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लेखक -विपुल

विपुल


@gujrati__walter की प्रेमकथा।


गुजरात के एक धनी आभूषण विक्रेता परिवार के चश्मोचिराग वाल्टर सेठ पक्के गुजराती थे।बचपन से ही उन्होंने अपना रोजगार सोच लिया था।महिला अंतर्वस्त्रों के व्यापार का।ऊपर से गांधी जी के सत्य के साथ प्रयोगों से बहुत प्रभावित थे।
वाल्टर सेठ भी गांधी की तरह दो कुंवारी युवतियों के साथ निर्वस्त्र सोकर अपने ब्रह्मचर्य की ताकत चेक करना चाहते थे।शराबबंदी के प्रबल समर्थक वाल्टर सेठ ने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया,भले ही नशे के लिये छिपकली की पूंछ का नशा किया हो या रोटी में आयोडेक्स चुपड़ के खाई हो।


सेठ शब्द से वाल्टर सेठ इतना प्यार करते थे कि अपने नौकर, ड्राईवर, नाई सबसे सेठ कहते थे।चिनॉय सेठ उनके पसंदीदा विलेन थे और सुषमा सेठ पसन्दीदा हीरोइन।गोविंदा की आँखे फिल्म तेरह बार केवल इसलिए देखी कि फ़िल्म में राधा सेठ थीं।मिथुन का गाना सलाम सेठ !बचपन से ही वाल्टर सेठ को प्रिय था।
अच्छे गुजराती लड़के की तरह वाल्टर सेठ बचपन से ही पैसे कमाने की जुगत में लग गए थे ।जिस स्कूल बस में 1500 रुपये फीस देकर उनके पापा उनको स्कूल भेजते थे, वाल्टर सेठ उसी बस में क्लीनर का काम करके 3000 कमाते थे।।बस में चढ़ते समय, स्कूल पहुंचने पर ड्रेस पहन लेते थे, रास्ते भर नेकर में।
वाल्टर सेठ की प्रेमकथा शुरू हुई जब वो छठी क्लास में थे ।और बस में घुंघराले बालों वाली एक मुस्लिम लड़की चढ़ी।ये दसवीं क्लास में नया एडमिशन था।बाहर से आई थी।नाम था ताना बहुत खूब।एक कुत्ता उसके साथ था , नाम था यू एन
जो वाल्टर सेठ को देख के ही ऐसे मुंह बनाया जैसे कचड़ा देख लिया हो।
ताना बस में सबसे पीछे की सीट पर बैठी।वाल्टर सेठ खड़े थे ,वहीं।
अचानक बस में ब्रेक लगे !
यू एन ताना की गोद से गिरा
वाल्टर सेठ फिसले और ताना की गोद में।
दोनों की आँखे टकराईं।
ताना बोली ,
ओह शिट!
वाल्टर सेठ मुस्कुराए।
ये विस्फोटक एक प्रेमकथा की शुरूआत थी।
जिसमें कई मोड़ आने बाकी थे।
2 साल बदस्तूर वाल्टर सेठ और ताना का नैन मटक्का चला।कभी ताना वाल्टर सेठ को आसमानी किताब की बातें बताती, कभी वाल्टर सेठ उससे 72 हूरों के बारे में पूंछते ।वाल्टर सेठ को रोज़े रखने और हज करने के फायदे पता चल चुके थे ।और अब वो अपने शरीर की कुछ अनावश्यक खाल को हटाने को कृतसंकल्प थे।
इन दो सालों में वाल्टर सेठ ताना के अब्बू से ,बड़ी ,छोटी, मंझली, संझली सभी मम्मियों से,7 भाइयों और 8 बहनों से मिल चुके थे ,सभी उन्हें बड़े प्यारे लगे थे।दीन की राह अपनाने के बाद उनका ताना से निकाह पक्का था।और फिर वाल्टर सेठ का दुबई जाने का सपना सच हो सकता था।
26 जनवरी का पाकीजा दिन मुकर्रर हुआ जब वाल्टर सेठ को ताना के आंगन में आसमान में उड़ती चिड़िया देखनी थी ।
पठानी सूट पहन ,चेकदार गमछा गले में लेकर सेठ ने घर से बाहर कदम भी नहीं निकाल पाया था कि पापाजी छींक दिये।!
सेठ ने घूरकर पापा को देखा !पापा मुस्कुराए !मियां किस मस्जिद कूं चले ?
वाल्टर सेठ ने मूड नहीं खराब किया, चुपचाप निकल लिये घर से।लेकिन आज कुदरत उनके साथ नहीं थी।साइकिल पंक्चर थी, स्कूटर चलाना नहीं आता था, ऑटो की हड़ताल थी, रिक्शा वाले सेठ को बैठाते नहीं थे ।बस एकभी निकल नहीं रही थी उधर से !
सो वाल्टर सेठ पैदल चल दिये !
पसीने में तरबतर वाल्टर सेठ साढ़े 9 बजे ताना के घर पर थे, खुशियों का माहौल था।एक मौलवी साहब किताब लिए हुये, एक नाई उस्तरा लिए हुये वाल्टर सेठ को ठीक वैसे ही देख रहे थे जैसे ट्विटर के ट्रोलर्स आईपीएल के दौरान आरसीबी को देखते हैं।कोहली की तरह बीच ग्राउंड में वाल्टर सेठ पहुंचे!
ढोलकें बज रही थीं ।कुछ धार्मिक सी अरबी आवाज़ें आ रही थीं।मौलवी साहब हाथ में कुछ पकड़े सेठ को घूर रहे थे।।
नाई ने नया ब्लेड लगाया उस्तरे में !सेठ के सामने पहुंच के बोला !सलवार उतारो !सेठ को एक पल भोलेबाबा की याद आई फिर सोचा !
इश्क रब से बड़ा!सलवार उतार दी!उस्तरा आगे आया!

