विक्रम राठौड़
भूले बिसरे खिलाड़ी
भाग 13- विक्रम राठौड़
लेखक -विपुल
सलामी बल्लेबाज ,कठिन परीक्षा
विक्रम राठौड़ उन चुनिंदा भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें हमेशा कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ा है।
दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज और विकेटकीपर विक्रम राठौड़ का अंतरराष्ट्रीय वनडे डेब्यू शारजाह में 15 अप्रैल 1996 को मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में पाकिस्तान के खिलाफ हुआ था ,जिसमें सचिन के साथ ओपनिंग करने उतरे थे और मात्र 2 रन बना पाये थे।वकार योनिस ने आउट किया था।
इस पेप्सी शारजाह कप सीरीज के अगले दो वनडे मैच विक्रम राठौड़ ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले।दूसरे में 50 और तीसरे मैच में 23 रन बनाए और अपना स्थान भारत के जून में होने वाले इंग्लैंड दौरे के लिये सुरक्षित किया।
1996 का इंग्लैंड दौरा
1996 में भारत के इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट से पहले मई में वनडे सीरीज हुई थी जिसके तीन मैचों में विक्रम राठौड़ सलामी बल्लेबाज के तौर पर खेले और तीनों वनडे मैचों में क्रमशः 23 ,7 और 54 रन बनाए और टेस्ट खेलने के लिये अपनी दावेदारी मजबूत की।
1988 से पंजाब के लिये रणजी खेलने वाले विक्रम राठौड़ जून 1996 के भारत के इंग्लैंड दौरे पर तीनों टेस्ट मैचों और बहुत सारे प्रथम श्रेणी मैचों में सलामी बल्लेबाज के तौर पर खेले।
विक्रम राठौड़ का टेस्ट डेब्यू 6 जून 1996 को बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ हुआ, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के टेस्ट डेब्यू से ठीक एक मैच पहले।
डेब्यू
1988 से पंजाब के लिये रणजी खेलने वाले विक्रम राठौड़ जून 1996 के भारत के इंग्लैंड दौरे पर तीनों टेस्ट मैचों और बहुत सारे प्रथम श्रेणी मैचों में सलामी बल्लेबाज के तौर पर खेले।
विक्रम राठौड़ का टेस्ट डेब्यू 6 जून 1996 को बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ हुआ, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के टेस्ट डेब्यू से ठीक एक मैच पहले।
डेब्यू मैच में विक्रम राठौड़ के ओपनिंग पार्टनर अजय जडेजा थे जिन्होंने पहली पारी में 0 और दूसरी में 6 रन बनाए थे ।
विक्रम राठौड़ ने इस टेस्ट की पहली पारी में 20 रन बनाए और दूसरी में 7।
जबकि श्रीनाथ ने पहली पारी में 52 ,पारस महाम्ब्रे ने 28 बनाये थे।सचिन ने दूसरी पारी में शतक मारा था।
भारत मैच हारा।
20 जून 1996 को लॉर्ड्स में शुरू हुये सीरीज के दूसरे मैच में विक्रम राठौड़ के ओपनिंग पार्टनर नयन मोंगिया थे।ये मैच राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के डेब्यू के लिए याद किया जाता है।इस मैच में विक्रम राठौड़ ने पहली पारी में 15 रन बनाए।दूसरी पारी मिली नहीं ।
सीरीज के तीसरे मैच में विक्रम राठौड़ ने पहली पारी में 4 रन बनाए ,दूसरी पारी में शायद चोट के कारण बल्लेबाजी करने नहीं आये।
1996 के भारत के इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट मैचों में लचर प्रदर्शन के बावजूद विक्रम राठौड़ ने विभिन्न कॉउंटी टीमों के खिलाफ तीन दिवसीय और प्रथम श्रेणी मैचों में कमाल की बल्लेबाजी की थी और 58 के एवरेज से 700 से ज़्यादा रन बनाए थे।
भारत में मात्र एक टेस्ट
विक्रम राठौड़ अक्टूबर 96 में दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस टेस्ट में नयन मोंगिया के सलामी पार्टनर थे जिसमें मोंगिया ने शतक बनाया था।विक्रम राठौड़ के इस टेस्ट में स्कोर 5 और 14 थे।
दक्षिण अफ्रीका दौरा 1996
विक्रम राठौड़ को सचिन की कप्तानी में हुये दक्षिण अफ्रीका के 1996 97 के कठिन दौरे के लिये फिर चुना गया ।इस सीरीज के पहले डरबन मैच में विक्रम राठौड़ के सलामी जोड़ीदार डब्ल्यू वी रमन थे जिनके दोनों पारियों में स्कोर क्रमशः 0 और 1 थे।
भारत की पूरी टीम पहली पारी में 100 ,दूसरी में 66 पर आउट हुई थी ।विक्रम राठौड़ ने पहली पारी में 7 दूसरी में 2 रन बनाए।
सीरीज के दूसरे मैच से विक्रम राठौड़ ड्राप किये गए।जोहान्सबर्ग में 16 जनवरी 1997 को खेले सीरीज के तीसरे मैच में नयन मोंगिया के साथ ओपनिंग की।पहली पारी में 13 दूसरी में 44 रन बनाए।।अपनी पहली ओपनिंग अर्धशतक साझेदारी की विदेशी पिच पर ।मैच ड्रा रहा।
पर यही मैच इनका आखिरी टेस्ट मैच साबित हुआ।
15 फरवरी 1997 को जिम्बाब्वे के खिलाफ बुलवाओ में अपना आखिरी वनडे मैच खेले जिसमें 34 रन बनाए।
अंतरराष्ट्रीय आंकड़े
विक्रम राठौड़ ने सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलते हुये 6 टेस्ट मैचों की 10 पारियों में कुल 131 रन बनाये हैं ।
13.10 एवरेज
34.20 स्ट्राइक रेट से।कोई शतक अर्धशतक नहीं।बेस्ट 44
वहीं राठौड़ ने 7 वनडे मैचों में 27 के एवरेज और 58 के स्ट्राइक रेट से 193 रन बनाए हैं।
2 अर्धशतक। बेस्ट 54।
महान प्रथम श्रेणी खिलाड़ी
विक्रम राठौड़ भारतीय डोमेस्टिक सर्किट के सर्वकालिक महान खिलाडियों में से एक हैं।
फर्स्ट क्लास में 49 के एवरेज से 11 हज़ार से अधिक रन हैं।लिस्ट ए में लगभग 34 के एवरेज से 3 हज़ार से अधिक रन।
टीम इंडिया से बाहर होने के बाद अगले लगातार दो रणजी सीज़न में लगभग 1000 रन बनाए थे।
मूल्यांकन
अभी विक्रम राठौड़ टीम इंडिया के बैटिंग कोच भी हैं।
मेरी नज़र में विक्रम राठौड़ बहुत उम्दा खिलाड़ी थे जिन्हें विदेशी पिचों पर लगातार मौके केवल सलामी बल्लेबाज के तौर पर मिले।घर पर मात्र एक टेस्ट मिला।इनके पास दूसरे खिलाड़ियों जैसा नीचे छुपने का ऑप्शन नहीं था और तब भारत की टीम में इतना आत्मविश्वास भी नहीं था।डोनाल्ड क्लूजनर पोलॉक अपने चरम पर थे ।
और इंग्लैंड में तो पहली सीरीज में विराट कोहली भी फेल हुये हैं और के एल राहुल भी।
लेखक -विपुल
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