Spread the love

विजयंत खत्री

विजयंत खत्री

शुरुआत

यह घटनाक्रम शुरू होता है 15 सितंबर 2021 को। गुजरात के तट के पास से एक ईरानी नौका समुन्दर में देखी जाती है, ‘‘जुम्मा’’ नामक इस बड़ी नाव में सात लोग ड्रग्स की तस्करी करते हुए गुजरात राज्य ATS ओर तटरक्षक द्वारा चलाए एक संयुक्त अभियान अभियान में पकड़े जाते है, बीच समुद्र में 30 किलोग्राम हेरोइन की खेप को पकड़ा जाता है और बोट व सात तस्‍करों को गिरफ्तार कर लिया जाता है, नाव से कुल डेढ़ सौ करोड़ की हेरोइन जब्त की जाती है। वाहवाही के लिए तत्काल उसी दिन प्रेस के लिए यह सूचना रिलीज कर दी जाती है।

अब यही से कहानी में ट्विस्ट आता है चूँकि नाव की जब्ती का ऑपरेशन देर रात तक चलता है सातो लोगो से सख्ती से पूछताछ करने पर वह बताते है कि माल तो ओर भी है जो पोर्ट पर काफी पहले पहुंच चुका है, आगे भी जा चुका है काफी मात्रा में। लेकिन उस वक्त तक प्रेस रिलीज जा चुकी होती है और यह बात भी उसमे चली जाती है कि ड्रग्स की सही मात्रा एक बार नाव के पास के बंदरगाह पर लंगर डालने और तलाशी लेने के बाद पता चलेगी, तटरक्षकों को भी लगता है कि बहुत ज्यादा माल नही होगा|

मुंद्रा पोर्ट


लेकिन जब अगले सच्चाई पता चलती है कि नाव से पकड़ा गया माल मुंद्रा पोर्ट पर रखे गए माल का केवल 1% है ओर पोर्ट पर रखा हुआ माल का पैकेज कुल 3000 kg है जिसकी कीमत 21000 करोड़ है तो सब हैरान रह जाते हैं चूंकि प्रेस में वह बता चुके थे कि और माल पकड़ा जाना है इसलिए यह खुलासा करना ही पड़ता है कि माल अडानी के निजी पोर्ट मुंद्रा से पकड़ाया है

जब पुलिस जाँच होती है तो पता लगता है कि यह माल दिल्ली की तरफ जाने वाला था, यह भी पता लगता है कि जिस विजयवाड़ा के आशी ट्रेडिंग कंपनी के आयात किए गए टेल्कम पाउडर पैकेज की शक्ल में यह 3 टन माल आया है वैसा ही 25 टन माल जून में भी आ चुका है, गिरी से गिरी हालत में इस 25 टन तथाकथित टेल्कम पावडर का मूल्य 72 हजार करोड़ होना चाहिए
यहाँ ये भी बता देना समचीन है कि जुलाई 2021 के पहले हफ्ते में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2500 करोड़ रुपए की 354 किलो हेरोइन जब्त की थी ड्रग्स अफगानिस्तान से आई थी। उन्हें छिपे हुए कंटेनरों में समुद्र के रास्ते मुंबई से दिल्ली ले जाया गया।
इसके पहले मई महीने में भी दिल्ली पुलिस ने हेरोइन की बड़ी खेप बरामद की थी. करीब 125 किलो हेरोइन के साथ दो अफगानिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था।

आशी ट्रेडर्स


जिस आशी ट्रेडर्स के आयात निर्यात के लाइसेंस पर यह माल मंगाया जा रहा था उनके मालिक पति पत्नी तो इतने प्रभावशाली ही नही है कि वह इतनी बड़ी डील करने की हिम्मत भी करे, यानी एक पूरा ड्रग कार्टेल है जो यह माल मंगा रहा है डिस्ट्रीब्यूशन कर रहा है, ओर दिल्ली पुलिस की जुलाई में की गई कार्यवाही से यह स्पष्ट है कि यह सिलसिला काफी महीनों से चल रहा है, बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी ड्रग डील के पीछे कौन लोग है क्या वे कभी सामने आएंगे ??

