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यूटयूबर टेशू और पेट्रोल पंप मालिक खेसारी

लेखक -विपुल

जौनपुर के मास्साब का लड़का टेशू बचपन से ही प्रेमीप्रवत्ति का था।सुंदर लड़कियों की गोद में जाकर खिलखिलाता था और चाचा ,ताया ,मामा ,फूफा जैसे पुरूष वंशी लोगों की गोद में जाकर रोकर मूत्र विसर्जन करता था, कभी कभी मलत्याग भी।
5 साल का होते ही प्राइमरी स्कूल की पहली कक्षा में टेशू का एडमिशन हुआ और उसका मन केवल इसीलिए स्कूल में लगा कि सिमी मैडम स्लीवलेस ब्लॉउज़ पहन के ,गॉगल लगाकर जौनपुरिया बच्चों को इंग्लिश पढ़ाती थीं, विशुद्ध भोजपुरी में।
ऊ देखो , रउआ को मनकिया बाइट कर रहा है।

टेशू इतना चिल्ला चिल्ला कर क्लास में रोता था कि सब परेशान हो जाते थे, शांत वो तभी होता था ,जब उसे पूनम ,शर्लिन और गहना के पास बैठाया जाता था

ये तीनों गांव के नौटंकी कम्पनी के मालिक राज की बेटियां थीं जो बहुत सुंदर थीं और सेक्सी भी।

सब सही ही चला स्कूल तक।फिर अमिताभ बच्चन बॉयज ओनली इंटर कॉलेज में छठे में एडमिशन हुआ टेशू का और राज की फैमिली गांव छोड़ कर चली गई ,पता नहीं कहाँ।

इस इंटर कॉलेज के आठवें क्लास तक पहुंचते पहुंचते टेशू मादर खोद औऱ भेंखोद गालियों के अलावा 1 हज़ार गालियाँ और सीख चुका था।और टेशू की विशेषता 1 ही गाली को 10 विभिन्न तरीकों से देने में मानी जाती थी।

ज्यादातर महापुरुषों की तरह हाईस्कूल तक पहुंचते पहुंचते टेशू भी गांजे, चरस, अफीम और भांग में अंतर जान चुका था।
झूम ,माधुरी, पी के आई की असली ,नकली टेस्ट की जानकारी कर चुका था।व्हिस्की, रम, बीयर और वोडका में अंतर जान चुका था।

यहां तक टेशू की ज़िंदगी में कोई दिक्कत नहीं थी।साइंस साइड से पढ़ रहा था मस्त ट्रिग्नोमेट्री और कैलकुलस के सवाल लगाते लगाते 33 प्रतिशत अंकों के साथ इंटर भी पास कर लिया था।

दिक्कत शुरू हुई जब टेशू ने पटना डिग्री कॉलेज में बीएससी में “चचा विधायक हैं हमारे” कोटे से एडमिशन लिया और पहले ही दिन एक पेट्रोल पंप पर वो गज़ब की खूबसूरत बिजली से टकराया ।
टेशू ने पटना की लेबर कॉलोनी में एक कमरा ले रखा था और हालांकि उसके पास बाइक नहीं थी ,लेकिन उसे खाने के साथ पेट्रोल सूंघने की आदत थी, इसलिए पेट्रोल लेने वो इस पेट्रोल पम्प पर स्प्राइट की डेढ़ लीटर की खाली बोतल लेकर आया था।

जुलाई के महीने में बरसते पानी के बीच टेशू की निगाहें बिजली के सफेद सूट से झांकती लाल ब्रा पर थी।वहीं एक जोड़ी निगाहें और देख रही थीं, बिजली की खूबसूरती और टेशू की बदनीयती को।
ये कुंदन लाल यादव था ।जो पटना के पास के एक गांव का एक शातिर व्यक्ति था ,जिसे उसके बाप ने इसलिए घर से निकाल दिया था क्योंकि उसने अपने बाप की 10 में से 5 भैंसे सट्टेबाजी की हार का पैसा चुकाने के लिये बेच दी थीं और उसे भैसों के साथ अप्राकृतिक सम्बन्ध बनाने की आदत थी।
भैसों के साथ, भैंसों के साथ नहीं।

यहाँ आकर इसने अपना नाम खेसारी लाल यादव रख लिया था, सब इसे खेसारी के नाम से ही जानते थे।यहां पेट्रोल पंप पर दिहाड़ी का लेबर था और शाम को चरस बेचता था।

