राहुल दुबे
नमस्कार मैं रविश कुमार
कल भारत और पाकिस्तान के बीच हुए एशिया कप के मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया, इससे कट्टर राष्ट्रवादियों में खुशी की लहर है, भारत के जीतते ही उन्होंने गलियों को पटाखे से धुंआ धुंआ कर दिया था, लेकिन उनका यह जश्न क्रिकेट की साख पर बट्टा है, क्रिकेट एक जेंटलमैन गेम है, इसमें राष्ट्रवाद जैसे शब्दों की कोई जगह नही है, लेकिन 2014 के बाद से बदलते माहौल ने क्रिकेट को भी बदलकर रख दिया है।।
कल के मैच में भारत ने अपने सगे पाकिस्तान को धूल तो चटा दी और इससे मैं भी खुश हुआ लेकिन मेरी यह खुशी तब काफूर हो गयी जब मैंने जीत के हीरो हार्दिक को यह कहते हुए सुना कि बॉलर नवाज मेरे से डर रहा था। क्या यही जेंटलमैन Game क्रिकेट है, जहां एक गरीब अल्पसंख्यक की भावना का मजाक एक अमीर ब्राह्मण उड़ा रहा है, मैंने प्रिय पाकिस्तान के नए नए लड़के नसीम शाह को खेल के मैदान में संघर्ष करते हुए देखा उससे मेरा दिल पसीज गया यदि मैं टीम का कप्तान होता तो मैं उसी पल पाकिस्तान को विजयी घोषित कर देता मात्र उनके खिलाड़ियों के संघर्ष के लिए लेकिन BCCI जिसपर मनुवादियों का कब्जा पहले से है आखिर वे ऐसी मानवतावादी चीजे क्यों करेंगे।
कुछ लोग इसे पिछले साल मिली हार का बदला भी कह रहे है, मैं इससे हतप्रभ हूँ आखिर अपने सगे पाकिस्तान जिसने हमें आये दिन अपने वीर सैनिकों की अंतिम यात्राओं में एकजुट होने को मजबूर किया है, उनसे बदला कैसा । बदला तो उर्वशी रौतेला को ऋषभ पंत से अपने अपमान का लेना था लेकिन कायर पंत खेला ही नही।
बदला तो जडेजा को हार्दिक से 2017 की चैंपियंस Trophy के फाइनल में Run Out कराने पर मिली गालियों का लेना था लेकिन वे तो सगे भाइयों की तरह भारत को जीत दिला गए यदि उन्होंने बदला नही लिया तो पाकिस्तान से कैसा बदला। हमारा देश किस दिशा में जा रहा है, कौन जिम्मेदार है इसके लिए ।
भारत को जीत की बधाई लेकिन मेरा दिल उन पाकिस्तानी आवाम के लिए फटा जा रहा है, जिन्होंने पिछली बार मिली जीत को इस्लाम की जीत बताया था, आज हिंदूवादी इस बात का भी उपहास उड़ा रहे थे , क्या हम ऐसे समाज का निर्माण कर रहे है जहां किसी के विचारों का मजाक एक वर्ष बाद भी उड़ाया जा रहा हो।
देश के लिए आज हार्दिक, जडेजा, भुवि, रोहित शर्मा जैसे मनुवादी हीरो है लेकिन मैं उन लोगो की पीड़ा को समझने की कोशिश कर रहा हूँ जिन्होंने पाकिस्तान की जीत के लिए खूब दुआएं पढ़ी थी, NIT श्रीनगर में छात्रों को आज का मैच देखने से मना किया था ।।
प्रिय भारतवासियों हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जहाँ हम अपनी खुशी को भुलाकर दुःखी पाकिस्तानियों से हमदर्दी जताए ना कि उन्हें चिढाकर उन अल्पसंख्यको पर जुल्म करे।।
मैं आपसे निवेदन कर सकता है, बाकी आपकी मर्जी आप चाहे पटाखे जलाए या फिर लाहौर के अब्दुल के गम को बाँटे सोचना आपको है की हमें कैसे समाज का निर्माण करना है।
नमस्कार!!
राहुल दुबे
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अगर रवीश कुमार को पाकिस्तान से इतनाहीं प्यार है तो उन्हे पाकिस्तान ही जाकर बस जाना चाहिए।
Raja Rabish Kumar Jindabad!