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लेखक -विपुल

विपुल

विराट कोहली का दक्षिण अफ्रीका के महत्वपूर्ण दौरे के ठीक पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ मसालेदार बातें करके सौरव गांगुली को कठघरे में खड़ा करना कोई सीधी साधी बात नहीं है।न ही ऐसा है विराट ने अपने स्वभाव के मुताबिक दिल खोल के साफ बात की ,जैसा नरेटिव बनाया जा रहा है।

विराट के निशाने पर सौरव ऐसे ही नहीं है।दरअसल किसी भी ऐसे व्यक्ति को जो अपने क्षेत्र में बगैर रोकटोक के निर्बाध शासन कर रहा हो ,अपनी चला रहा हो ,उसे किसी दूसरे का नियंत्रण स्वीकार नहीं होता ।विराट जैसी शख्सियत को तो कतई नहीं।शुरू से समझिए।2014 -15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय विराट को भविष्य का सचिन कहा जाने लगा था।धोनी के बाद विराट को ही कप्तानी देने की बात हो रही थी।रवि शास्त्री टीम डायरेक्टर थे ।कोच कोई नहीं था।धोनी ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड और फिर भारत मे इंग्लैंड से लगातार टेस्ट सीरीज हार चुके थे ।

ऑस्ट्रेलिया से ज़रूर होम सीरीज जीते थे लेकिन धोनी की कप्तानी पर सवाल थे और ऑस्ट्रेलिया पहुँच के धोनी ने जैसे ही एक टेस्ट जैसे तैसे ड्रा करा पाया ,सन्यास ले लिया।कोहली ने एडिलेड टेस्ट दोनों पारियों में सेंचुरी मारी थी ।टाक ऑफ द टाउन थे।टेस्ट कप्तानी मिली कोहली को ।रवि शास्त्री की कोहली से अच्छी पटी।शास्त्री का मुंबई से होना और बॉलीवुड से सम्पर्क एक महत्वपूर्ण वजह थी पटने की।धोनी तब तक सीमित ओवर्स के कप्तान थे तो कोहली की बहुत मनमानी नहीं चलती थी।ड्रेसिंग रूम में।

2016 t 20 विश्वकप के बाद धोनी ने कप्तानी छोड़ दी ।लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के कारण बीसीसीआई अध्यक्ष सचिव का चुनाव भी नहीं हुआ।सी ओ ए करके एक कमेटी बनी। रामचंद्र गुहा ,विक्रम लिमये, रवि थोगड़े, पूर्व सी ए जी विनोद राय, पूर्व महिला क्रिकेटर डायना एडुलजी इसमें थीं

सी ओ ए के इन सदस्यों का पुरूष क्रिकेट से बहुत कम वास्ता था।इसलिए इन्होंने विराट कोहली पर लगभग सारे फैसले छोड़े।सी ए ए करके एक कमेटी थी जिसमें सचिन लक्ष्मण गांगुली थे जिनका काम केवल कोच चयन था। रवि शास्त्री के डायरेक्टर पद से हटने के बाद कोच चयन हुआ।अनिल कुंबले कोच बने-कोहली की शास्त्री को कोच रखने की इच्छा थी।लेकिन गांगुली और शास्त्री की किन्हीं कारणों से बनती नहीं थी।शास्त्री अपने चयन को लेकर इतने निश्चिंत थे कि खुद आकर इंटरव्यू देने की बजाय ऑनलाइन इंटरव्यू दिया।जिसका आधार बना शास्त्री की जगह गांगुली ने कुंबले को कोच बनाया ।विराट को ये खला

विराट ने इसे अपने अहम का सवाल बनाया।विराट और कुंबले की कभी नहीं बनी ।विराट की टेस्ट कप्तानी के तौर पर खुशनसीबी ये थी कि 2016 से 17 तक न्यूज़ीलैंड इंग्लैंड बंग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया से घरेलू मैदानों पर सीरीज थीं और अश्विन सुपर फॉर्म में थे।जडेजा की बोलिंग अच्छी थी तब

-इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में जयंत यादव और करुण नायर ने यादगार प्रदर्शन किया ।करुण यादव विराट को पता नहीं क्यों खास पसन्द नहीं आये ।300 रन बनाने के बाद अगले ही टेस्ट में वो बाहर थे ।यहाँ दो खास बातें नोट करने वाली थीं

उस समय में करुण नायर के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने टेस्ट पारी में विराट कोहली से ज़्यादा रन नहीं बनाए थे।विराट ने टेस्ट में कभी 300 का आंकड़ा नहीं छुआ।दूसरा करुण नायर कुंबले के गृहराज्य कर्नाटक के थे

