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लेखक -राहुल दुबे

रवीश जी की तारीफ का माहौल है।

नमस्कार! 

पिछले साल महान, क्रांतिकारी, निष्पक्ष पत्रकार श्री-श्री रवीश कुमार ने अपने प्रशंसकों से अपने फेसबुक पोस्ट के जरिये अपील की थी, कि इस महामारी के दौर में जब लोग मर रहे है ,तब जय शाह की बीसीसीआई के द्वारा  समाज की भावनाओं का अट्टाहस कर आयोजित हो रहे आईपीएल का हमें बॉयकॉट करना चाहिए ।वैसे तो रवीश जी बॉयकॉट जैसे शब्दों के घोर विरोधी है, जब ये शब्द एक हिन्दू मुसलमानों के शोषण से आजिज होकर कहे। लेकिन पूंजीवाद के विरोधी रवीश जी ने आईपीएल के बॉयकॉट की बात की थी और उसका असर ये हुआ कि पहले आईपीएल का पिछला संस्करण दो फेज में आयोजित हुआ और इस बार तो आईपीएल की मीडिया viewership में भी 28% तक कि गिरावट दर्ज की गई है ।ये मात्र रवीश के एक पोस्ट का कमाल था।


लेकिन आज हम रवीश के क्रांतिकारी चश्मे( ये अलग बात है कि रवीश जी ज़्यादातर चश्मा नही पहनते हैं क्योंकि उनकी 2 आँखों में नक्सल पंथ का चश्मा पहले से ही फिट है।) से ये जानने की कोशिश करेंगे कि आईपीएल में सामाजिक न्याय के लिए कितने बदलाव की आवश्यकता है या फिर पूंजीवाद के प्रतीक आईपीएल को बैन कर देना ही उचित है~ 

आईपीएल हिस्ट्री जानने का माहौल है।


2007 में T20 वर्ल्डकप के पहले संस्करण को सवर्ण जाति से आने वाले कप्तान धोनी और सवर्ण गौतम गम्भीर आदि के दम पर जीतने के बाद पूंजीपतियों के गैंग बीसीसीआई ने एक घरेलू T20 लीग की शुरुआत 2008 में की ।और इसको आप इत्तेफाक मानिए या षड़यंत्र! जिस क्रिकेट में कब्जा पहले ही मनुवादियों का था उस क्रिकेट के नए नवेले टूर्नामेंट में पहले 8 मालिकों में मात्र 1 मुस्लिम था! और सबसे साक्षर राज्य केरल से आने वाली टीम कोच्चि टस्कर्स को IPL के कुछ शुरुआती संस्करण के बाद ही हटा दिया गया था। ये अलग बात है कि उनके मालिक आपसी मारामारी में आईपीएल से हट गए । IPL में आजतक सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ नही किया है। देश मे अख़लाक़ को मार दिया गया, तबरेज को मार दिया गया , उमर खालिद को जेल भेज दिया गया, कोर्ट ने राम मंदिर बनने दिया, लेकिन ये आईपीएल चलता रहा।

शायद ये आईपीएल क्रिकेट के नाम पर मुसलमानों को प्रताड़ित करने के लिए शुरू किया गया था। आईपीएल के शुरुआती संस्करण में एक गेंदबाज उभर कर आया था, कामरान खान !उसने बड़े बड़े बल्लेबाजों को सकते में ला दिया था। लेकिन मात्र मुसलमान होने के कारण उसे आईपीएल से ही गायब कर दिया गया।2008 में भर-भरकर पाकिस्तानियों खिलाड़ियों को लिया गया था लेकिन जब आईपीएल सफल हुआ तो उन्हें मात्र इसलिए भगा दिया गया क्योंकि वे भी पैसा कमा लेंगे। मुसलमानों को त्रासदी में धकेलने के षड़यंत्र के साथ शुरू हुआ था आईपीएल !अब आलम तो यह है कि विश्व का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बाबर आजम भी भारत के 20 वर्षीय बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल से कम पैसे कमाता है ।देख रहे है न आप ? मुसलमानों की प्रताड़ना, ये तो आम बात है ।आईपीएल में अमीर और सशक्त मुसलमान सुपरस्टार शाहरुख़ खान को सिर्फ सिगरेट पीने के लिए वानखेड़े स्टेडियम से बैन कर दिया गया था। देख रहे है न आप? आपके पसंदीदा हीरो, युवाओं को प्रेरित करने वाले मुस्लिम सुपरस्टार को सिर्फ सिगेरट के लिए प्रताड़ित किया गया ।

लेकिन आपको क्या फर्क पड़ता है ?आप तो आईपीएल की धुन ये है इंडिया का त्योहार पर ही मोहित हो गए । आपको ये साधारण बातें नही समझ में आई।देश का युवा बेरोजगार है लेकिन खिलाड़ियों को करोड़ो मिल रहे है ।लेकिन उन्होंने कभी आपकी आवाज उठाई ,सोचिए ?मैंने नौकरी सीरीज में 19 एपिसोड किये तो मुझे आईटी सेल से गालियों का इनाम मिला। लेकिन किसी भी आईपीएल प्रेमी युवा ने मेरा एक भी प्राइम टाइम एपिसोड नही देखा । कोहली को देखने के लिए आपने 600 का हॉटस्टार का सब्सक्रिप्शन तक ले रखा होगा ,🤢🤢🤢। लेकिन मैं तो फ्री हूँ।