तो हुआ यूं कि टेशू बोतल लेकर कुंदन के पास पेट्रोल लेने पहुंचा।शाम 5 बजे पानी बरस रहा था।कुंदन ने उसे मना किया ,टेशू निराश लौट रहा था , तभी सफेद सलवार सूट पहने बिजली भीगती हुई बोतल लेकर आई ।कुंदन ने उसे फ्रूटी की बोतल में पेट्रोल दिया।केशू ने ये देखा।वो कुंदन के पास आया ,तभी बिजली कड़की, बादल गरजे।

बिजली हड़बड़ाई और अचानक फिसली टेशू ने उसे सम्भालने का प्रयास किया ,पर फिर गिर गया।बिजली उसके ऊपर ।कुंदन जानबूझकर फिसला ।वो बिजली के ऊपर।

फिर सब हटे, बिजली शर्मा के निकल गई ।उसने पर्स से 100 का नोट निकाल के कुंदन को दिया था, पर एक पर्ची उसके पर्स से गिर गई थी।जिसे कुंदन ,टेशू दोनों ने देखा, बस बिज़ली ने नहीं।

फिर टेशू ने कुंदन को गाली दी कि उसने बिज़ली को क्यों बोतल में पेट्रोल दिया ,टेशू को क्यों नहीं।कुंदन समझदार आदमी था।उसका चरस बेचने का टाइम हो रहा था, उसने टेशू से उलझना उचित नहीं समझा और टेशू को भी बोतल में पेट्रोल दे दिया।ये एक प्रेम त्रिकोण की शुरुआत थी।

बिजली के पर्स से गिरे पर्चे को केशू ने उठाया।उसमें पीछे कुछ टेलीफोन नंबर लिखे थे और ये एक स्कूटर स्टैंड की पर्ची थी।तेज़ दिमाग टेशू ने वो नंबर और स्कूटर स्टैंड का पता दिमाग में नोट किया और कुंदन को ये पर्ची लौटा दी कि अभी वो आएगी।

टेशू कॉलेज में मन लगा के पढ़ाई कर रहा था और छात्र संघ के चुनाव में भी इन्वॉल्व था।दरअसल ऐसे ही युवा देश का भविष्य हैं ,पटना छात्र संघ के नेता ये बात जानते थे।वैसे भी पटना डिग्री कॉलेज में सिर्फ तीन काम होते थे, एडमिशन ,इलेक्शन और एग्जाम।
टेशू का एडमिशन हो चुका था, इलेक्शन होने वाला था।वो एक दाढ़ी वाले मिस्टर सिन्हा के गुट में शामिल हो गया था ,जो अव्वल दर्जे के लौंडेबाज़ आदमी थे और कॉलेज में पोर्न फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूटर भी थे।
तो जब मिस्टर सिन्हा पटना छात्र संघ का अध्यक्ष का चुनाव जीते तो टेशू को साथ लेकर नौटंकी देखने पहुंचे।मिजाज कुमार उपाध्याय महामंत्री बने थे ,जिनके और मिस्टर सिन्हा के बीच के मधुरतम रिश्ते पूरे कॉलेज में प्रसिद्ध थे।

नौटंकी में जब मिस्टर सिन्हा और मिजाज आपस में व्यस्त थे ,तब टेशू ने उसी लड़की को देखा जिसे उसने कुछ रोज पहले पेट्रोल पंप पर देखा था।उसका नाम अनाउंसेर ने मिस बिजली बुलाया था ।वो सरकाई लेओ खटिया पर सांस्कृतिक नृत्य कर रही थी।

टेशू और उसकी नज़रें मिलीं, वो मुस्कुराई।टेशू भी मगन होकर स्टेज पर चढ़ गया ,पर तुरंत ही एक दूसरा व्यक्ति भी स्टेज पर चढ़ा, ये कुंदन उर्फ खेसारी था।

तीनों डांस कर रहे थे कि अचानक स्टेज का तख्त टूट गया।तीनों गिरे।पर चोट बिजली को ज़्यादा लगी।तुरंत अस्पताल भर्ती करवाया गया उसे ।टेशू और कुंदन उसे डेली देखने जाते थे।अब टेशू के दिल में बिजली के लिये फीलिंग आ रही थी।

टेशू जब बिजली से बात करता था, तब उसे बस एक ही बात खलती थी।सामान्य लड़कियों के विपरीत बिजली की आवाज़ कुछ ज़्यादा मोटी थी।
इधर कुंदन का डेली बिज़ली से मिलने आना भी टेशू को खलता था।
तो एक दिन टेशू ने मिस्टर सिन्हा से अपने दिल की बात बताई और मिस्टर सिन्हा के इतने पॉवरफुल लिंक थे कि अगले ही दिन कुंदन पॉकेटमारी में गिरफ्तार हो गया और 7 दिन बाद छूटा ।इन 7 दिनों में टेशू और बिजली के सम्बंध और मधुर हो गए।

