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साकेत अग्रवाल

भाग 1

भाग 2

FIFA फुटबॉल विश्वकप – शुरू से अब तक
(भाग – 3)

ग्यारहवां विश्वकप (1978 अर्जेंटीना)

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ग्यारहवां विश्वकप (1978, अर्जेंटीना)

राजनीतिक उठापटक के चलते अर्जेंटीना को विश्व कप की मेजबानी देने का विरोध हुआ |1976 में वहां सेना का शासन हो गया, 1977 तक तो ये सोचा जाने लगा था कि विश्वकप अर्जेंटीना में हो भी पाएगा या नहीं?

तत्कालीन फीफा अध्यक्ष जो हैवलेंज, जो स्वयं एक दक्षिण अमेरिकी(ब्राजील) थे, किसी भी हालत में मेजबान बदलने को राजी नहीं थे।

बहरहाल विश्वकप अर्जेंटीना में ही हुआ। ब्राजील, नीदरलैंड और पश्चिम जर्मनी अपनी प्रतिभा के बल पर और अर्जेंटीना अपने घरेलू दर्शकों के समर्थन के बल पर जीत के दावेदार थे।

ग्रुप मैच में ट्यूनीशिया ने मैक्सिको को हराया और विश्वकप के फाइनल राउंड में मैच जीतने वाला पहला अफ्रीकी देश बना।

प्रारंभ में 4-4 के चार ग्रुप बनाए गए। इन ग्रुपों की टॉप 2 टीमों से 2 नए ग्रुप बने। ग्रुप A में ऑस्ट्रिया इटली पश्चिम जर्मनी और पोलैंड की टीमें थी। ग्रुप B में अर्जेंटीना, ब्राजील पेरु और पोलैंड की टीमें थी।

ग्रुप ए में इटली जीत का दावेदार था पर नीदरलैंड पहले स्थान पर रहा। ग्रुप बी में स्थिति बड़ी रोचक थी। अंतिम दिन ब्राजील और अर्जेंटीना अंकों में आधार पर बराबरी पर थे| इसका अर्थ ये था कि दोनों टीमें अपना अंतिम मैच जीत भी लेती हैं तो अधिक गोल करने वाली टीम फाइनल में खेलेगी। ब्राजील ने पोलैंड को 3-1 से हराया। अब फाइनल में पहुंचने के लिए अर्जेंटीना को 4 गोल की आवश्यकता थी, अर्जेंटीना ने 4 नहीं बल्कि 6 गोल कर दिए और फाइनल में पहुंचीं।

अर्जेंटीना और नीदरलैंड्स फाइनल में थे। इन दोनों ने पहले कभी विश्वकप नहीं जीता था लेकिन फाइनल में हार अवश्य चुके थे। अर्जेंटीना 1934 में और नीदरलैंड 1974 में।

फुल टाइम तक दोनों टीमों ने एक-एक गोल किया तो मैच अतिरिक्त समय में पहुंचा। यहां अर्जेंटीना ने 2 गोल और कर दिए और नीदरलैंड को 3-1 से हराकर नया विश्व चैंपियन बना।

ग्यारहवां विश्वकप :-
विजेता – अर्जेंटीना, उपविजेता – नीदरलैंड
फाइनल – अर्जेंटीना 3 – नीदरलैंड 1

बारहवां विश्वकप (1982 स्पेन)

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बारहवां विश्वकप (1982, स्पेन)

इस विश्वकप में टीमों की संख्या बढ़ाकर 24 कर दी गई।

1970 के बाद ये पहला अवसर था जब ब्रिटेन से तीन टीमें आईं | इनमें इंग्लैंड भी शामिल था। अल्जीरिया ने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए विश्वकप जीत की दावेदार पश्चिम जर्मनी को 2-1 से हराते हुए विश्वकप का एक बड़ा उलटफेर किया।