17 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत आई।स्मिथ ने पहले टेस्ट में टर्निंग ट्रैक पर शानदार शतक बनाये। यादव ने कुछ खास नहीं किया ।तो अगले टेस्ट से वो बाहर हुये।फिर वो सीधे 2021 नवंबर में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ दिखे।ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ निर्णायक मैच तक कुलदीप यादव नहीं खेले थे

कुलदीप यादव को कुंबले का प्रिय शिष्य माना जाता था और जब चौथे और निर्णायक मैच में कोहली बाहर थे ,रहाणे कप्तानी कर रहे थे ,तभी उसे मौका मिला ।कुलदीप ने ठीक प्रदर्शन किया।इंडिया सीरीज जीत गई ।सेहरा कोहली के सर ही सज़ा।

2017 की चैंपियन ट्रॉफी क्रिकेट प्रेमी को याद होगी।किसी बड़े टूर्नामेंट में फाइनल में बैटिंग पिच पर टॉस जीतकर विरोधी टीम को बैटिंग कोई नहीं देना चाहेगा जबकि विरोधी पाकिस्तान हो और आप इससे पहले मैच में पाक के खिलाफ बैटिंग करके जीते भी हों लेकिन कोहली ने टॉस जीता और बोलिंग ली।

इस मैच पर किसी को फिक्सिंग का शक क्यों नहीं होता ,ऐसा मुझे अभी तक आश्चर्य है। हार्दिक पांड्या की ताबड़तोड़ बैटिंग के बाद जडेजा द्वारा रन आउट

Thinking face

. खैर वो अलग विषय है। तो इस मैच के बाद कुंबले और विराट की खुन्नस की खबरें बाहर आईं ।बाकायदा लीक की गई कि कुंबले से टीम खुश नहीं है।

आप माने या नहीं ,कुंबले भारतीय क्रिकेट में उतनी ही बड़ी शख्सियत हैं जितनी पटौदी , बेदी, गावस्कर, कपिल , ।कुंबले ने सारी बातें समझ अपनी इज़्ज़त बचाते हुये निकलना उचित समझा औऱ त्यागपत्र दिया।सबको ध्यान होना चाहिए कि कुंबले के उस इस्तीफे पर विराट की कैसी रूखी प्रतिक्रिया आई थी

अब विराट समझ चुके थे कि भारतीय क्रिकेट की सारी बागडोर उनके हाथ मे थी।वो खिलाड़ी के तौर पर सफल थे, कप्तान के तौर पर भी।एड वर्ल्ड और सोशल मीडिया में भी।अभी सी ओ ए कमेटी सदस्य उनके हिसाब से चलते थे।कोच चुनाव के लिये जब दोबारा सी ए सी बनी तो सचिन लक्ष्मण गांगुली सदस्य थे।

इन तीनों को पता था कि शास्त्री के अलावा कोहली किसी को टिकने नहीं देंगे तो उन्होंने चुपचाप शास्त्री को सेलेक्ट किया।इसके बाद भारतीय टीम के दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड दौरे थे ।के एल राहुल तब तक कोहली के बहुत खास बन चुके थे।राहुल का भी बॉलीव्वुड कनेक्शन था।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रहाणे (तब रहाणे विदेशी धरती पर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माना जाता था ) को हटाकर रोहित और राहुल को जगह दी अन्तिम 11 में।रहाणे का मनोबल यहीं से टूटा और दोबारा वो कभी उस लय में नहीं आया।बुमराह को पहला टेस्ट खिलाया गया यही ।येअच्छी बात थी।भुवनेश्वर ने कमाल बॉलिंग की थी

पहला टेस्ट भारत खराब बैटिंग से हारा।दूसरे टेस्ट में भुवनेश्वर को बैठा दिया गया जिसने पहली टेस्ट में अच्छी बॉलिंग की थी।राहुल टीम में थे।ये टेस्ट भी भारत हारा।तीसरे टेस्ट में भुवनेश्वर और रहाणे वापस आये भारत जीत गया।भुवनेश्वर मैन ऑफ द मैच।राहुल तीनों टेस्ट में फ्लॉप थे ।

भारत के इंग्लैंड दौरे पर राहुल सारे मैच खेले और दस पारियों में एक शतक लगाया।पंत का टेस्ट डेब्यू हुआ।उसने भी शतक लगाया।कुलदीप यादव को बिल्कुल घास वाली हरी पिच पर एक टेस्ट में मौका दिया गया

