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हृषिकेश कानितकर

भूले बिसरे खिलाड़ी
भाग 10 – हृषिकेश कानितकर
लेखक -विपुल

पुरानी ट्विटर आईडी exx_cricketer
नई ट्विटर आईडी old_cricketer
25/06/2022

यादगार चौका

18 जनवरी 1998 की सर्द शाम ।ढाका का इंडिपेंडेंस कप फाइनल। भारत पाकिस्तान का वो मैच ।दादा की दादागिरी ।रोबिन सिंह का रुतबा और हृषिकेश कानितकर का वो विजयी चौका!
अगर आपको याद नहीं तो मतलब आप 90 के क्रिकेट फैन हैं ही नहीं।

2 गेंदों पर 3 रन बनाने थे और सकलैन मुश्ताक पर लेग साइड में विजयी चौका लगाकर हृषिकेश कानितकर ने एक परीकथा को अंजाम दिया था जिसके किस्से आज भी लोग बड़े चाव से सुनते हैं।भारत ने पाकिस्तान को एक रोमांचक फाइनल में, नेल बाइटिंग फिनिश में 300 से ऊपर का स्कोर बना के हराया था ।जिसके हीरो नवोदित हृषिकेश कानितकर मात्र एक चौके से बन गए थे। सचिन ,सौरव और रॉबिन सिंह को पछाड़कर!

1993 -94 में महाराष्ट्र रणजी टीम के लिए संजय मांजरेकर की मुंबई टीम के खिलाफ डेब्यू करने वाले हृषिकेश कानितकर बाएं हाथ के एक अच्छे बल्लेबाज और दाएं हाथ के ठीकठाक ऑफ़ स्पिनर थे, वो वैरायटी जो पहले भारत में बहुत थी !अब नहीं है ज़्यादा।

वनडे में अच्छी शुरुआत

25 दिसम्बर 1997 को इंदौर में एक ऐसे वनडे में हृषिकेश कानितकर का अंतरराष्ट्रीय डेब्यू हुआ जिसमें 3 ओवर बाद ही पिच खराब होने के कारण मैच रद्द हो गया था, मतलब दुर्भाग्य शुरू से ही कानितकर के साथ था।दूसरा मैच 10 जनवरी 1998 ढाका इंडिपेंडेंस कप में बांग्लादेश के खिलाफ खेले।7 ओवर बौलिंग में 27 रन दिये और नॉटआउट 13 रन बनाए ।भारत मैच जीता।

इंडिपेंडेंस कप 1998 के फाइनल में विजयी चौके सहित 11 रन बनाने के पहले हृषिकेश कानितकर ने 6 ओवर गेंदबाजी में 34 रन बिना विकेट लिये दिए थे।उसके बाद 98 में भारत में खेली गई भारत ऑस्ट्रेलिया जिम्बाब्वे ट्राइसीरिज में कानितकर ने अच्छा प्रदर्शन किया था।

अपने चौथे और इस ट्राइसीरिज के पहले मैच में हृषिकेश कानितकर ने अपना एकमात्र अंतरराष्ट्रीय अर्धशतक (57) बनाया।कोची में 1 अप्रैल 98 को खेले गए इस मैच में कानितकर ने 8-0-46-1 का स्पेल फेंक कर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय विकेट रिकी पोंटिंग के रूप में लिया।
इसी मैच में सचिन 10-0-32-5 का बौलिंग स्पेल फेंक मैन ऑफ द मैच रहे।

अपने पांचवे मैच में हृषिकेश कानितकर ने ज़िंबाब्वे के खिलाफ 35 (31) की पारी खेली और एलिस्टर कैम्पबेल और मरे गुडविन जैसे धाकड़ बल्लेबाजों के दो विकेट लिए।

निरंतरता नहीं रही

इसके बाद अपने 34 वनडे मैचों के अंतरराष्ट्रीय कैरियर में मात्र दो बार हृषिकेश कानितकर 30 रनों से अधिक की पारी खेल पाए।
ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध शारजाह में 19 अप्रैल 1998 को और फिर 30 जनवरी 2000 को पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के ही खिलाफ अपने वनडे कैरियर के अंतिम मैच में।

1998 में सहारा कप टोरंटो में पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के चार मैच खेले ,पर 4 मैचों में इनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 24 था ।विकेट 3 थे।

हृषिकेश कानितकर के एकदिवसीय के आंकड़े कुछ यूं हैं बल्लेबाजी
34 वनडे, 27 इनिंग
339 रन ,17.84 एवरेज
स्ट्राइक रेट 66
अर्धशतक 1
बेस्ट 57

गेंदबाजी में 47.23 के एवरेज और 4.78 की इकोनॉमी से 17 विकेट लिये हैं।
बेस्ट 2/22

ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट

हृषिकेश कानितकर सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में 1999 – 2000 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गये थे।
26 दिसंबर 1999 के मेलबर्न बॉक्सिंग टेस्ट में डेब्यू किया।
पहली पारी में 11 दूसरी पारी में 45 बनाये ।जो इस पारी में सचिन तेंदुलकर के 52 के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था।भारत मैच बुरी तरह हारा था।


दूसरा मैच 2 जनवरी 2000 से सिडनी में हुआ जिसमें भारत पारी से हारा ।इसमें हृषिकेश कानितकर के स्कोर 10 और 8 थे।
दो टेस्ट में मात्र 1 ओवर फेंका था कानितकर ने।
कानितकर इस टेस्ट के बाद कभी टेस्ट नहीं खेले।

महान रणजी खिलाड़ी

हृषिकेश कानितकर का प्रथम श्रेणी में कमाल रिकॉर्ड है ।52 के एवरेज से 10 हज़ार से ज़्यादा रन और लिस्ट ए में 35 के एवरेज से 3500 रन।
74 फर्स्ट क्लास और 70 लिस्ट ए विकेट।
दो बार रणजी विजेता।
उन तीन खिलाड़ियों में से एक जिन्होंने केवल रणजी में 8 हज़ार से ज़्यादा रन बनाए हैं।

कभी कभी लोग कहते हैं हृषिकेश कानितकर को केवल एक चौके के दम पर इतने चान्स मिले ।मैं सहमत नहीं।

टेस्ट में कम मौके


इस खिलाड़ी के साथ अन्याय हुआ है।कानितकर एक बेहतरीन टेस्ट तकनीक वाला बल्लेबाज था जिसकी बलि 1999 -2000 के उस ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद दे दी गई जिसमें केवल सचिन चले थे और एक दो मैच में गांगुली।मात्र एक पारी में लक्ष्मण।


गेंदबाजी बहुत खराब रही थी हमारी।
और मात्र 4 टेस्ट पारियों में से 1 पारी में कानितकर ने 45 रन बनाए थे जिसमें उससे अधिक केवल सचिन का स्कोर 52 रन था।ये 45 रन ऑस्ट्रेलिया के मैकग्राथ, ब्रेट ली, फ्लेमिंग ,वार्न के खिलाफ़ मेलबोर्न में थे।

मुझे लगता है ,कानितकर को टेस्ट में और चान्स मिलने चाहिए थे।मात्र 2 टेस्ट वो भी मैकग्राथ एंड कम्पनी के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में खिलवा कर ड्राप करना गलत था।


इस हिसाब से राहुल ,रहाणे और कोहली तो बहुत भाग्यशाली रहे हैं जो मात्र एक विदेशी दौरे पर खराब प्रदर्शन के बाद निकाले नहीं गए ।

पुरानी ट्विटर आईडी exx_cricketer
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25/06/2022


लेखक – विपुल
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