हालांकि इसके बाद भी पश्चिम जर्मनी की टीम सेमीफाइनल में पहुंची। सेमीफाइनल में पहुंचने वाली अन्य टीमें इटली, पोलैंड और फ्रांस की थी।

सेमीफाइनल में इटली ने पोलैंड और पश्चिम जर्मनी ने फ्रांस को हराया। पश्चिम जर्मनी चौथी बार फाइनल में पहुंचा था।

फाइनल में इटली ने पश्चिम जर्मनी को 3-1 से हराया और विश्व चैंपियन बनें। विश्वकप शुरू होने के पहले किसी ने नहीं सोचा था कि इटली चैंपियन बनेगा लेकिन अब वो फुटबॉल के विश्व विजेता थे।।

मेराडोना जैसे खिलाड़ी की उपस्थिति के बावजूद गत विजेता अर्जेंटीना का प्रदर्शन इस विश्वकप में बहुत खराब रहा।

बारहवां विश्वकप :-
विजेता – इटली, उपविजेता – पश्चिम जर्मनी
फाइनल – इटली 3 – पश्चिम जर्मनी 1

तेरहवां विश्वकप (1986 मैक्सिको)

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तेरहवां विश्वकप (1986, मैक्सिको)

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ये विश्वकप कोलंबिया में होना था लेकिन कोलंबिया के मना करने के बाद ये विश्वकप मैक्सिको में हुआ।

1986 का यह विश्वकप पूरी तरह से मेराडोना का विश्वकप सिद्ध हुआ। पूरे विश्वकप में मेराडोना चीते की तेजी जैसे खेला। जब अधिकतर टीमें सुरक्षात्मक खेल को अपना रहीं थीं तब मेराडोना अपने आक्रामक खेल, तेजी और फुर्ती के कारण पूरे विश्वकप पर छाया रहा।

क्वार्टर फाइनल में मेराडोना ने इंग्लैंड के विरुद्ध एक अद्भुत गोल किया जिसे “हैंड ऑफ गॉड” कहा जाता है। मेराडोना के इस गोल को विश्व इतिहास का सबसे विवादित गोल भी कहा जाता है।

बेल्जियम की टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची, अन्य टीमें थी फ्रांस, पश्चिम जर्मनी और अर्जेंटीना।

मेराडोना के दो गोल की मदद से अर्जेंटीना फाइनल में पहुंचीं, अन्य सेमीफाइनल में फ्रैंच टीम पश्चिम जर्मनी का मुकाबला नहीं कर पाई।

पश्चिम जर्मनी और अर्जेंटीना के मध्य सेमीफाइनल बड़ा नाटकीय था। पश्चिम जर्मनी का पूरा ध्यान मेराडोना को रोकने पर था इससे मेराडोना दब तो गया लेकिन मैच के दौरान उसनेे कई महत्वपूर्ण पास दिए। 83वें मिनट में अर्जेंटीना को विश्व विजेता बनाने का जो गोल हुआ वो मेराडोना के पास पर ही हुआ था।

पिछली विश्वकप विजय के मुकाबले में अर्जेंटीना की ये विजय बहुत ही शानदार थी।

तेरहवां विश्वकप :-
विजेता – अर्जेंटीना, उपविजेता – पश्चिम जर्मनी
फाइनल – अर्जेंटीना 3 – पश्चिम जर्मनी 2

चौदहवां विश्वकप (1990 इटली)

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चौदहवां विश्वकप (1990, इटली)

इस समय इंग्लैंड के फुटबॉल दर्शक हंगामा करने वाले दर्शकों के रुप में कुख्यात हो चुके थे। इसलिए इंग्लैंड के मैचों को इटली के दूरस्थ स्थान पर आयोजित किया गया। आयोजकों को भय था कि इंग्लैंड के दर्शक कहीं कोई हिंसा न कर दें।

अमरीका 40 वर्ष बाद विश्व कप खेलने आया था। केमरून की टीम इस विश्व कप का सबसे बड़ा आकर्षण थी। टूर्नामेंट शुरू होने से पूर्व एक प्रश्न सबके मन में था कि क्या मेराडोना का जादू इस विश्वकप में भी चलेगा?