लेकिन ये क्या?
अचानक धरती हिली !
वाल्टर सेठ अलग गिरे ,नाई अलग !मौलवी अलग
चीख पुकार मची हुई थी!मकान गिर रहे थे !भूकम्प आया था !सब गिरते पड़ते बाहर भागे!सेठ को ताना की चिंता थी!
ताना एक बड़े से दरवाजे के नीचे दब गई थी !सेठ उसके लिये कुछ सोचते,तभी उन्हें अमित्र सैकिया दिखाई पड़ा।
अमित्र सैकिया एक बंगलादेशी चकमा शरणार्थी था ,जो अपने चकमा सरदार नगेन्द्र मोती की छत्रछाया में गुजरात में रह रहा था।लैब असिस्टेंट की जॉब करता था वाल्टर सेठ के इंटर कॉलेज में।
वहीं मोती की चाय की दुकानों की चेन थी शहर के हर कॉलेज के बाहर ! फ्री में पकौड़ा बनाना भी सिखाता था मोती।

अमित्र सैकिया ने पूरा दम लगाकर दरवाजे को हटाया और ताना को बचाया !फिर ताना को गोद में लेकर वो नदी की तरफ भागा !जहाँ एक बड़े से मगरमच्छ की पीठ पर मोती कुछ और सवारियों को लिये बैठा था।वाल्टर सेठ इतना ही देख पाए फिर बेहोश हो गये थे।
आँखे खुलीं तो खुद को अस्पताल में पाया !पापा के पास ।
पापा ने प्यार से सेठ को गले लगाकर कहा!हमें पता था कि तुम क्या कर रहे हो।हमने नहीं रोका, भगवान ने तो रोक लिया।वैसे अमित्र का धन्यवाद कहो, उसने हमें सब बताया ,तुम्हें भी बचाया।सेठ कुछ कह न पाए ।बाप तो बाप ही होता है।सही होने के बाद फिर स्कूल चालू हुआ ।ताना ने फिर दीन अपनाने को कहा।
अबकी सेठ ने मना कर दिया।सेठ और ताना में ज़्यादा बिगाड़ नहीं हुआ था।सेठ ने अमित्र शाह के साथ भारतीय झपट्टा पार्टी जॉइन कर ली थी।और खुल के हिंदू हित की बात करने लगे थे।इधर सेठ ने महसूस किया कि फिजिक्स लैब के डार्करूम (लाईट के प्रयोग ) सेक्शन में ताना का आना जाना कुछ ज़्यादा था।
तब सेठ आठवीं में थे, ताना बारहवीं कक्षा में।शुरू में सेठ ने ध्यान नहीं दिया ,पर उनके चुगली लगाने वाले दोस्त कुंवर भेसवास ने उन्हें मजबूर किया कि फिजिक्स लैब में जाकर देखे कि क्या चल रहा है?भेसवास हिंदी कवि था ,और हिंदी टीचर ने 3000 रुपये प्रतिमाह पर अपनी जगह हिंदी पढ़ाने रखा था।

