विपुल
ये चीन अफगानिस्तान रेल कॉरिडोर बहुत बड़ी घटना है
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आप मुझ पर हँसेंगे अगर मैं बोलूं कि भारत के लिये सामरिक दृष्टि से ये महत्वपूर्ण घटना है कि चीन से एक कार्गो शिपमेंट अफगानिस्तान तक मात्र 11 दिनों में पहुँच गया।
22 सितंबर 2022 को चीन के झिनझियांग प्रांत के काशगर शहर से अफगानिस्तान के उत्तरी प्रांत बल्ख के सीमावर्ती शहर हैराटन में ट्रेन द्वारा (गौर करिये ,ट्रेन द्वारा ) बारह कन्टेंरो में वाहनों के पुर्जे पहुँचे।
आप पूँछेगे ,इसमें खास क्या है ?
भाई चीन को यही माल अफगानिस्तान पहुंचाने में पहले 1 से 3 महीने लगते थे कराची के बंदरगाह और ओवरलैंड के माध्यम से।
अभी समझे आप ?नहीं समझे तो इन कंटेनरों की यात्रा विवरण देखें।
चीन अफगानिस्तान रेल कॉरिडोर- यात्रा विवरण
शिपमेंट ने पहले चरण के साथ यात्रा की – झिंजियांग के काशगर शहर से दक्षिणी किर्गिस्तान में ओश तक लगभग 500 किलोमीटर – सड़क मार्ग से |क्योंकि यहाँ अभी कोई रेल लिंक नहीं है।
फिर ओश में, अंदिजान में
सीमा पार उज्बेकिस्तान के रेल नेटवर्क में कार्गो को ट्रेनों में लोड किया गया था। इसके बाद यह शिपमेंट पूर्वी उज़्बेकिस्तान को पार कर गया और दक्षिण में अफगानिस्तान में हेयरटन पहुंचने के लिए आगे बढ़ गया, जो उज़्बेक-निर्मित रेलवे लाइन के साथ उत्तरी अफगान शहर मजार-ए-शरीफ से जुड़ता है। इस शिपमेंट जिसमें ज्यादातर वाहन के पुर्जे थे, को 13 सितंबर को काशगर से रवाना होकर अफगानिस्तान पहुंचने में केवल 11 दिन लगे।
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यह समय उस समय की तुलना में बहुत कम है जो कराची के बंदरगाह और ओवरलैंड के माध्यम से पाकिस्तान के माध्यम से चीन से अफगानिस्तान तक कार्गो भेजने के लिये लगता है।लगभग 40 दिनों से 90 दिनों तक।
तो ये बड़ी बात ही है।
चीन-किर्गिस्तान-उजबेकिस्तान मार्ग वह है जो अफगानिस्तान के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
ग्लोबल टाइम्स की खबर
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चीन के ग्लोबल टाइम्स ने बल्ख प्रांत के गवर्नर का हवाला देते हुए कहा कि “यह एक मील का पत्थर है और अफगानिस्तान और देशों और देशों के बीच व्यापार आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। “उन्होंने क्षेत्र में आर्थिक संबंधों को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भूमि गलियारे के उद्घाटन का स्वागत किया, और यह कि अफगानिस्तान इस क्षेत्र के सभी देशों के साथ आर्थिक संबंध विकसित करने के लिए दृढ़ है।
चीन उज़्बेकिस्तान व्यापार
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उज़्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नेताओं के 16-18 सितंबर के शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उज़्बेक मीडिया में प्रकाशित एक पत्र भेजा, जिसमें उज़्बेक-चीन संबंधों और परिवहन गलियारे के महत्व को रेखांकित किया गया था। चीन से मध्य एशिया तक। शी ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की शुरुआत के बाद से उज़्बेक अर्थव्यवस्था के लिए हुए महत्वपूर्ण विकास को रेखांकित किया। उन्होंने लिखा: “हम सामान्य विकास को आगे बढ़ाने के लिए अच्छे भागीदार हैं। चीन उज्बेकिस्तान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और एक प्रमुख निवेशक है। दोतरफा व्यापार 2021 में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया, इस वर्ष की पहली छमाही में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, और 2022 के लिए निर्धारित 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने की राह पर है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत सहयोग फलदायी रहा है, और प्रमुख परियोजनाएं लगातार प्रगति कर रही हैं।”
चीज़ें समझते चलिये
तो यहाँ दो तीन चीज़ें आप समझते चलिये।
उज़्बेकिस्तान मध्य एशिया का एक बड़ा खिलाड़ी है जहाँ चीन के हित हैं।
चीन को अफगानिस्तान तक रेल मार्ग से जोड़ने में किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान एक सेतु हैं ।
और अब सबसे महत्वपूर्ण बिंदु पर चर्चा।
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अभी अफगानिस्तान ,किर्गिस्तान उज़्बेकिस्तान रेल लाइन पूरी चालू नहीं है ,लेकिन इस कार्गो शिपमेंट द्वारा परीक्षण हो गया|ज़्यादा समय नहीं लगेगा इसे पूरा होने में ।
आगे ये रेल कॉरिडोर ईरान और पाकिस्तान भी जाएगी शायद ।
क्या होगा इससे ?
भारत को तो नुकसान ही है।
भारत को नुकसान
चीन उत्तरी सीमा से भारत को अफगानिस्तान और पाकिस्तान द्वारा घेर लेगा।
मालगाड़ियों में माल भी आ सकता है।
यूरेनियम से असलहों तक सब कुछ
और आदमी भी।
तालिबान के बारे में सब जानते हैं कि ये बना ही पाकिस्तानी सैनिकों और पूर्व सैनिकों द्वारा था।तालिबान पाकिस्तान अलग अलग नहीं हैं कभी भी।
ऊपर से कुछ भी दिखे।
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और ड्रग्स के दो बड़े क्षेत्र ईरान अफगानिस्तान पाकिस्तान का त्रिकोण और म्यांमार ,लाओस ,चाइना ,थाईलैंड इससे जुड़ जाएंगे।
तालिबान को बहुत फायदा होगा।
पाकिस्तान को भी चीन को भी।
भारत को बहुत नुकसान है।
वैसे यहाँ बात समाप्त करूंगा |
गौर करिये भारत में ड्रग्स बहुत पकड़े जा रहे न अभी ?
भारत ने आसियान देशों पर ध्यान देना कम कर दिया है अभी।
कल ही कम्बोडिया के राष्ट्रपति बोले हैं कि आसियान के लिये चीन बहुत जरूरी है।
और हां ,शी जिनपिंग के तख्ता पलट के बारे में कोई जानकारी नहीं मुझे।
विपुल
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भैया आपने बहुत सरल और संक्षेप में समझाया बहुत बढ़िया
Bahut badhiya likha hai vipul bhai… Aise hi likhte raho