क्वार्टर फाइनल में इटली, पश्चिम जर्मनी, इंग्लैंड, अर्जेंटीना, केमरून, आयरलैंड, चेकोस्लोवाकिया और यूगोस्लाविया पहुंचे। इस समय तक केमरून का खेल सबसे आश्चर्यजनक था। अंततः क्वार्टर फाइनल में केमरून को इंग्लैंड के हाथों पराजित होना पड़ा।

दोनों सेमीफाइनल का निर्णय पेनल्टी शूटआउट से हुआ। पश्चिम जर्मनी और अर्जेंटीना की टीम फाइनल में पहुंचीं।
इस बार पश्चिम जर्मनी ने बदला ले लिया, मेराडोना को बांध दिया गया था। पश्चिम जर्मनी 1-0 से जीता।

चौदहवां विश्वकप :-
विजेता – पश्चिम जर्मनी, उपविजेता – अर्जेंटीना
फाइनल – पश्चिम जर्मनी 1 – अर्जेंटीना 0

पंद्रहवां विश्वकप (1994 अमेरिका)

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पंद्रहवां विश्वकप (1994, अमेरिका)

फुटबॉल के साथ-साथ ये विश्वकप दो सनसनीखेज घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है।
पहली घटना :- मेराडोना को वजन घटाने वाली प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करने के कारण विश्वकप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

दूसरी घटना :- विश्वकप के ग्रुप मैच में अमेरिका के विरुद्ध कोलंबिया के डिफेंडर एंड्रेस एस्कोबार ने आत्मघाती गोल किया (own goal). कोलंबिया लौटने पर एंड्रेस एस्कोबार कि हत्या कर दी गई।

बुल्गारिया की टीम इस टूर्नामेंट की सबसे बड़ी आश्चर्य साबित हुई। पिछले पांच विश्वकप में बुल्गारिया की टीम ने कोई मैच नहीं जीता था लेकिन इस विश्वकप में उन्होंने अर्जेंटीना, जर्मनी, मैक्सिको और ग्रीस को हराया और अंत में चौथे स्थान पर रहे।

ब्राजील, इटली, बुल्गारिया और स्वीडन सेमीफाइनल में पहुंचे। इतालवी प्लेमैकर राबर्ट बैगियो इटली के लिए हीरो की तरह खेला उसी के खेल के बल पर इटली फाइनल में पहुंचीं। ब्राजील ने स्वीडन को हराया और फाइनल में पहुंचीं।

चौबीस साल बाद इटली और ब्राजील पुनः फाइनल में थे। इटली चौबीस साल पुरानी हार का बदला लेने के लालायित था जबकि ब्राजील चौथी विश्व विजेता बनने के मैदान में उतारा। निर्धारित समय और अतिरिक्त समय को मिलाकर कुल 120 मिनट में कोई गोल नहीं हुआ। ये पहला विश्वकप था जिसके विजेता का निर्णय पेनल्टी शूटआउट के माध्यम से हुआ। इटली का हीरो बैगियो पेनल्टी शूटआउट में गोल नहीं कर पाया। ब्राजील ने पेनाल्टी शूटआउट 3-2 से जीता और चौथी बार विश्व विजेता बनने का गौरव प्राप्त किया।

रशिया के ओलेग स्लेंको ने एक मैच में पांच गोल कर नया किर्तिमान स्थापित किया।

पंद्रहवां विश्वकप :-
विजेता – ब्राजील, उपविजेता – इटली
फाइनल – ब्राजील 0(3) – इटली 0(2)

(भाग – 3 समाप्त)

भाग 2

भाग 1

साकेत अग्रवाल

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