एक रोज वाल्टर सेठ टाइम निकाल के फिजिक्स लैब पहुंचे।एक तो बड़ा मुश्किल में उन्हें डार्क सेक्शन मिला ।अंदर जाके देखा तो वो स्तब्ध रह गए।अमित्र सैकिया और ताना आपत्तिजनक अवस्था में थे।आपत्तिजनक !

क्या देखा ?ऐसा ?आप सोच रहे ,वैसा बिल्कुल नहीं था !
कुछ और ही आपत्तिजनक था।

अमित्र सैकिया सलवार कुर्ता पहन ,घुंघरू बांधे डांस सीख रहे थे ,ताना उन्हें टीचर कीतरह सिखा रही थी,डांट रही थी।दोनों सेठ को देख चौंके।अमित्र शरमाया।ताना नाराज हुई।
“क्यों आये यहाँ ?”उसने घूर के सेठ से पूंछा।सेठ हड़बड़ा उठे ।ताना बहुत नाराज हुई।”कभी बात मत करना मुझसे अब “!

वाल्टर सेठ समझ नहीं पाए , सॉरी छोड़ के क्या बोलें?उन्होंने सॉरी बोला।
आंखों में आंसू भर के ताना बोली ,तुम भी औरों की तरह शक करने लगे?अरे अमित्र सर को कथक का शौक है, इसलिए मैं सिखाती हूँ।इन्हें लौंडा नाच कम्पटीशन में प्रथम पुरस्कार जीतना है।यहाँ कोई नहीं आता ,इसलिए सेफ जगह।
अब बिचारे वाल्टर सेठ ये नहीं पूँछ पाए ये लौंडा नाच क्या होता है, क्यों जीतना है ?बिचारे सॉरी बोलकर लौट आये ।ताना ने विद्या कसम भी खिला दी थी कि ये किसी से कहोगे नहीं।
उदास रहने लगे ,पर अमित्र सैकिया पर उन्हें भरोसा नहीं था।उसकी मुखबिरी की।एक रोज स्कूल के बाद अमित्र का पीछा किया।

