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लेखक :-आयुष अग्निहोत्री

जनरल बिपिन रावत

8 दिसंबर 2021 को देश में सब कुछ सामान्य चल रहा था किठीक उसी समय एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया ।
भारतीय वायुसेना का MI 17 V5 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया।
जिसमे भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी एवं 12 अन्य सैनिक सवार थे। दुर्भाग्यवश उनमें से 13 लोगों को बचाया नहीं जा सका।


इसके बाद सोशल मीडिया पर एक ऐसा भूचाल आया कि लोग 2 धड़ों में बंट गए। एक तरफ वो लोग थे जो वास्तव में इस घटना से दुखी थे ,वहीं दूसरी ओर वो लोगभी थे जो इस घटना के बाद जश्न मना रहे थे। कुछ वेटेरन भी इसी ग्रुप में शामिल थे। कुछ लोगों ने तो खबर की आधिकारिक पुष्टि होने का भी इंतजार नहीं किया और खुद ही विश्लेषण कर डाला।
सवाल ये है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसको रक्षा क्षेत्र में राष्ट्रपति के बाद सबसे बड़ा पद प्राप्त हो उसके निधन पर खुश होना जायज है? एक ऐसा व्यक्ति जिसने भारत की तीनो सेनाओं को एक साथ लाने के लिए एवं उनको आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, क्या उनके निधन पर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आप कुछ भी लिख एवं बोल सकते हैं? कहीं न कहीँ अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा को भी निर्धारित किया जाना चाहिए कि आप कितना बोलने के लिए आजाद हैं, ऐसा नही कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आप कुछ भी बोल सकते हैं।

ऐसे लोगों को चिन्हित करके इनके ऊपर ऐसी कारवाई की जानी चाहिए जोकि भविष्य में ऐसी किसी भी हरकत करने बाले के दिल में खौफ भर दे। जनरल रावत ही थे जिन्होंने सबसे पहले ढाई मोर्चों की बात की थी।
एक मोर्चा चीन का बताया, एक मोर्चा पाकिस्तान और बांग्लादेश का और आधा मोर्चा देश के अंदर बैठे आस्तीन के सांपों का। इस घटना के बाद वो आधा मोर्चा भी सामने आ गया।

UN का राणा अयूब के समर्थन में ट्वीट –


UN का राणा अयूब के समर्थन में ट्वीट –

राणा अयूब एक विदेशी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की पत्रकार और भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के झंडाबरदारों में से एक हैं। उन पर अभी कुछ दिन अयूब पर पहले ई डी ने मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया है। जिसमें आरोप ये लगाया गया कि राणा अयूब ने कोरोना काल के दौरान लोगों से सहायता के नाम पर चंदा इकट्ठा करके उसका गलत इस्तेमाल किया। राणा अयूब ने कुछ रकम प्रधामनंत्री राहत कोष में भी दी।

ये वही राणा अयूब है जिन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष की खुलकर आलोचना की थी। ई डी के केस दर्ज करने के बाद UN ने राणा अयूब के समर्थन में ट्वीट किया। यह वही यू एन है जो कश्मीर मुद्दे पर मीटिंग करता है, भारतीय मुसलमानों पर चिंता व्यक्त करता है और चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर आंख मूंद कर बैठ जाता है।

गुजरात भाजपा का ट्वीट –

गुजरात भाजपा का ट्वीट –

2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल बम धमाकों के केस का जब फैसला आया तो उसमें 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा दी गई और बाकी के 11 को उम्र कैद। गौर करने वाली बात ये है कि सभी आतंकवादी धर्मविशेष के थे। इसी को लेकर गुजरात भाजपा ने एक कार्टून ट्वीट किया जिसमें आतंकवादियों को फांसी पर लटका दिखाया गया। इस ट्वीट के तुरंत बाद अभिव्यक्ति की आजादी के ठेकेदारों ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भाजपा को मुस्लिम विरोधी करार दिया और कहने लगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता।

ये वही लोग हैं जिन्होंने कर्नाटक में हुई हर्षा की हत्या के विरोध में एक शब्द नहीं बोला और उसको हिन्दू आतंक से जोड़ दिया एवं गुजरात भाजपा के ट्वीट पर रोना शुरू कर दिया।इससे हम समझ सकते हैं कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी का एजेंडा कितना सेट है और ये लोग सिर्फ अपने फायदे के अनुसार अपना एजेंडा चलाते हैं।

आयुष अग्निहोत्री

लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के स्वयं के हैं ,जिसके लिए लेखक के अलावा कोई उत्तरदायी नहीं है |

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