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ब्रा ब्रा साहब
लघुकथा
प्रस्तुति -विपुल

कहानी चुरू से शुरू हुई जहां मैं गणित का युवा लेक्चरर विपुल अपने कॉलेज के प्रिंसिपल रमाकांत जी के लिये नोएडा से असली बासमती चावल लेने पहुंचा था।
बस में एक युवा सा दिखता वृद्ध व्यक्ति अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था और” वाह राहुल” बोल उठा।
“के एल राहुल?”
“नहीं! राहुल कसवां!”


ये युवा सा दिखता वृद्ध व्यक्ति राजनेता राहुल कसवां का भाषण सुन के ऑर्गेज्म ले रहा था और मुझे लगा ये के एल राहुल का फैन था।
पर फिर भी इसी बहाने हम दोनों की दोस्ती हो गई।
सत्या साइंटिस्ट चौधरी नामके इस व्यक्ति ने मुझे चूरू में धर्मशाला में ठहराने में मदद की, बासमती चावल खरीदवाये।


वहां से मेरे नोएडा लौटते लौटते हम दोनों गाढ़े दोस्त हो चुके थे।फोन नंबर रूम नंबर जूता नंबर चढ्ढी नंबर सब साझा हो चुके थे हमारे।
लौट के मैंने अपने कॉलेज के प्रिंसिपल रमाकांत जी को चूरू के असली बासमती चावल दिए जो उन्होंने कॉलेज की आया माया को दे दिए।
मुस्कुराते हुए।
मेरे कॉलेज के ठीक सामने एक बैंक थी और कॉलेज खत्म होने के बाद मैं उस बैंक में जरूर जाता था। मेरी पीठ पीछे लोग कहते थे कि मैं उस बैंक की आदिवासी भूटानी कैशियर सपना मंझा को तकने जाता था, पर असलियत में मैं ट्राइबल ह्यूमन फेस पर रिसर्च कर रहा था।
सुंदर तो थी वैसे वो 🥰🥰


आज फिर मैं बैंक के अंदर बेंच पर बैठा उसके फेस पर रिसर्च कर रहा था तो उसने मुझे इशारे से बुलाया।
मैं शरमाया हुआ पहुंचा तो उसने मुझे एक कार्ड दिया।
“शादी से पहले या शादी के बाद”
“हकीम रमजानी!”
“ये क्या है?”
मैंने पूंछा!
“मर्द है तो सीधे आई लव यू बोल दे ना! वरना यहां चला जा!”
स्तब्ध रह गया मैं।
मेरी और सपना की प्रेम कहानी शुरू हो गई।


रमाकांत जी का प्रिंसिपलशिप के अलावा साइकिल स्टैंड का धंधा भी सही चल रहा था।
इसी दौरान सत्या साइंटिस्ट चौधरी का भी नोएडा, मेरे रूम पर आना जाना लगा रहता था।
वो अक्सर मेरे कॉलेज के सामने वाली बैंक में भी जाता था।
इतने अमीर आदमी का मेरे रूम पर रुकना!
ये मुझे मेरी दोस्ती का नतीजा लगता था जो सत्या मेरे रूम में रुकता था, मेरी स्कूटी भी इस्तेमाल करता था नोएडा आने में।
खैर!
वो बताता था कि वो रेडिमेड गारमेंट का धंधा भी करता है और अभी जे एन यू से स्कॉलरशिप लेकर एक विशेष तरह के कपड़ों पर रिसर्च कर रहा है।
खैर!
एक दिन सपना ने मुझसे अपने बैंक में कुछ संदिग्ध लेन-देन को लेकर एक अजीब बात बोली।
“विपुल, यह बहुत अजीब है।एक अनजान अकाउंट में हर महीने लाखों रुपए जमा हो रहे हैं।जब मैंने गहराई से जांच की,तो पता चला कि यह पैसा पुरानी इस्तेमाल की हुई लेडीज ब्राओं के व्यापार से जुड़ा हुआ है!”
“क्या बकवास है?” मैं हंसा
“नहीं यार!” सपना बोली” मैंने पता किया, ये ब्राएँ एक खास गिरोह द्वारा खरीदी जा रही हैं इन्हें तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।इस गैंग का सरगना कोई ब्रा ब्रा साहब है।”
ब्रा ब्रा साहब का नाम मुझे पहली बार सुनने को मिला।