अमित्र अपने घर की जगह एक बड़े से गोदाम में पहुंचा।वहीं एक कंटेनर के पीछे सेठ छुप के बैठ गये।उसकी बातें सुनने लगे।वहां जाकर उन्हें कई चीजें पता लगीं ।जैसे कि अमित्र सैकिया का असली धंधा दरअसल कच्ची शराब की तस्करी है ।अमित्र सैकिया दिल से lgbtq है।
मोती एक बेंगलादेशी पर लट्टू है।
और अमित्र सैकिया ,नगेन्द्र मोती जैसे ये कट्टर हिंदू दरसअल बेंगलादेशी चकमा शरणार्थि हैं ,जिनके पास भारत की नागरिकता के कागज़ नहीं है।अमित्र शराब तस्कर है, मोती हथियार तस्कर !और चाय का धंधा और लैब असिस्टेंट का काम बस समाज को दिखाने के लिये।ये लोग खतरनाक आदमी हैं।सेठ घबराए।
जैसे तैसे वो वहाँ से निकले !अगले दिन उन्होंने सोचा वो ताना को इन लोगों की असलियत बता दें, लेकिन स्कूल पहुंचते ही उन्हें पता लगा कि ताना महीने भर की छुट्टी लेकर बाहर गई है कहीं।अब सेठ गुमसुम रहने लगे।कुंवर भेसवास अपनी चवन्नी छाप कविताओं से उन्हें बोर करता था।
भारतीय झपट्टा पार्टी की युवा शाखा के मंत्री बन के सेठ हिन्दू हितों के लिये काम करने लगे।उन्हें ताना का इंतजार था।जो जल्द आने वाली थी।पर वो नहीं लौटी!
इधर सेठ को उनके पिताजी ने केन्या भेज दिया,जहाँ उनके एक पारिवारिक चाचा की हीरों के आभूषण की दुकान थी और उन्हें एक हेल्पर चाहिए था।
दरअसल सेठ के पापा चाहते थे सेठ ज़हरीली ताना और खुराफाती अमित्र से दूर रहे।सेठ केन्या के सेंट थॉमस स्कूल में नाइट शिफ्ट में पढ़ने लगे,दिन में दुकान पर पानी पिलाने का काम करते थे।यहीं इनके कई साल कटे।व्यक्तित्व विकास हुआ।हर निर्लज्ज गुजराती का व्यक्तित्व अफ्रीका में ही संवरता है।
बीड़ी को दोनों तरफ से पीना, छिपकली की पूंछ कैसे चिलम में भरें ?अच्छा नशा देने वाले सॉल्यूशन की पहचान!रोटी में कितनी मात्रा में आयोडेक्स चुपड़ें कि अच्छा नशा हो !ये सब तो वाल्टर सेठ ने यहां सीखा ही ।साथ ही पोर्न इंडस्ट्री में भी काम किया
लाइट दिखाते थे!पोर्न सीन्स में लाईट मैन बने।
चोरी, पॉकेट मारी ,छिनरई के साथ आभूषण कटिंग में भी परास्नातक की डिग्री ली सेठ ने।
इतना सब होने के बाद भी सेठ ने कभी दारूबाजी नहीं की, जुए से दूर रहे।सेठ को अब भारत से कोई लगाव नहीं था, पर एक रोज जब एक पोर्न फिल्म के सेट पर घुंघराले बालों वाली एक हीरोइन आई तो सेठ को ताना याद आई ।
आनन फानन वाल्टर सेठ गुजरात पहुंचे।चीज़ें बदल चुकी थीं, गुजरात भी बदल चुका था।गुजरात मॉडल कमाल था।सेठ का गांव पेरिस बन चुका था।चमचमाती सड़कें, लैम्बोर्गिनी गाड़ियां।सड़कों पर चलने वाले लोगों को सरकार के लोग पकड़ के ले जा रहे थे, किसी को कलक्टर ,किसी को कमिश्नर बना रहे थे।
यहां तक कि सेठ के घर के पास ही सरकारी हेलीकॉप्टर स्टैंड था, जहां 3 4 हेलीकॉप्टर खड़े थे।लोग अब ऑटो से ज़्यादा हेलीकॉप्टर इस्तेमाल करते थे।अमित्र शाह सरकार में महत्वपूर्ण पद पर था, ताना एक बड़ी पत्रकार बन चुकी थी, कुंवर भेसवास एक गे नेता छंट बिंद खुजलीवाल का चिलनटू बन चुका था।
ताना और अमित्र में ज़्यादा बन नहीं रही थी।नगेन्द्र मोती युवाओं के दिल की धड़कन था।मोती का नेटवर्क कमाल था।जैसे ही सेठ घर आये ,मोती का संदेश आया ,मिलो आकर ।
सेठ पहुंचे मोती के गोदाम पर ।वहाँ सेठ जैसे कई युवक और थे।एक बड़ी स्क्रीन पर मोती ने वर्चुअल संवाद किया।
“देखो!मन की बात कर रहा हूँ।”
मोती ने स्क्रीन पे आके बोला