Thinking face

।कारण आप समझें ।भारत 4 -1 से हारा।घर लौट कर वेस्टइंडीज से दो मैच जीते टेस्ट ।

इंग्लैंड दौरे पर ये खास बात रही थी कि पुजारा पहले से इंग्लैंड में कॉउंटी खेल रहा था लेकिन उसे शुरू में नहीं खिलाया।बाद में उसे टीम में लिया औऱ एक शतक भी बनाया था उसने।खैर उसके बाद टीम ऑस्ट्रेलिया गई।ऑस्ट्रेलिया में पुजारा कमाल खेला ।3 शतक लगाए उसने।भारत पहली बार सीरीज जीतशास्त्री और विराट भावनाओं में बह गए।विश्वकप से बडी जीत बता दी इसे।विराट अब चरम पर पहुँच चुके थे।2019 में विश्वकप भी था।उनके कप्तान रहने में किसी को कोई संशय नहीं था।हार्दिक पांड्या ,के एल राहुल ,रविन्द्र जडेजा , ईशांत शर्मा खासमखास लोग थे।रोहित अश्विन पुजारा रहाणे अलग गुट था

विराट कोहली अपनी इच्छानुसार सीमित ओवरों के क्रिकेट से अवकाश लेते रहते थे।इसी दरम्यान रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत ने शार्दूल ठाकुर ,जयदेव उनाकट और विजय शंकर जैसे खिलाड़ियों के साथ नीदहास ट्रोफी और एशिया कप आसानी से जीता।कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल कमाल कर रहे थे

अश्विन जडेजा पिक्चर में नहीं थे।लेकिन 2019 एकदिवसीय विश्वकप टीम में हैरतअंगेज तौर पर जडेजा टीम में थे ।अम्बाती रायडू इसलिए नहीं थे क्योंकि उनकी फिटनेस कोहली के मुताबिक अच्छी नहीं थी।राहुल टीम में थे हमेशा की तरह।रोहित और धवन के बल्ले चले।धवन के चोटिल होने पर राहुल ने ओपन किया

यहाँ तक सब ठीक था।शमी को जब मौका मिला उसने भी परफॉर्म किया।सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ घसियाली पिच पर शमी की बजाय चहल खेले और भारत मैच भी हारा।यहीं से कोहली के खिलाफ माहौल बनना शुरू हुआ।इसके पहले सी ए सी से सचिन लक्ष्मण गांगुली हट चुके थे।

कपिल देव अंशुमान गायकवाड़ की सी ए सी ने 2019 में रविशास्त्री को 2021 तक के लिये फिर कोच चुन लिया था ।विश्वकप हारने के बाद कोहली के खिलाफ आवाज़ तो उठ रही थीं पर धीमे स्वर में जैसे दैनिक जागरण में खबर आई थी कि रोहित सेमीफाइनल में शमी को खिलाना चाहते थे लेकिन कोहली न माने

अक्टूबर 2019 में सौरव गांगुली बीसीसीआई के पूर्णकालिक अध्यक्ष बने और कोहली के युग की समाप्ति का प्रारंभ दिखने लगा।जय शाह सचिव थे जो कोहली के खास रामचन्द्र गुहा, विनोद राय ,शरद पवार जैसों के धुर विरोधी गुट के थे।इस समय तक कोहली एक इंटरनेशनल ब्रांड थे लिबर्ल्स के पोस्टर बॉय थे

अब कोहली को वो स्वतंत्रता नहीं थी जो पहले थी।हर बात की जवाबदेही थी।जानबूझकर इसी समय कोहली ने ऐसे एड या पोस्ट किये जिससे दक्षिणपंथी भडके, कोहली पर कुछ कहे करें तो जय शाह को टारगेट किया जा सके कि वो अपने कप्तान का बचाव इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि वो विपरीत विचारधारा का है।कोहली किसी भी हालत में सत्ता अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे।इधर गांगुली जय शाह भी अपना प्रभुत्व दिखाना चाहते थे। 2020 कोरोना में ही निकल गया ।आईपीएल दुबई में हुआ।ऑस्ट्रेलिया का दौरा हुआ ।कोहली ने पहले टेस्ट के बाद का पितृत्व अवकाश ले रखा था।पहले ही टेस्ट में भारत हारा।

36 आलआउट ,टीम का मोरल डाउन।कोहली वापस ।रहाणे ,जडेजा अश्विन के दम पर भारत मेलबर्न जीता ।अश्विन पंत विहारी ने सिडनी बचाया और गाबा में पंत ,सिराज ,शार्दूल ,सुंदर ,गिल सबने कमाल कर दिया।अप्रत्याशित रूप से भारत जीता कोहली के बगैर ।कुलदीप को यहाँ भी नहीं खिलाया गया था सनद रहे।