ब्रा ब्रा साहब
कौन था ये?
ब्रा ब्रा साहब का नाम अगली बार मुझे अगले ही दिन सुनने को मिला
जब मेरे कॉलेज का नशेड़ी चपरासी राहुल स्टोररूम में किसी से बातें कर रहा था!
“ब्रा ब्रा साहब का राज़ कभी नहीं खुलेगा,” राहुल किसी को फुसफुसा कर कह रहा था।
“ब्रा ब्रा साहब कौन है?”
दूसरे आदमी ने उससे पूंछा।
” ब्रा ब्रा साहब कौन है,ये कोई नहीं जानता, लेकिन इतना तय है कि वह शहर में तस्करी के सबसे बड़े गिरोह का सरगना है और बड़ा खूंखार आदमी है।”
राहुल बोल रहा था।
वैसे राहुल में व्हाइटनर और बूटपॉलिश के नशे करने के अलावा कोई बुरी आदत न थी, पर अभी वो नशे में नहीं था।
मेरा दिमाग घूम गया।


राहुल का एक छिनरा दोस्त आयुष था जिससे मैं ब्रा ब्रा साहब के बारे में कुछ जानकारी निकलवा सकता था।आयुष को मैं अविनाश आर्केस्ट्रा ले गया और जब उसने अपने लवर को धोखा दो गाने पर नचनिया लोगों का डांस कई बार देख लिया तो मैंने उससे ब्रा ब्रा साहब के बारे में पूंछा।
आयुष लौंडियाबाजी के चक्कर में अंडरवर्ल्ड के बारे में अच्छी जानकारी रखता था।
आयुष ने सनसनीखेज जानकारी दी।
“भाई,ब्रा ब्रा साहब बहुत ऊंचा उड़ने लगा है अब। उसके दुश्मन भी कई बन गये हैं।
मैंने सुना है कि शहद माफिया मुक्की रामपुरिया भी ब्रा ब्रा साहब से दुश्मनी रखते हैं।”
ये मुक्की रामपुरिया की ब्रा ब्रा साहब से दुश्मनी क्यों हुई?ये सनसनीखेज बात पता चली।
मुक्की रामपुरिया और ब्रा ब्रा साहब पहले पुरानी ब्रा बेचने खरीदने के धंधे में पार्टनर थे,पर तब इन ब्रा में केवल सोने की तस्करी होती थी, ड्रग्स की नहीं।
मुक्की रामपुरिया ड्रग्स के खिलाफ था।
इसलिये मुक्की रामपुरिया ब्रा ब्रा साहब से अलग हो गये।
मैंने मुक्की रामपुरिया से मिलने का फैसला किया।

मुक्की रामपुरिया एक 90 वर्षीय बुजुर्ग थे, जो अपनी मीठी जुबान और चालाकी के लिए मशहूर थे।
उन्होंने बोला
“बेटा,ब्रा ब्रा साहब का असली रूप जानना चाहते हो?ध्यान से सुनो।यह आदमी और नहीं,बल्कि तुम्हारा अपना दोस्त सत्या साइंटिस्ट चौधरी है!”
मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं।
“सत्या?यह असंभव है!”
मुक्की रामपुरिया हंसे
“वही तो!यही तो इस खेल की सबसे बड़ी चालबाजी है।उसने एक हाई-प्रोफाइल बिजनेसमैन की पहचान बनाई है,लेकिन असल में वह एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर है।”


“और नई बात सुनो।”
मुक्की रामपुरिया मेरे मज़े लेते बोले।
तुम्हारे कॉलेज का प्रिंसिपल रमाकांत भी इस गैंग में शामिल है!
तुम्हारे कॉलेज की प्रयोगशाला में जो पुराने कपड़े रिसाइक्लिंग के लिए आते थे,असल में उनमें ड्रग्स और माइक्रोचिप्स छुपाकर तस्करी की जाती थी।”
मामला बहुत गंभीर था।
मैंने अब अपने दोस्त के छोटे भाई सब इंस्पेक्टर विजयंत खत्री को ये सब बात बताई जो मेरे कॉलेज के पास बनी पुलिस चौकी का इंचार्ज था। ईमानदार हवलदार दीपक यादव उसका पक्का साथी था

