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राहुल दुबे

सोमनाथ – का अर्थ चन्द्रमा के भगवान, कहा जाता है कि इसी स्थान पर चन्द्रमा ने अपने पाप को धोने के लिए यहां कपिला, हिरन और सरस्वती नदी के संगम में स्नान कर शिव की आराधना की थी, इसी कारण इसका नाम सोमनाथ पड़ा।

सोमनाथ मंदिर को शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, लेकिन सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत ही भयानक रहा है, सोमनाथ मंदिर ने कुल छह आक्रमण झेले है।इतिहासकार ये नही बता पाते है कि आखिर सोमनाथ मंदिर बना कब था और रुमिला थापर जैसो को इतिहासकार मैं मानता नही ।

सोमनाथ मंदिर गुजरात के साथ साथ पूरे भारतवर्ष में लोकप्रिय था, और इसी कारण धन-वैभव से परिपूर्ण था और अरब और बाकी जगहों से इस्लाम को मजबूत करने निकले जिहादियों के निशाने पर भी सबसे अधिक रहा। सोमनाथ मंदिर पर सबसे पहला आक्रमण सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने 725 ईस्वी में किया था इसके बाद 815 ईस्वी में प्रतिहार राजा नागभट्ट ने मंदिर का पुनः निर्माण कराया ।

ये सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण की शुरुआत थी।

महमूद गजनवी ने 1000 AD से लेकर 1026 AD तक भारत पर कुल 17 आक्रमण किये , महमूद गजनवी इन आक्रमणों से अपनी सत्ता काबिज नही करना चाहता था बल्कि इन आक्रमणों से उसका मात्र एक लक्ष्य था संपत्ति की लूट और इस्लाम की स्थापना गजनवी ने भारत मे आक्रमण के दौरान करीब 1 लाख से अधिक निर्दोष हिन्दुओ की जान ली उसने सबसे पहला आक्रमण पेशावर के राजा जयपाल पर किया और फिर 1008 में जयपाल के पुत्र आनन्दपाल पर किया इस युद्ध मे आनन्दपाल के साथ करीब 6 राजा थे लेकिन एक गलती ने गजनवी को आगे बढ़ने का मौका दे दिया( पूरी कहानी फिर कभी लिखी जाएगी) 

इन आक्रमणों में लाखों दीनार की कमाई और हजारो हिन्दुओ की हत्या से उत्साहित गजनवी कभी पीछे नही मुड़ा उसने धन और हिन्दुओ को समाप्त करने के लिए 1025 में सोमनाथ पर आक्रमण किया गजनवी सोमनाथ के लिए करीब 30 हजार घोड़े-ऊंट और पैदल सैनिक लेकर चला था लेकिन उसे गुजरात मे राजा भोज और बाकी राजाओं के गठबंधन की भनक थी, इसलिए वो सोमनाथ छुपते हुए पहुंचा सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण के समय उसकी सेना को तीन दिन तक बहादुर हिन्दुओ से लड़ना पड़ा जो सिर्फ सोमनाथ मंदिर के पुजारी थे अंत मे गजनवी को सफलता मिली गजनवी ने सोमनाथ मंदिर के मुख्य शिवलिंग को तोड़ दिया और मन्दिर से उसने करीब 20 मिलियन दीनार लूट के ले गया। गजनवी ने वहां पूजा कर रहे 5 हजार निर्दोष हिन्दुओ को कटवा दिया। 

उसके बाद हिन्दू राजा कुमारपाल ने सोमनाथ मंदिर का फिर से निर्माण कराया। और सोमनाथ मंदिर एकबार फिर अपनी खोए वैभव को पा चुका था लेकिन सोमनाथ मंदिर पर काफिरों की आस्था इस्लामिक आतंकियों का हिन्दुओ से घृणा सोमनाथ मंदिर पर बार-बार आक्रमण करवाती अबकी बारी ख़िलजी के सेनापति उलुग खान की थी उसने 1297 में सोमनाथ पर आक्रमण किया और ज्योतिर्लिंग के टुकड़े टुकडे करके उसे अपने साथ ले गया कहा जाता है कि उलुग खान को दिल्ली में एक हिन्दू राजा कान्हड़ देव ने ज्योतिर्लिंग के टुकड़े उससे छीन के राजस्थान के विभिन्न मंदिरों में स्थापित कर दिए थे। 