“तुम सब मेरे पुराने साथी हो ,देश की सेवा करना चाहते हो ,रामलला के लिये काम करना चाहते हो।लेकिन उसके लिये मैं हूँ!”
“”तुम सब चूति&&&ये हो ,इसलिए केवल मीम बनाकर हमारी मदद करो ,””!
“और वाल्टर सेठ ,तुम अमित्र से अभी मिलो जाकर! “
सेठ अमित्र के यहाँ पहुंचे ,शायद जनवरी 14 की बात थी, पहले तो गार्ड्स ने दौड़ा लिया, फिर अंदर से आदेश मिलने पर घसीट के अंदर ले गए।अमित्र ने सेठ को दिल्ली भेजा कि वो ऑफिस लगा के मोती के लिये सोशल मीडिया पर काम करे ।वैसे सेठ नहीं जाते, लेकिन ताना बहुत खूब दिल्ली में थी, पुराना प्यार।
दिल्ली पहुंच के सेठ मोती की सोशल मीडिया टीम में काम करने लगे, उनके लिये अमित्र शाह ने प्रेस क्लब के पास भी बनवा दिये थे जिससे वो ताना से मिल पाएं।एक दो बार सेठ पहुंचे भी पर ताना से भेंट नहीं हो पाई।
हुई कब ?जब मोती जीत गया चुनाव।
तब ताना और सेठ ने एक, दूसरे को देखा।
लिपट के रोये ।
रोते बिलखते दोनों ने एक दूसरे को अपनी कहानी सुनाई।ताना बोली व,अमित्र उसका यौन उत्पीड़न करना चाहता था, इसलिए वो नहीं लौटी, जर्नलिस्ट बन के उसने अमित्र मोती एंड कम्पनी को नेस्तनाबूद करने की कसम खाई है।सेठ को बात हज़म नहीं हुई क्योंकि अमित्र तो lgbtq था, वो जानते थे।पर प्यार अंधा होता है।
सेठ इसलिए रो रहे थे कि प्यार मिला, ताना इसलिए कि मोती जीता ।उन भावुक पलों में ताना ने एक किस और एक हग देकर सेठ से वादा लिया कि वो मोती की टीम में रहकर ताना के लिये काम करेंगे ।सारी इंफॉर्मेशन देंगे।अब सेठ मोती की टीम की, स्पेशली अमित्र की संवेदनशील सूचना ताना को देने लगे।
ऐसे करके सेठ से अमित्र और मोती की सूचनाएं लेकर ताना ने एक पूरी फाइल बना ली ,गुजराती वाल्टर फाइल्स।इधर सेठ को केवल एक किस और एक हग के बदले इतनी सीक्रेट इन्फॉर्मेशन लीक कर रहे हैं,ये बात खुल गई।बात खोलने वाला सेठ का मित्र कुंवर भेसवास था, जो खुजलीवाल से लात खाने के बाद इधर आया था।
पुराना अमित्र तो सीधे शूट कर देता सेठ को ,पर इस समय सन 19 था।सेठ की पेशी मोती के समक्ष हुई, केवल अमित्र सैकिया वहाँ और था।उस दिन सेठ को पता लगा कि मोती और अमित्र असली देशभक्त हैं।दोनों रॉ एजेंट थे ।ताना पाकिस्तानी एजेंट है।शुरू से ही सबकी नजर ताना का नेटवर्क पता लगाने पर थी।
अमित्र जो भी कर रहा था, वो ताना का नेटवर्क समाप्त करने के लिये था।ताना को मारने का प्लान था ।तभी ताना भाग गई थी।फिर अमेरिकन सीआईए से प्रोटेक्शन लेकर लौटी तो हाथ डालना मुश्किल था।इतना सब सच सेठ झेल नहीं पाए ,दिमागी शॉक लगा कोमा में चले गए ।कई साल बाद होश आया ,तब सीन बदले हुये थे ।
ताना एंड कम्पनी कागज़ नहीं दिखाएंगे गा रही थी।शाहीनबाग में दंगे हो रहे थे सिंघु बॉर्डर ब्लॉक था।लालकिले पर खालिस्तानियों के कब्जे थे ,लेकिन अमित्र सैकिया कुछ कर नहीं पा रहा था ।क्योंकि उसकी प्राइवेट इन्फॉर्मेशन ताना बहुत खूब के हाथों में थी।
गुजराती वाल्टर फाइल्स।
वाल्टर सेठ बहुत रोये।उन्होंने अपनी प्रेमकथा के बदले देश का अहित किया था।उन्होंने मोती से माफी मांगी और वापस केन्या के एक ऐसे गांव में रहने लगे जहाँ इंटरनेट ,टीवी वगैरह नहीं
है।कभी कभी मीम बनाने की चुल्ल उठती है तो डरबन पहुँच के साइबर कैफे यूज़ करते हैं ।
समाप्त
🙏🙏🙏🙏
लेखक -विपुल

विपुल

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