हा हा हा।

फ्री का माहौल है

लेकिन फ्री की वैल्यू ही क्या है ? देख ही लीजिए दिल्ली में बिजली फ्री करने पर केजरीवाल जी को लवणासुर राक्षस के नाम से सम्बोधित करते है।लेकिन क्या उन करोड़ो कमाने वाले खिलाड़ियों ने आपके रोजगार की चिंता की ? नही की। लेकिन ये हिंदी मीडियम में पढा युवा आईपीएल को best लीग न बताने पर विदेशी लोगो को खासकर मेरे पाकिस्तानी भाइयों को गाली देते हुये आपको ट्विटर पर दिख जाएगा। लेकिन अपने भविष्य की चिंता नही करेगा। इन युवाओं के अनुसार ये आईपीएल ही सबकुछ है। और तो और आईपीएल प्रायोजक सिंगल युवाओं को भटकाने के लिए सुंदर-सुंदर युवतियों को भी टीवी पर दिखाते हैं ।लेकिन बेरोजगारी से परेशान ,हिन्दू-मुस्लिम करने से मानसिक स्थिति को अस्थिर कर चुके युवा को नही दिखाते। फिर भी ये आईपीएल देखने के लिए बेचैन हैं। कई बार तो मुझे इनबॉक्स में लोग कह जाते है

बीसी आईपीएल पर भी कुछ लिख दिया कर।

मनुवादी आईपीएल का माहौल है।

अब बताइये मेरे जैसा व्यक्ति जिसको युवाओं की चिंता है, देश मे प्रताड़ित हो रहे अब्दुल की चिंता है । वो कैसे आईपीएल पर लिख दे ?लेकिन कुछ खबर तो मैं भी रखता ही हूं । ही ही ही।

तो आइए आपको बताता हूं कैसे आईपीएल में मनुवादियों ने एक विशेष षड्यंत्र से अपना कब्जा जमाकर रखा है ।आपको पता है आईपीएल गवर्निंग कौंसिल का चेयरमैन कौन है ?ब्रजेश पटेल है ।मतलब एक प्रिविलेज्ड कुर्मी , और उसके सदस्यों में अरुण धूमल एक सवर्ण है, प्रज्ञान ओझा ब्राह्मण है, जय शाह एक बनिया है और देश के गृह मंत्री का पुत्र भी है ।क्यों भाई जय भीम ,जय मीम ? चौंक गए ?

अभी तो रुको !आईपीएल में सर्वाधिक समय तक रनों की सूची को जिसने लीड किया था यानी सुरेश रैना वो ब्राह्मण है।वो ब्राह्मण होने का दम्भ भी भरता है। लेकिन कभी उसने तुम्हारे उपर 5000 वर्ष पूर्व हये अत्याचार पर रैना ने दुख जताया ? नहीं जताया न ! तुमको पता है

सर्वाधिक आईपीएल खिताब जीतने वाले दोनों कप्तान सवर्ण हैं ।

तुमने सोचा कभी, मुर्गे को इतने बेहतरीन ढंग से हलाल करने वाला कोई अब्दुल आजतक ऑरेंज कैप क्यों नहीं जीत पाया ?

इतना अच्छा पत्थर फेंकने वाला कभी पर्पल कैप क्यों नहीं जीत पाया ?

क्यों सोचोगे तुम्हे तो व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी से कुछ और ही पढ़ाया जाता है। फिर भी तुम इन अत्याचारी लोगों को अपना मान के चाय की टपरी पर अपने दोस्त से इनके लिए लड़ रहे हो।

अरे जाग जाओ मूर्खो ! इन IT सेलियों के फैलाये आडम्बर में न पड़ो ।अम्बानी की पत्नी आईपीएल फाइनल में प्रभु को प्रार्थना करते दिखती है ।कभी नमाज पढ़ते देखा है उसे ?

ये लोग कट्टर हिंदुत्व के प्रतीक हैं।ये आईपीएल तुम्हे जलील करने के लिए हर साल खेला जाता है ।ये आईपीएल सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का एक मंच है, जहां तुम्हे हर वक्त दोजख का एहसास दिलाया जाता है ।लेकिन तुम मस्त हो इस आईपीएल के अंधकार को अपनी रोशनी मान चुके हो। हे दलित पुत्र! हे मुसलमान भाई! ये आईपीएल तुम्हारे लिए है ही नहीं।

लेकिन मैं क्या ही कर सकता हूँ ? मुझमें इतना सामर्थ्य कहाँ है है कि मैं स्वयं ही आईपीएल को बंद करा दूं ! मैं तो तुम्हे मात्र आगाह कर सकता हूँ। इसके बदले मुझे गालियां ही मिलेंगी। भले ही आईपीएल से बीसीसीआई हजारो करोड़ रुपये कमा रहा है ,लेकिन उसे तुम्हारी चिंता कतई नहीं है । ये सत्य है! लेकिन तुम्हें इस बात की परवाह भी नहीं है ।मैं तो अपना गिलहरी प्रयास कर रहा हूँ। (देखिए मैं भी एक बात कहने के लिए रामायण के प्रसंग का उदाहरण दे रहा हूँ ) ।

मेरे भाई इस आईपीएल में यहां पर सब दलित मुस्लिम विरोधी ही हैं ,कोई भी तुम्हारे लिए चिंतित नही है !

अब देखना है तुम इसे कब समझते हो।उम्मीद करता हूँ जब तक तुम समझोगे, देर न हो जाये।

आईपीएल ना हमारा है ,ना तुम्हारा है ।

कहीं देर तो नहीं हो गई ?

समझ गये न ?

।।नमस्कार…..

लेखक -राहुल दुबे

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