“अगर ब्रा ब्रा साहब को पकड़ना है, तो हमें सबूत चाहिए,” ईमानदार हवलदार दीपक यादव ने कहा।
विजयंत ने खुफिया पुलिस के अपने संपर्कों का इस्तेमाल किया। कुछ मुक्की रामपुरिया ने अपने स्तर पर मदद की और और पता चला कि अगले हफ्ते सत्या उर्फ़ ब्रा ब्रा साहब का सबसे बड़ा सौदा होने वाला था।
होटल नीलकमल कमरा नंबर 9।
अब मुझे विजयंत ने अपने प्लान में शामिल किया।
मैं नियत दिन पर नियत समय पर सीधे सत्या उर्फ ब्रा ब्रा साहब से मिलने पहुंचा। होटल नीलकमल कमरा नंबर 9।
सत्या मुझे देख हड़बड़ाया।
“विपुल, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
मैं मुस्कुराया
“मुझे पता है सब कुछ, सत्या!मुझे भी अमीर बनना है।”
सत्या कुछ देर मुझे घूरता रहा फिर कुटिलता से हंसा।


सत्या ने कुटिलता से हंसते हुए कहा, “बहुत होशियार बन रहे हो, दोस्त।लेकिन तुम गलत चक्करों में फंस गए हो।”
“मतलब?”
“विजयंत और दीपक भी मेरे लिये काम करते हैं। यहां आज कोई असली सौदा नहीं होने वाला। ये जाल तुम्हारे लिये बनाया गया है?”
मैं सन्नाटे में आ गया
“ये क्या हो गया यार?”
आज दुनिया के सामने असली ब्रा ब्रा साहब का राज खुलेगा जो तुम हो जो एक मैथ टीचर बन के रहते थे और मैं इज्जतदार बिजनेस मैन और जे एन यू स्टूडेंट सत्या चौधरी तुम्हें पकड़वाएगा रंगे हाथों पुरानी ब्रा में छुपाई ड्रग्स की तस्करी करते हुए।”
सत्या चौधरी मजे लेता बोला।
मैं पसीने पसीने था।
“मुक्की रामपुरिया तुम्हें नहीं छोड़ेगा।अगर मुझे कुछ हुआ!”
मैंने अपना अंतिम अस्त्र चला।
सत्या चौधरी ठहाके लगा के हंसा।
“मुक्की रामपुरिया मेरा ही आदमी है। राहुल आयुष सब मेरे प्यादे हैं जिन्होंने तुम्हें बेवकूफ बनाया।”
“आज तुम्हारे रूप में असली ब्रा ब्रा साहब पुलिस पकड़ ले मामला खत्म।”
“और पुलिस सिर्फ तुम्हें पकड़ेगी ही नहीं! पुलिस तुम्हारा एनकाउंटर भी करेगी। जिससे ब्रा ब्रा साहब दुनिया और पुलिस की नजरों में हमेशा के लिये खत्म हो जाए और मैं आराम से अपना ये बिजनेस कर सकूं।”


सत्या मुस्कुरा के मेरे मज़े ले रहा था।अचानक मेरे पीछे से किसी ने आकर मुझे पकड़ा और एक इंजेक्शन लगा दिया। मैं बेहोश हो गया।
जब मुझे होश आया तो होटल नील कमल के उसी कमरा नंबर 9 में मैं बैठा था। मेरे अगल बगल पुलिस और प्रेस वाले थे।
मेरे आगे एक बड़े से सूटकेस में पुरानी लेडीज ब्रा और कुछ सफेद पावडर के पैकेट से थे और सब इंस्पेक्टर विजयंत खत्री शान से बता रहा था कि उसने असली ब्रा ब्रा साहब को पकड़ लिया है।
मैं कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं था। एक पुलिस जीप मुझे पुलिस हेडक्वार्टर ले गई और वहां मुझसे मिलने सपना आई।
मुझे और झटका लगा जब पता चला कि सपना भी इस प्लान में शामिल थी।
पर वो ये नहीं चाहती थी कि मैं मारा जाऊं।
फिर भी मेरे एनकाउंटर की तैयारी हो गई।
अगले रोज मुझे कोर्ट पेशी पर ले जाया जाना था।
एक पुलिस जीप में जिसमें केवल मैं विजयंत खत्री और ईमानदार हवलदार दीपक यादव थे, मुझे कोर्ट ले के जा रहे थे। शायद एनकाउंटर होना था मेरा पर अप्रत्याशित रूप से विजयंत और दीपक ने मुझे नहीं मारा।
बल्कि एक पोलीथीन में एक पिस्टल कुछ कपड़े, कुछ रुपए एक मोबाइल और एक कागज पकड़ा के निकल लिये।
उस कागज में लिखा था।
“बड़े भाई। मुझे आपका एनकाउंटर करना था, पर मेरी अंतरआत्मा ने गवारा नहीं किया।
इस मोबाइल का नंबर केवल मेरे पास है।किसी तरह सपना से मिलें और उसे ख़त्म कर दें। सब सही हो जायेगा। असली ब्रा ब्रा साहब सपना है। वो खत्म सब खत्म। बाकी को मैं सम्भाल लूंगा।”


