भाई के सामने।
सत्त्या भाई बहुत समझदार हैं।सरेंडर कर दिया।पैसा बहुत बड़ी चीज़ नहीं है ।जब तक झारखंडिया महेंद्र आईपीएल में है ,सट्टेबाजी से कमाई में कमी नहीं हो सकती।
सत्त्या भाई ने गाड़ी से निकल कर हाथ ऊपर किये बोले
“जो चाहिए ले लो ,पर जान बख्श दो।मेरी जान सपना चौधरी की अमानत है।”

“अपनी अमानत का अचार बनाकर अपनी ज़मानत में डाल लें ।” सड़ा सा सैड फेस बनाकर सुजीत बोला।
“पैसे नहीं चाहिये ।राघव चाहिए ।”
“राघव ?कौन राघव ?”
“वही चिकना जो तुम्हारी जान है।गालों में लाली लगाकर फैशन शो में जाता है। हलवाई का होने वाला दामाद “।

“अबे !”
सत्त्या भाई चिढ़ कर बोले ।
“वो बकरी का बिनब्याहा बच्चा मेरी जान कब से बन गया ?”
“उस ट्रांसजेंडर से मेरे जैसे मनीलेंडर का क्या मतलब “

???

“मतलब नहीं ?”
“तो उस ट्रांसजेंडर की ट्रांसपैरेंट कपड़ों में तेरे साथ ये फोटो क्यों है ट्रांस गोमती में ?”
एक फोटो सत्त्या को दिखाते हुये सतनाम बोला जो सत्ताईस साल का सनकी सरदार था।

सत्त्या भाई सकपका गये।फोटो सच्ची थी।
पाँच तारीख को सनशाइन होटल में साथी और सीनियर मैनेजर सतीश के कहने पर सत्त्या भाई सुपर मसाज करवाने को राजी हुए थे ।
सुपर मसाज की फीस साढ़े सात हजार थी लेकिन सत्त्या भाई ने सात सौ ही दिए थे।
उन्हें तभी लग रहा था कि उनकी मसाज करने वाली कोई मादा जंतु नहीं लग रही।हालांकि सुंदर बहुत थी।

“इससे मैंने मसाज करवाई थी ,इसके अलावा मुझे कुछ नहीं पता ।” सत्त्या भाई ने सफाई दी।

“हमें पता है कि तुम्हें नहीं पता ।लेकिन तुम्हें नहीं पता कि तुम्हें जो नहीं पता ,वो भी हमें पता है।”

सुजीत बोला।

“गाड़ी की डिक्की खोलो ।”

सत्त्या भाई ने सफारी की डिक्की खोली।
चौंक गए।

सफेद सलवार सूट में ये वही राघव था ,जिसकी बात हो रही थी ।
बला का बेशर्म था।
इतने लोगों से घिरा था।फिर भी मुस्कुरा रहा था।

“सत्त्या भाई !”सतीश गम्भीर आवाज़ में बोला
“नगेन्द्र मोती भाई ने खबर भिजवाई थी कि राजस्थान में तुम्हारे नाम का सहारा लेकर कुछ छक्के घुसने की फिराक में हैं।
इसलिये आये थे।”
सत्त्या भाई स्तब्ध।
” सत्त्या भाई तुम चोरी ,छिनैती, सट्टेबाजी से खूब पैसे कमाओ ।कोई दिक्कत नहीं। पर इन छक्कों का साथ दोगे तो इज़्ज़त उछाल दी जाएगी।”

सत्त्या भाई को पता ही नहीं था कि राघव उसकी गाड़ी में कब छुपा ?,क्यों छुपा ?और कहाँ जाना चाह रहा था ?
सत्त्या भाई ने अपनी बातें उन सबको बताई ।
वो मान गए ।
क्योंकि वो सब भी सत्त्या भाई की तरह नगेन्द्र मोती के आदमी थे।
सत्त्या भाई अब निकलने के इच्छुक थे पर ज़ल्दी निकल न पाये क्योंकि उनके आगे सात गाड़ियों की कतार थी और हर गाड़ी में सत्त्या भाई के सातों दुश्मनों ने ट्रांसजेंडर राघव को लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक की टिकटें प्रदान कीं।
राघव की चीख़ें बता रही थीं कि किसी किसी ने तो राघव को कैबिनेट मंत्री तक बना दिया था।

फिर एक गाड़ी में राघव को डालकर उसे हरियाणा दिल्ली बॉर्डर पर फेंकने के लिये जब सत्या भाई के सातों दुश्मन निकले तब सत्त्या भाई का रास्ता खाली हुआ।
लेकिन उनके दिमाग में ये चीज़ छप चुकी थी
“नगेन्द्र मोती की निगाहों से कोई छोटी से छोटी चीज़ भी चीज़ छुप नहीं सकती।

महामानव।”

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2 thoughts on “सत्त्या भाई और राघव

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