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लेखक -राहुल दुबे

कौन थे वीर सावरकर ?

वीर सावरकर एक ऐसा क्रांतिकारी जिनका नाम हमेशा विवादों में रहता है !राहुल गांधी जैसे चमत्कारी लोग इनको कायर सावरकर कहते हैं ,तो साधारण भारतीय इनको वीर सावरकर कहते हैं। लेकिन वास्तविकता में कौन थे ये ?

वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था ।सावरकर एक ब्राह्मण जाति से आते थे। ब्राह्मण होने के बावजूद उनका मानना था कि hinduism एक धर्म नहीं बल्कि जिंदगी जीने का एक तरीका था। वो सबसे अलग थे। उन्होंने ऐसे मंदिर बनवाये थे जिसमें हर जाति के लोगो का स्वागत था। यही चीज उन्हें अंग्रेजों का सबसे बड़ा दुश्मन बनाती थी। वे पहले थे जिन्होंने कहा था कि 1857 की क्रांति सिर्फ एक बगावत नही थी बल्कि भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था।सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पूर्ण स्वराज की मांग की थी।

वीर सावरकर एक लेखक भी थे वे कविताएं लिखते थे ,वे किताबें लिखते थे।

विनायक एक तीव्र बुद्धि विद्यार्थी थे ।उन्हें लंदन जाकर पढाई करने के लिए छात्रवृत्ति भी मिली थी।

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के अंग्रेजों के ही घर में India House भारतीय क्रांतिकारियों के लिए सबसे बड़ा हब था।

उसमें मैडम कामा , वी एन चटर्जी और लाला हर दयाल जैसे क्रांतिकारी रहा करते थे ।ये लोग इटालियन और आयरिश क्रांतिकारियों से प्रेरित होते थे ,उन पर रिसर्च करते थे ।वहीं पर विनायक दामोदर सावरकर भी रहा करते थे। यहां उन्होंने गौर किया कि अंग्रेज तथ्यों को भारतीय लोगो से छुपा रहे हैं । इसलिए उन्होंने एक किताब लिखी Indian War of Independence in 1857 जो सभी क्रांतिकारियों के लिए पथ प्रदर्शिका का काम करती थी। यहां तक कि भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और सुभाष चन्द्र बोस के लिए भी ।

जब मदन लाल ढींगरा ने curzon wyllie को मार दिया उसमें वीर सावरकर को भी गिरफ्तार किया गया ।उन्हें अंडमान के सेलुलर जेल में रखा जिसकी कहानी आपने कहीं न कहीं सुनी ज़रूर ही होगी। वहां कैदियों का किस प्रकार शोषण किया जाता था, ये सबको पता है। वीर सावरकर ने वहां रहते हुए ये सोचा की यदि मैं यहीं रह जाऊंगा तो मैं हिंदुस्तान के किसी काम नही आऊंगा। शोषण झेलने के बजाय वो देशके बारे में सोचते रहे ।जेल में उन्हें साथी कैदी बड़े बाबू कहते थे, उनको अपना नेता मानते थे और विनायक एक बैरिस्टर भी थे ।उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता था, उन्होंने एक चिट्ठी लिखी सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि बाकी क्रांतिकारियों के लिए भी। लेकिन कुछ प्रतिशत लोग उनके चिट्ठी के लिए उनका उपहास उड़ाते है लेकिन कभी ये नही बताते है कि उन्होंने चिट्ठी क्यों लिखी, उनको उन सब चीजों के लिए दोषी ठहराया जाता है जो काम उन्होंने किया ही नही।।

विडंबना तो यह है कि आपको अहिंसा के पाठ, असहयोग आंदोलन के बारे में तो पढ़ने को मिलेगा ।लेकिन वीर सावरकर ,भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, मदनलाल ढींगरा जैसे लोग सिर्फ एक पंच लाइन बनकर रह गए हैं, कही खो गए हैं ।हमारे देश के लोग फैशन का हिस्सा बनकर विनायक दामोदर सावरकर जैसे क्रांतिकारी को बुरा भला कहते हैं, सिर्फ उनके योगदान को दरकिनार करने के लिए ।

आप अपने पसन्द के लोगों की अतिशयोक्ति पूर्ण प्रशंसा करो !हमें कोई परेशानी नहीं है ।लेकिन उन लोगो का उपहास तो न करो जिन्होंने वाकई देश के लिए कुछ किया है जो देशहित के बारे में सोचते थे ।।

आज विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है उनको मेरा कोटि कोटि प्रणाम और हां सावरकर वीर थे।। ~ राहुल दुबे

जय हिंद!!

लेखक -Exxcricketer.com के लिये राहुल दुबे

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One thought on “वीर सावरकर

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