बिजली ने बताया कि वो अनाथ है ,अकेली रहती है।नौटंकी कम्पनी में नाचती है और एक अस्पताल में नर्स का काम भी करती है।उधर कुंदन को पता चल गया था कि उसे टेशू ने फंसाया है।

कुंदन को ये खराब लगा कि फंसाना ही था तो टेशू उसे स्मगलिंग में फंसाता ।ये पॉकेटमारी में फंसाना उसे अपनी तौहीन लगा।वो मौके का इंतज़ार कर रहा था।

कुंदन ने टेशू पर नज़र रखना शुरू किया।टेशू और बिजली डेली मिल रहे थे, रेस्टोरेंट में ,सिनेमा में पार्क में।एक रोज बिज़ली ने टेशू से कहा कि आज उसका जन्मदिन है।बिजली के घर पर आओ ,कॉफी पीने।

टेशू ,जिसने कभी ताजमहल नहीं देखा था, बौरा गया।शाम के 6 बजे ही वो केक लेकर बिज़ली के घर पर था।हैप्पी बर्थडेटू यू के बाद केक कटा ।और बिजली ने टेशू को केक खिलाया ,फिर स्विगी से आर्डर कोल्ड कॉफी उसे दी।

खाने पीने और कोल्ड कॉफ़ी के बाद टेशू को अपना सर भारी भारी लग रहा था।उसे अज़ीब सा नशा हो रहा था।उसे अज़ीब सी आवाज़ें सुनाई दे रहीं थीं।
“हो गया बेहोश ?”
“अच्छा माल फंसा है।”
फिर खेसारी की आवाज़!
मिस्टर सिन्हा की आवाज़!
मार पीट !
फायर!
शान्ति!

टेशू को पटना मेडिकल कॉलेज के एक बेड पर होश आया।मिस्टर सिन्हा, मिजाज, कुंदन उर्फ खेसारी सब खड़े थे।मुस्कुराते हुए।कुंदन ने टेशू को होश आते ही खिलखिला कर उसके गाल में चुटकी काटी।
“क्या हुआ था ?”
टेशू ने पूँछा।

मिस्टर सिन्हा ने पूरी बात बताई।दरअसल बिजली लड़की नहीं एक किन्नर था और चिकने चुपड़ें लड़कों को अपने जाल में फांसकर उन्हें भी ऑपरेशन कर किन्नर बनाता था।कुंदन ये बात जानता था।कुंदन मिस्टर सिन्हा का ही आदमी था।

जेल से छूटने के बाद कुंदन ने टेशू पर नज़र अपने बदले के लिये रखना चालू किया था।पर कुंदन पर मिस्टर सिन्हा नज़र रखे थे।हालांकि कुंदन को मनाने की बहुत कोशिश की थी ,मिस्टर सिन्हा ने कि जो हुआ भूल जाओ, टेशू आगे बहुत काम आएगा ।पर कुंदन नाराज़ था।

कुंदन को ये नहीं पता था कि बिजली इतना ज़ल्दी दांव खेलेगी।वो टेशूको निपटाने बिज़ली के यहाँ पहुंचा था ,पर उसने देखा बिजली टेशू को अपना शिकार बना रही है तो उसने मिस्टर सिन्हा को खबर की ।क्योंकि बिजली के साथ भी 3 लोग और थे।

मिस्टर सिन्हा अपना गैंग लेकर आये।बिजली और उसके साथियों के हाथ पैर तोड़ के कूड़ेगाडी में भरकर गंगा में बहा दिया।केशू को अस्पताल लाये क्योंकि नशा ज़हर हो चुका था हैवी डोज़ के कारण।

टेशू और कुंदन में अब दोस्ती दुश्मनी का माहौल है।मिस्टर सिन्हा का चरस गांजे का धंधा बदस्तूर चल रहा है।बिहार में कुंदन ये धन्धा सम्भाले है।टेशू को मुंबई
ब्रांच दी गई है।मिजाज भाई मनीष मल्होत्रा के यहाँ हैं आजकल।
टेशू अपनी पहचान छुपाने को यूटूबर बना है।कुंदन उर्फ़ खेसारी खुद को पेट्रोल पम्प का मालिक बताता है।

टेशू ने आज भी ताजमहल नहीं देखा।

सोशल मीडिया पर कुछ भी सम्भव है।
ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है।किसी वास्तविक व्यक्ति से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है।

लेखक -विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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