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जिंदा रहना सबसे जरूरी है।
आपका – विपुल

ये गंभीर है।
लगभग दो साल पहले मेरी एक ऐसे विकलांग से लड़ाई हुई जिसके एक हाथ एक पैर नहीं है।
डंडे से चलता है। शक्ल सूरत और आवाज खराब है। दो तीन बीघा खेती होगी।
लड़ाई इतनी ज्यादा हुई कि थाने की दो जीप भर के फोर्स आ गई।
मैं उसे लंबा भिजवाने के मूड में था कि sho साहब बोले –
“अरे यार जाने दो। इतना विकलांग है। किसी प्रेस वाले ने वीडियो वगैरा बना के विकलांग उत्पीड़न का छाप दिया तो हम सबकी नौकरी खतरे में आ जायेगी।”
मैं गुस्सा पी गया।
जब भी उधर जाता, वो विकलांग चिढ़ाता।
अभी कुछ दिन पहले वो पास के गांव की एक लड़की लेकर भाग गया। मतलब जिंदादिल था
😂😂
अब आगे!
कल ही मेरे ठीक बगल में एक 30 साल के लड़के ने खुद को खत्म कर लिया।
लड़का ठीकठाक हैंडसम था। खुद का दोमंजिला मकान। बाप की अच्छी खासी पेंशन। शादी हुई नहीं थी। अच्छी नौकरी करता था मतलब इंटेलिजेंट भी था।
अभी महीने भर से नौकरी छूटने से परेशान था।
कल ही मेरे ठीक बगल में एक 30 साल के लड़के ने खुद को खत्म कर लिया।
लड़का ठीकठाक हैंडसम था। खुद का दोमंजिला मकान। बाप की अच्छी खासी पेंशन। शादी हुई नहीं थी। अच्छी नौकरी करता था मतलब इंटेलिजेंट भी था।
अभी महीने भर से नौकरी छूटने से परेशान था।
सुबह मुझे ये दुखद घटना पता चली तो सबसे पहले मुझे किसकी याद आई?
उसी विकलांग की।


जिसके एक हाथ एक पांव नहीं, पैसे नहीं, खूबसूरती नहीं।
फिर भी भरपूर जीवन जी रहा। अय्याशी भी कर रहा।
लड़ाई कर रहा।
इधर जिनके पास बहुत कुछ है, वो मात्र थोड़ा कुछ न होने के कारण लटक रहे।
ये सैकड़ों बार कहा जा चुका और फिर से मैं कहूंगा कि आप अपने से ऊपर वाले को देख के डिप्रेशन में क्यों जाते हो?
आपके आपके सामाजिक, आर्थिक, मानसिक स्तर से नीचे भी बहुत लोग हैं, उन्हें देखो।
वो अगर अपनी जिंदगी हंसी खुशी गुजार रहे हैं तो आपको क्या दिक्कत?
जीवन राजा भी जीते हैं रंक भी।
माना कि राजा अगर रंक बनेगा तो डिप्रेशन में चला जायेगा पर वो रंक अगर जिंदा रहेगा तभी तो उसके दोबारा राजा बनने के चांस रहेंगे न?
एक मुर्दा राजा से एक जिंदा रंक हमेशा ताकतवर होता है।
मरा सीजर जिंदा सीजर से ज्यादा खतरनाक है, ये केवल कहावत ही है।
और वैसे भी जूलियस सीजर राजा था भी नहीं।
जिंदा आदमी अपनी परेशानियों से दूर निकलने का उपाय सोच सकता है।
एक हारा हुआ जिंदा आदमी दोबारा अपनी जीत के प्रयास कर सकता है।
एक मुर्दा आदमी केवल सड़ांध उत्पन्न करता है।

अपने घर में और अपने सबसे ज्यादा चाहने वाले लोगों के भी बीच एक मुर्दा आदमी केवल सड़न ही उत्पन्न करता है।
दो घंटे में अड़ोस पड़ोस वाले पूछने लगते हैं कि मिट्टी कब जाएगी?
चार घंटे में लोग कहने लगते हैं कि जल्दी मिट्टी घाट पहुंचाओ।
सामान्य मौत का दुख सामान्य होता है। एक्सीडेंट की मौत का ज्यादा और आत्महत्या का?
लोग दुःखी होने से ज्यादा खीझते हैं भाई ऐसी मौतों पर।
बहुत बार मैं ये लिख चुका।
आत्महत्या की मौतों पर आपके परिवार की सामाजिक स्थिति का क्षय होता है।
आपके परिवार को मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। अगर पुलिस से छुपाते हैं तो भी कष्ट।
बताते हैं तो पोस्टमार्टम।
और पोस्टमार्टम भी आसानी से नहीं होता।
जो उधर गए हैं सब जानते हैं।
मेरे कहने का मतलब यही था कि जब एक इतना ज्यादा विकलांग बदसूरत और गरीब आदमी भी जिंदगी एंजॉय कर सकता है तो थोड़ी बहुत कमियों असफलताओं को अपने ऊपर हावी न होने दें।
जीवन अनमोल है।
जिंदा रहना सबसे जरूरी है।
बाकी सब इसके बाद आता है।
🙏🙏🙏
आपका -विपुल
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