ये विजयंत और दीपक ने मेरी जान बख्श दी थी, पर ये नया खेल मुझे हत्या के केस में फंसाने को तो नहीं था?
मैं कुछ सोच नहीं पा रहा था।
ये एकदम सूनसान इलाका था जहां मैं था।
मैं वहां से अपने कपड़े बदल,विजयंत के दिए पैसे और मोबाइल लेकर निकला, आबादी के एरिया के पास आया और एक धर्मशाला पहुंचा।
मुझे अभी सपना की वास्तविकता जाननी थी, पर दैव योग हुआ।
मैं जिस धर्मशाला में रुका था, वो सुनसान में थी बहुत सस्ती थी और यहां अच्छे लोग ज्यादा नहीं आते थे।
पर ये अपराधियों के मिलने का अड्डा भी थी।
मुझे कमरा देकर वहां का मैनेजर कहीं चला गया था। और दोपहर बाद वहां अचानक कई कारें आईं।
डर के मारे मैं कांप रहा था। वैसे भी मैनेजर धर्मशाला के मेन गेट के अलावा मेरे कमरे में भी बाहर से ताला लगा गया था कि किसी को पता न चले कि मैं यहां हूं। पता नहीं किससे डर रहा था।
मेरे कमरे में जो दराज थी उससे बाहर हाल में जो बैठे थे सब दिख रहे थे।
वास्तव में सपना ही सरगना थी। वो कुर्सी पर बैठी थी।
सत्या और मुक्की उसके आगे नजरें झुकाए खड़े थे।
विजयंत और दीपक उनके पीछे।
सपना उन सबको डांट रही थी।
पता नहीं वो सब सपना से क्यों डरते थे।
फिर असली वजह पता चली।
सपना आम लड़की नहीं काले जादू वाली जादूगरनी थी।
सच में!
उफ्फ!


उसने पलक झपकते ही मुक्की रामपुरिया को भालू बना दिया और सत्या चौधरी को बंदर।
विजयंत और दीपक को उसने कोई जानवर न बनाया क्योंकि वो पहले ही पुलिस वाले बन चुके थे।
शायद सपना को अब तक पता नहीं कि विजयंत और राहुल ने मेरी जान बख्श दी थी।
वो पैसों का हिसाब लगा रही थी।
तभी!
मेरी जेब में पड़े विजयंत के दिए मोबाइल में वाइब्रेशन हुआ।
एक मैसेज आया था।
” मुझे पता है आप यहां हैं।इसे केवल वोही मार सकता है जिसने न कभी शराब पी हो, न सिगरेट और न कभी स्त्री संसर्ग किया हो। आप ऐसे ही हैं।
आपको बस इसके मुंह पर थूक देना है ये भस्म हो जायेगी।”
“पर मेरे कमरे के बाहर तो ताला लगा है।”
मैंने रिप्लाई किया।
“चिंता मत करें!”उधर से मैसेज आया।
अचानक विजयंत सपना से बोल उठा।
“मैडम!
हमारा शिकार इस जगह ही है। क्या आप सामने के इस कमरे का ताला खोल सकती हैं?”
सपना मुस्कुराई।
उसने कुछ किया,ताला खुल गया।
अगले ही पल वो मेरे सामने थी।


“अंतिम इच्छा!” वो अदा से मुस्कुराई।
“एक किस ” मैं भी झोंक में बोला।
उसने मेरी तरफ अपने होंठ बढ़ाए और मैने उसके चेहरे पर थूक दिया।
वो हड़बड़ाई और मैं थूकता चला गया।
उसका शरीर अजीब सी आग में जल कर भस्म हो गया।
उसकी राख बची।
मुक्की और सत्या वापस अपने रूप में आ गये।
पर कहानी अभी बाकी है।
सपना के काले जादू से निकलने के बाद मुक्की और सत्या की मानसिक हालत ठीक करने को इलाज करवाना पड़ा।रमाकांत विदेश भाग के किसी आचार्य के अनुयायी बन गए।विजयंत और दीपक जादूगरनी के जाल से छूट गए।
पुलिस फाइलों में ब्रा ब्रा साहब का गैंग बंद हुआ बताया गया।
पर सुनते हैं कि अभी भी वो गैंग चल रहा है।
ज्यादा पता नहीं।
🙏
प्रस्तुति – विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित – Exxcricketer.com

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