कुलदीप को क्यों चांस नहीं दिया था ,इसकी वजह ये थी कि कोहली को लगता था कि कुलदीप ने उसकी कोई शिकायत बाहर पत्रकारों से की है।शास्त्री ने इसलिए उसे चांस नहीं दिया।फिर टीम भारत आई इंग्लैंड से खेलने।जडेजा के चोटिल होने पर कुलदीप का चांस था लेकिन कोहली ने उसे नही खिलाया

शाहबाज नदीम को बाहर से बुलाकर खिलाया लेकिन कुलदीप को नहीं ।कोहली उससे इतना चिढ़ा था ज़्यादा आलोचना पर अगले एक मैच में कुलदीप को चांस दिया लेकिन बोलिंग फिर भी नहीं दी।यही नहीं भुवनेश्वर के बारे में खबरे भी प्लांट हुई कि वो टेस्ट नहीं खेलना चाहता।भुवनेश्वर को खुद सफाई देनी पड़ी

स्थिर भाव से गांगुली सब देख रहे थे।इंग्लैंड दौरे पर कोहली ने जानबूझकर अश्विन को पूरी सीरीज में बेंच पर बैठाए रखा क्योंकि उसने सुना था कि अश्विन ने गांगुली से उसकी शिकायत की थी।ये दादा को सीधा चैलेंज था।इसका जवाब कोहली को t20 विश्वकप में अश्विन का सेलेक्शन करके दिया गया।

यही नहीं उन वरुण चक्रवर्ती को टीम में डाला गया जिसे पूर्व में कोहली ने योयो टेस्ट पास न करपाने के कारण रिजेक्ट किया था।कोहली के चहेते चहल और सिराज को बाहर रखा गया ये सब कोहली को भड़काने को पर्याप्त था।धोनी को मेंटोर बना के कोहली औंर शास्त्री की प्रभुसत्ता को चुनौती दी गई

कोहली को इधर खुद लगा कि उसको बेइज़्ज़त करके कप्तानी से हटाया जा सकता है तो उसने t20 विश्वकप के बाद t 20 कप्तानी छोड़ने का शिगूफा छोड़ दिया था।बीसीसीआई ने अपने कप्तान का मान रखा।लेकिन उन्हें ये अखरा कि इस तरह कैसे कोई खुद अपनी कप्तानी रहने छोड़ने की बात करेगा ।

t 20 विश्वकप भारत हारा।पाकिस्तान से हारा।छीछालेदर हुई लेकिन कोहली को फिर भी टच नहीं किया गया।लेकिन अब कोहली को ज़्यादा बर्दाश्त करने के मूड में बीसीसीआई अध्यक्ष सचिव नहीं थे।कोशिश की गई कि कोहली खुद एकदिवसीय कप्तानी छोड़ें लेकिन कोहली को दादा जय शाह को नीचा दिखाना था।

सो कोहली अड़ा रहा।थकहार के बीसीसीआई ने खुद कोहली को कप्तानी से हटाया।एक सुनियोजित प्लान के तहत एक पीआर लॉबी ने रोहित और विराट के सम्बंध में खबरें प्लांट की जिससे विराट को अफवाह थामने के नाम पर प्रेस से रूबरूहोने का मौका मिले।मौका मिला कोहली ने शातिराना अंदाज़ में चौका जड़ा।

सीधे बीसीसीआई पे वार, गांगुली पे वार, जय शाह पर वार।कोहली को इस खेल में कोई नुकसान नहीं।अगर गांगुली या बोर्ड पीछे हटता है तो फिर से कोहली की ही चलेगी ।पब्लिक में विजेता दिखेगा अगर बोर्ड या गांगुली पलटवार करते हैं तो भी कोहली को फायदा।कोहली आज की डेट में 5000 करोड़ का ब्रांड है

कोहली अगर 100 टेस्ट मैच पूरे नहीं करता तो उसकी सेहत पर फर्क नहीं पड़ेगा।वो बहुत कमा चुका है ।रन भी ,रुपये भी।वो शहीद बनेगा और गांगुली और जय शाह के खिलाफ पूरी लिबर्ल्स की लॉबी उतार देगा।बोली ड्रग नेक्सस कोहली के साथ है। दोनों तरह से जीत कोहली की।

समाप्त|

लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के स्वयं के हैं |

लेखक-विपुल

विपुल

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