महिपाल ने दुबारा सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन औरंगजेब जब हिन्दुओ को ठिकाने लगाने के मिशन पर था, उसने सोमनाथ मंदिर का फिरसे विध्वंस कराया उसके बाद महारानी अहिल्याबाई होलकर ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।

सोमनाथ मंदिर सिर्फ वैभवशाली और हिन्दुओ की आस्था का केंद्र होने के कारण इस्लामिक आक्रमणकारियों के निशाने पर रहा, जितनी बार मिटा उतनी बार उठ खड़ा हुआ।

दक्षिण एशिया के मशहूर इस्लामिक जानकार जमाल मलिक लिखते है कि सोमनाथ मंदिर के विध्वंस ने गजनवी को इस्लाम का आइकॉन बना दिया था लेकिन इन तथ्यों को नकारते हुए रोमिला थापर जैसी इतिहासकार ये लिखती है कि गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण सिर्फ धन-संपत्ति के लिए किया था उसका हिन्दू द्वेष से कोई लेना देना नही था। रोमिला जैसे इतिहाकारो ने लाज-शर्म को दूर छोड़ते हुए ये तक लिखा है कि हिन्दुओ को कुत्ता समझने वाले अमीर खुसरो ने प्रचलन की शुरुआत की थी कि हज जाने से पहले मुसलमान सोमनाथ के दर्शन करे।

भारत के आजाद होने के बाद KM मुंशी और सरदार पटेल के अनुशंसा पर सोमनाथ मंदिर का दुबारा जीर्णोद्धार हुआ लेकिन दुःख ये है कि देश के प्रधानमंत्री ने सिर्फ स्वयं वहां नही गए और तो और राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को भी सोमनाथ मंदिर जाने से रोकने की कोशिश की थी।

लेकिन राजेन्द्र प्रसाद वहां पहुंचे राजेन्द्र प्रसाद ने वहां अपने भाषण में कहा था कि- “मेरा विचार है कि सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण उस दिन पूरा हो जाएगा जब इस नींव पर न केवल एक भव्य भवन बनेगा, बल्कि भारत की समृद्धि की हवेली वास्तव में वह समृद्धि होगी, जिसका प्राचीन सोमनाथ मंदिर एक प्रतीक था।उन्होंने आगे कहा: “सोमनाथ मंदिर दर्शाता है कि पुनर्निर्माण की शक्ति हमेशा विनाश की शक्ति से अधिक होती है।”

सोमनाथ मंदिर भारत की उस शक्ति को दर्शाता है कि आप हमे जितना भी तोड़ने की कोशिश करेंगे हम उतनी बार उठ खड़े होंगे, सोमनाथ मंदिर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए हर प्रकार से योग्य है लेकिन धर्मनिरपेक्षता के कीड़े ने हमें ताजमहल और दरगाहों तक ही सीमित रख दिया।

अन्य बातें- 

1. सोमनाथ मंदिर हिन्दुओ की उस ताकत का प्रदर्शन है कि हमें आप जितनी बार तोड़ने की कोशिश करेंगे हम उतनी ही मजबूती से उठ खड़े होंगे। 

2. सोमनाथ मंदिर का हर बार विध्वंस ये दर्शाता है कि पूर्व में हिन्दू कभी एकजुट ही नही रहे वरना गजनवी और ख़िलजी का शिव के आराधना के स्थल पर बार-बार आक्रमण करना आसान नही होता। 

3. इतिहाकारो ने हिन्दुओ को असली इतिहास से मिलो दूर रखा है रुमिला जैसे बेशर्म लोगो ने गजनवी को लाखों लोगों का हत्यारा बताने के बजाय सिर्फ धन का लालची बताया है। 

4. आज का हिन्दू भी सोशल मीडिया पर कूल बनने के लिए केदारनाथ धाम की बात तो करेगा लेकिन वो सोमनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में शायद ही जानता होगा।। 

समय आ गया है कि हम अपने इतिहास के बारे में जाने और उससे सीख लेकर एकजुट हो वरना पर्सिया के ईरान, गांधार का कांधार , कश्यप ऋषि के कश्मीर को इस्लामिक आतंकियों के कब्जे में होते किसी न किसी ने देखा है, और नही सुधरे तो 1947 के पुनरावृत्ति में देर नही लगेगी।

जय सोमनाथ

राहुल दुबे

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One thought on “जय सोमनाथ

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