इतनी बड़ी ड्रग डील के सामने आने पर ओर एक बड़ा सवाल उठता है कि जैसे लैटिन अमेरिका के देशों में ड्रग लार्ड वहाँ की राजनीति पर हावी हो चुके हैं वैसे ही कही अंदरखाने में यहां भी भी तो नही हो गया है ?

आतंकवाद सिर्फ बंदूक या बम की शक्ल में या कट्टरपंथी विचारों की शक्ल में ही नही आता, नशीले पदार्थों की खेप के रूप में भी आता है।

कोर्ट, पुलिस, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सीबीआई, एनआईए, एनबीसी, ईडी, आईबी, रॉ, कॉस्ट गार्ड्स आदि को कोसने से कुछ हासिल नही होगा। “समस्या की जड़” में जाइये। सोशल मीडिया को छोड़कर वैश्विक स्तरीय संस्थानों व पत्रकारों की रिपोर्ट्स पढ़िए।

ड्रग्स ट्रैफिकिंग में ट्रांज़िट भारत


90 के दशक में ही भारत ड्रग्स ट्रैफिकिंग में ट्रांज़िट बनने लगा था। धीरे धीरे आबादी बढ़ने लगी, उपभोक्ता संस्कृति डेवलप हुई, बाज़ार में पैसा बढ़ा तो जाहिराना तौर पर लोगों में कम्पटीशन भी बढ़ने लगा, तनाव, अवसाद जैसे रोग भी बढ़े और युवाओं के एक बहुत बड़े वर्ग ने इन ड्रग्स में मुक्ति ढूंढी। बॉलीवुड का ड्रग्स और ड्रगलोर्डस को महिमामण्डित करने में खास योगदान रहा।

1993 के मुंबई बम विस्फोट में पहली बार यह सुनने में आया था कि इसमें लगा पैसा ड्रग्स ट्रैफिकिंग के ज़रिये कमाया गया था । उसके बाद भी लगातार यह बात होती रही कि ड्रग्स ट्रैफिकिंग के ज़रिये उगाहे जा रहे पैसे को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिये इस्तेमाल किया जा रहा है। मुंबई, ड्रग्स और बॉलीवुड का कनेक्शन अब उबाऊ हो चुका है लेकिन भूमिका अभी भी निभाता है।
70 के दशक में भी बेरोजगारी, आर्थिक झंझावत के बीच युवाओं ने गांजे और चरस के रास्ते ढूंढे थे लेकिन ये दोनों बेसिकली हर्ब्स थीं तो आदत छुड़ाई जा सकती थी। लेकिन अब प्रचलित हेरोइन, स्मैक, ब्राउन शुगर , बॉम्बे क्रीम, कोकीन का बेस भले ही हर्ब्स हों लेकिन प्रोसेस्ड हैं तो इनका रिहैबिलिटेशन अत्यंत दुरूह होता है। कैमिकल बेस्ड सीरिंज के नशे का इलाज ही संभव नहीं है।

ड्रग्स ट्रैफिकिंग का बहुत बड़ा डेस्टिनेशन भारत

भारत ट्रांज़िट के अतिरिक्त ड्रग्स ट्रैफिकिंग का बहुत बड़ा डेस्टिनेशन भी बन गया। आज विश्व भर में ड्रग्स ट्रैफिकिंग का कारोबार लगभग 4-5 ट्रिलियन डॉलर का है यानि विश्व की ग्लोबल जीडीपी का करीब 5%। अफगानिस्तान अफीम का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है, अफीम की खुलेआम वैध और अवैध मंडी लगती हैं।
किंतु इसकी प्रोसेसिंग वहाँ नहीं होती, यह होती है पाकिस्तान, चीन जैसे उसके पड़ोसी देशों में । वहीं पर इससे सारे नशे तैयार होते हैं तब बारास्ता पाकिस्तान भारत आते हैं । हालांकि अब म्यांमार और भूटान के रास्ते चायनीज़ प्रोसेस्ड ड्रग्स भी भारत आने लगे हैं। लेकिन 70 के दशक से ही पाकिस्तान-भारत बॉर्डर को ड्रग्स ट्रैफिकिंग के लिये “गोल्डन क्रिसेंट” कहा जाता रहा है ।

