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राहुल दुबे

image credit -Navbharat Times

आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस है जानते है क्यों मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन( 11 नवंबर) Sayyid Ghulam Muhiyuddin Ahmed bin Khairuddin Al Hussaini का जन्म 1888 में हुआ था
इतना बड़ा नाम देखकर सोच तो रहे होंगे कि ये कौन सा तोप आ गया जिसके जयंती के दिन पूरा भारत राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मना रहा है ये Sayyid Ghulam Muhiyuddin Ahmed bin Khairuddin Al Hussaini भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे जिनको हमलोग मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जानते है।

लोग शिकायत करते हुए मिलते है कि हमारे इतिहास को हमारी ही इतिहास की किताबों में ढंग से नही पढ़ाया गया, धरती को मां मानने वाले देश में ग से गधा पढ़ाया गया, हमारा एजुकेशन सिस्टम ठीक नही है, तो जान जाइए इन सब की जड़ यही भाई साहब थे।

कुछ लोग मुझे एक मजहब विरोधी बोल सकते है लेकिन मैं यह नही समझ पाया कि जिस देश के दो टुकड़े एक मजहब के कारण हुए थे जहां सरकार बनने आजादी के मात्र 1 वर्ष पूर्व हिन्दू विरोधी दंगे हुए थे जिसके लिए गांधी जी अनशन पर बैठे थे( * ये तथ्य विवादित है) उस समय एक मजहब विशेष के व्यक्ति को शिक्षा मंत्री बनाना क्या ठीक था ? ख़ैर कई लोगो को यह भी लग सकता है, स्वामी विवेकानंद, शंकराचार्य के देश में अबुल भाई साहब भी उन्ही के स्तर के होंगे और आधुनिक शिक्षा के महान ज्ञाता होंगे, CV रमन , रामानुजन इनके चेले रहे होंगे तो भाई ऐसा नही था अबुल कलाम Bro मक्का में पैदा हुए थे मक्का के बारे में एक सहिष्णु हिन्दू से अधिक कौन जानता है तो मक्का में अवतरित हुए अबुल भाई साहब के बारे में ये हवा है कि ये भारत की आजादी की लड़ाई लड़े थे
खैर अभी शिक्षा के मुद्दे पर ही रुकते है तो अबुल कलाम Bro ने कभी उच्च शिक्षा प्राप्त ही नही करी थी, भाई साहब मदरसे से पढ़े थे, मतलब एकदम कबीर जी टाइप के फकीर थे अब एक फकीर से बढ़िया शिक्षा मंत्री कौन होगा ।।।
फकीर bro ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था का जितना गजब विकास किया है उसका परिणाम तो आपको दिख ही रहा होगा। इसको पढ़ने वाले लोग भी फकीर ही बनते है। अच्छा मैंने फकीर कहा तो आप मोदीजी को भी फकीर न मानियेगा अपने मोदीजी 10 लाख का सूट पहनते है इसलिए चिल रहिए मैं मोदी भक्त हूँ, इसलिए मोदी जी का विरोध मैं थोड़ी न करूंगा।

ये भाई साहब का ही कमाल था कि हमने जॉर्ज पंचम , लार्ड इरविन, लार्ड वैलेसेले , William बेंटिक , बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, औरंगजेब फलाने ढिमकाने के बारे में खूब पढ़ते है, लेकिन चोलवंश, राजा कृष्णदेव राय , विजयनगर साम्राज्य आदि के बारे में प्राथमिक शिक्षा के समय तो नही ही पढ़ते है।।

ख़ैर मौलाना जी के पक्ष में प्रचलित है कि वे भारत की आजादी के लिए लड़े थे जानते है कैसे लड़े थे खिलाफत आंदोलन के जरिये लड़े थे मौलाना साहब अब बस इसी से समझ जाइये कितने बड़े धर्मनिरपेक्ष रहे होंगे मौलाना साहब।

ख़ैर मक्का में जन्मे मौलाना bro के अब्बू 1857 की क्रांति के बाद भारत से भाग गए थे , क्यों भाग गए थे इसका कारण मुझे नही पता आप अपने अनुसार मान लीजिए – ये मान सकते है कि मंगल पांडेय की शहादत से ब्राह्मणों की फौज इतनी गुस्से में थी कि उन्होंने मौलाना जी के पिताश्री को खूब प्रताड़ित किया होगा क्योंकि ये लोग मुसलमान थे देखिए यही मानियेगा क्योंकि इनके अब्बू ने 12 किताबें लिखी थी मतलब प्रसिद्ध रहे होंगे इसलिए उनका अंग्रेजों के प्रति मोह ने उनसे देश छुड़वाया होगा ये ठीक नही है सोचना।।

ख़ैर ये बेचारे अकेले फकीर नही थे जिनको देश की शिक्षा व्यवस्था की कमान संभालने को मिली थी शुरुआती 5 ज्ञानी फकीर ही थे ऐसे ही नही है, हम धर्मनिरपेक्ष , नारीवादी, पितृसत्तात्मक सत्ता के विरोधी दबे कुचलो को सदैव आगे रखने वाले, ये फकीरी ही थी जिसने हमें बताया कि हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप हारे थे, इसी फकीरी ने ऐसी किताबें लिखवाई जिसमें अकबर महान है, औरंगजेब ने 12 मंदिरें तोड़ी तो 500 मंदिरें बनवाई, इसी फकीरी ने हमें बताया कि रेत में रहने वाले इस्लामिक आक्रांता 56 भोग को विकसित करने वाले थे।

इसी फकीरी ने मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्रीराम के चरित्र पर सवाल उठाए, पाठ्यक्रम ऐसे बनाये गए जिसमें हमारी अपनी संस्कृति को गाली दी गयी बाकियों की तारीफ की गयी।

ख़ैर ये फकीरी अभी चल रही है, प्रत्येक राष्ट्रीय शिक्षा दिवस यानी 11 नवंबर को भारत रत्न Sayyid Ghulam Muhiyuddin Ahmed bin Khairuddin Al Hussaini याद किये जाते रहेंगे।।

We Love You Sayyid Ghulam Muhiyuddin Ahmed bin Khairuddin Al Hussaini❤️

राहुल दुबे

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