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विपुल

विपुल

देखिये , मोदी हों योगी ,केजरीवाल या ममता या राहुल या कोई और ,ये केवल सत्ता प्राप्ति के लिये राजनीति में हैं ,बाकी लोगों की तरह ही।येन केन प्रकारेण सत्ता पाना और उसे बरकरार रखना ही इनका मकसद है ,बाकियों की तरह ही।बस योगी और मोदी की पीआर टीमें कुछ ज़्यादा ही अच्छी हैं।ये लोग सत्ता प्राप्ति के लिये तो हिंदुत्व के इस्तेमाल से गुरेज नहीं करते ,लेकिन हिंदुत्व के लिये सत्ता शक्ति के प्रयोग से इन्हें एतराज रहता है, विशेषकर मोदी को।योगी को एडवांटेज ये है कि ये खुल के खुद को हिंदू समर्थक दिखाते हैं आज़म खान पर मुकदमा लगाकर ,कांवड़ पर फूल बरसा ,सीएए विरोधियों पर लाठीचार्ज करवा कर कर अपने नंबर बढ़वा लेते हैं हिंदुत्ववादी युवाओं में

योगी

मोदी की बात बाद में ,पहले योगी की।
विकास दुबे का एनकाउंटर जीप पलटने से हुआ ।ठीक मैंने मान लिया वो अपराधी था।मुख्तार अंसारी या अतीक अहमद या आज़म खां की जीप नहीं पलटी ?राम मंदिर निर्माण ठीक ,पर राम मंदिर चंदे के ठेके देना ज़्यादा न बुलवाएं ,मैं भी डरता हूँ ।

योगी शासन में जितनी मौज स्वामी प्रसाद मौर्या या नंदी जैसे बसपा वालों के खास की रही ,हिंदुत्व वादियों की नहीं रही , अब जाने भी दो किस्से इतने हैं रात निकल जायेगी और किस्से खत्म नहीं होंगे।
मतलब योगी जी भी ने भी सत्ता के लिये वही सब किया जो दूसरे करते थे।
अंतर -शून्य ही तो रहा योगी ,अखिलेश या मायावती के कार्यकाल में ।चाटुकारों ने मौज काटी मेहनती रह ही गये।स्वामी प्रसाद मौर्या से रीता बहुगुणा जोशी तक देख लो न।

मोदी

कभी जालीदार टोपी न पहनने का दिखावा कर हिंदुत्ववादी शक्तियों से प्रशंसा पाने वाले नरेन्द्र मोदी मोदी अब जालीदार टोपी पहन कर अजमेर शरीफ ,चादर भी भिजवा रहे हैं ।एक हाथ में कंप्यूटर एक हाथ मे कुरान का नारा देकर ये भी बताते हैं कि अल्पसंख्यक विभाग का 98 प्रतिशत ध्यान केवल इस्लाम पर है।बौद्ध ,जैन या सिखों पर नहीं ।पालघर में ,छत्तीसगढ़ में ,केरल में ,बंगाल में सैकड़ों हिंदुत्व रक्षकों की हत्या पर उन मोदी के मुंह से शब्द न फूटा जो शबाना आज़मी की टांग में मोच आने पर चिंतित थे।

वेटिकन में पोप से हाथ मिलाकर गोआ चुनाव में ईसाई वोट पाने की लालसा रखने वाले मोदी ,आंध्र में राइस बैग कन्वर्ट जगन को खुलेआम धर्मांतरण करने में सहयोग करने वाले मोदी के मुंह से पालघर के साधुओं की मौत पर कुछ सुना कभी आपने ?

लाशों की राजनीति

देखो ,युवाओं कोई भी राजनीतिक पार्टी हो ,कांग्रेस, कम्युनिस्ट ,भाजपा या आप ,लाशों के ऊपर ही राजनीति कर पाती है।
कश्मीर, पंजाब ,केरल गुजरात या बंगाल ,कहीं भी।
कोठारी बंधु याद हैं ?उनके परिवार कहाँ हैं पता है ?कौन थे पता है ?


89 राममंदिर आंदोलन में शहीद हुये थे ये कोठारी बंधु ।भाजपा तभी बढ़ी और सपा भी

2002 में गोधरा काण्ड में निर्दोष हिंदू न मारे गये होते मुस्लिम दंगाइयों द्वारा और उसके बाद गुजरात दंगे न हुये होते तो क्या भाजपा आज जिस स्थिति में है ,होती ?
कांग्रेस ने अगर मुस्लिम मौतें भुनवाई तीस्ता सीतलवाड़ जैसी फ्रॉड को आगे करके ,तो भाजपा और मोदी ने गोधरा काण्ड की याद दिलाकर वोट बटोरे।

बात बात पर कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के वाकये बताने वाली भाजपा आपको नहीं बताएगी कि जब 89 में कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम हुआ था तब ये वीपी सिंह की सरकार में सत्ता के साझीदार थे।उन वामपंथी हरकिशन सिंह सुरजीत और सीताराम येचुरी के साथ ,जिन्हें आज भाजपाई पानी पी पीकर कोसते हैं ,गाली देते हैं ,देशद्रोही बताते हैं।

सब एक जैसे हैं

एक सीधी बात।
पानी के अंदर केवल वही प्राणी सांस ले पाते हैं जिनके गलफड़े होते हैं ,फेफड़े नहीं।
-मतलब कोई प्राणी अगर पानी के अंदर जीवित है तो वो गलफड़े वाला है बाकी पानी के प्राणियों की तरह।कोई अंतर नहीं ।
उसी तरह मोदी या योगी राजनीति में हैं तो उतने ही अच्छे या नीच हैं जितने बाकी सब
आप उनकी नीतियों को देख उन्हें वोट करें,हिंदुत्व के नाम पर नहीं।
उनकी नीतियां देखें ,आपको अच्छी या बुरी लगें ,उसी आधार पर ,उनकी नीतियों के आधार पर उनका समर्थन या विरोध करें।हिंदुत्व के नाम पर नहीं

और अंत में ,आप मेरी बात से सहमत हों या असहमत ,मुझे परवाह नहीं ,मैंने अपनी बात कह दी ।
सहमत हों तो दो और असहमत हों तो चार रोटी ज़्यादा खाना मेरी तरफ से।
(विपुल)

विपुल

लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के स्वयं के हैं।अन्य कोई जिम्मेदार नहीं।

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