“टैल्कम ब्लॉक” यानि मैग्नीशियम कार्बोनेट

अब आधुनिक तकनीक का ज़माना है तो यह काम अब शिप से होने लगा है जो ज्यादा सेफ है। “टैल्कम ब्लॉक” यानि मैग्नीशियम कार्बोनेट की अफगानिस्तान में सैकड़ों खानें हैं। वहाँ से इसका आयात किसी को भी सन्देहास्पद नहीं लगेगा। अब इसकी आड़ में हेरोइन लायी जा रही है तो यह अत्यंत गम्भीर है।

अब अगर इसकी प्रोसेसिंग अफगानिस्तान में ही होने लगी है तब भी इसकी कीमत अति शुद्धता (अनकट) के हिसाब से 10 लाख रुपये प्रति किलो से अधिक हो ही नहीं सकती, भारत आते आते इसकी कीमत करीब 90 लाख से एक करोड़ हो जाती है । उसके बाद इसमें मिलावट की जाती है तब यह मार्केट में उपयोग के लिये उतारी जाती है । बाज़ार में उपलब्ध 10 ग्राम की पुड़िया में शुद्ध हेरोइन मात्र 3 ग्राम तक होती है । पैडलर, डीलर, सप्लायर, डिस्ट्रीब्यूटर, के जरिये यह नेटवर्क बाज़ार में काम करता है । प्रोसेस करने वाली इकाइयां अलग होती हैं ।

ऐसे जटिल नेटवर्क पर बिना किसी नॉलेज के हमारे देश में लोगो को टिप्पणी और पोस्ट करने में सैकेंड लगते हैं जिसे समझने-पढ़ने में आपको 5 से 10 दिन भी लग सकते, अगर आप इससे जुड़ी हर बात पर नज़र रख पाओ तो!

यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम

इसके खिलाफ काम करने वाली संस्था “यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम” है। चूंकि यही संस्था मानव – तस्करी के विरुद्ध भी काम करती है तो ड्रग्स ट्रैफिकिंग के विभिन्न आयामों पर ढेरों कार्यशाला आयोजित करती है और उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के इसके विरुद्ध अभियान “ऑपरेशन संकल्प” चलाया जा रहा है।

गौर करना है तो गौर कीजिए कि ये गन्दगी अर्थव्यवस्था का हिस्सा कैसे बने जा रही है। हमारे देश की सरकार की कौनसी नीतियां इसके लिए जिम्मेदार है। और इसे कैसे रोका जा सकता है ?? वरना वो दिन ज्यादा दूर नही जब नेटफ्लिक्स, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के बजाए top 10 in world today वाली कहानियां यहां से किलो के भाव से उठाएगा।

to be continued…..

विजयंत खत्री

विजयंत खत्री

सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


Spread the love

2 thoughts on “ड्रग्स और भारत

  1. खत्री भाई इतनी सारगर्भित जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद🙏 । रही बात इस ड्रग्स के असली मालिकों की तो वो पकड़ में नहीं आयेंगे क्योकि जाँच एजेंसियां अभी विपक्ष के 50 / 100 / 500 करोड़ के घोटालों को सूंघ रही हैं क्योंकि 21000 करोड तो मामूली रकम है। जब तक डैडी आदेश नहीं करेंगें तब तक एजेंसिया उधर ऑंख भी नहीं उठायेंगी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *