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आपका -विपुल

विपुल


क्रिकेट भारत में हमेशा से ही लोकप्रिय खेल रहा है ।तब भी जब हम हॉकी में ओलंपिक सिरमौर थे और शतरंज में पैसे नहीं थे।क्रिकेट खिलाड़ी भारत में फिल्मी सितारों से ज़्यादा लोकप्रिय थे।
बात 1932 से शुरू करें ?
लाला अमरनाथ

लाला अमरनाथ ने 1932 में मुम्बई में टेस्ट शतक जमाया था।उन्हें मैदान में घुस कर लोगे ने फूल मालाएं पहनाई थीं।तत्कालीन आधुनिक महिलाओं ने डिनर के निमंत्रण भी दिये थे।बाद में लाला के कप्तान रहे
महाराजकुमार विजयनगरम के उनसे ईर्ष्या का ये बड़ा कारण था।बीच सीरीज से लाला लौटाये गये थे।
लेकिन केवल मायानगरी की महिलाओं से सम्बंध रखना और फिक्सिंग अलग अलग हैं।उस समय फिक्सिंग की बात नहीं होती थी।मुंबई में ही बीसीसीआई का हेडक्वार्टर और फ़िल्म इंडस्ट्री दोनों थीं तो ग्लैमर इंडस्ट्री के लोगों का लोकप्रिय क्रिकेटर्स से मिलना बड़ी बात नहीं थी।

विजय हज़ारे, विजय मर्चेंट,वीनू मांकड़ विजय मांजरेकर आदि की काफी तस्वीरों में वो बॉलीवुड के लोगों के साथ हैं।लेकिन शायद आपको भी जानकारी हो कि 1960 के आसपास मुंबई में अंडरवर्ल्ड की गतिविधियां बढ़ रही थीं।और इनका पैसा बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में लग रहा था।
आप जानते ही हैं न ?
टाइगर पटौदी निस्संदेह अपने समय के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटर थे।जुझारू ,खिलंदड़े, मॉडर्न और लोकप्रिय भी।
नवाब भी थे।न उन्हें पैसों की कमी थी न प्रसिद्धि की, न किसी और चीज़ की ।लेकिन उनका अफेयर एक बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर से होता है और वो शादी भी करते हैं ।

मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री में तब खुलकर अंडरवर्ल्ड का पैसा लगने लगा था।दिवंगत लोगों पर कोई टिप्पणी किये बगैर आगे बढ़ते हैं।पटौदी के बाद बेदी कप्तान रहे हैं और सफल रहे हैं ।कठोर और परिश्रमी भी।चंद्रा ,बेदी, प्रसन्ना के समय कोई टिप्पणी नहीं।अजित
वाडेकर की कप्तानी में सुनील गावस्कर आये।

गावस्कर आये और छा गए।सुपरस्टार बन गए।इनके फोटो ढूँढिये ।ऐसे ऐसे लोगों के साथ मिलेंगे कि क्या कहें।हालांकि अंडरवर्ल्ड का फ्रंट पेज बॉलीवुड इन्हें अपने जाल में पूरी तरह नहीं फांस पाया।ये काफी चालाक भी थे।
कपिल देव का नाम सारिका से जुड़ा जब वो विश्वकप विजेता थे।सनद रहे कि कपिल पर फिक्सिंग के आरोप लगे हैं।कपिल आईसीएल से भी जुड़े जो बीसीसीआई की सत्ता नहीं मानती थी।आईसीएल से जुड़े केयर्न्स जैसे लोग बर्बाद हो गये ,लेकिन कपिल बच निकले।
निष्कर्ष आप निकालिये।

रवि शास्त्री का रिकॉर्ड देखिये।85 की ऑस्ट्रेलिया में हुई विश्व सीरीज और पाकिस्तान में एक सीरीज छोड़ के इनका प्रदर्शन खास नहीं रहा।इनका सम्बन्ध अमृता सिंह से रहा।92 विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ इतना धीरे खेले कि भारत हारा।ये डर के मारे भारत नहीं लौटे ।सन्यास ले लिया।

भारत ये विश्व कप मैच मात्र 9 रनों से हारा था।अज़हर पहली गेंद पर ही आउट हुए थे।नवोदित सचिन ने बॉथम के सामने जान लगा दी थी।
तब फिक्सिंग के बारे में तो नहीं पता था ।लेकिन ये मैच आज भी देखना।
शक होगा।

रवि शास्त्री का कैरियर रिकॉर्ड आज एक बार फिर चेक करना।तब लोग इन्हें मुंबई कोटे का खिलाड़ी मानते थे।कोहली के साथ मिलकर भारतीय टीम पर पूर्ण नियंत्रण इन्होंने बाद में भी ऐसे ही हासिल नहीं किया।पूरा सपोर्ट था इन्हें ।
**वहीं *** से।

अज़हर हैदराबाद के एक बिजली विभाग के क्लर्क के लड़के थे।निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से।मौका मिलने पर लगातार 3 टेस्ट पारियों में शतक लगाया था।
वंडर बॉय कहे जाते थे।उनका ग्लैमर की चकाचौंध में पड़ना अस्वाभाविक नहीं था।ये शर्मीले भी बहुत थे और ड्रेसिंग रूम में कपिल बनाम गावस्कर था।

एक चीज़ पर गौर करना ।अज़हर इत्तेफाक से भारतीय क्रिकेट में उसी समय उभरते हैं जब बॉलीवुड में दाऊद इब्राहिम खुल के खेल रहे थे।श्रीकांत ने पाकिस्तान जाकर टेस्ट सीरीज 0-0 से ड्रा करवाई थी और इनकी कप्तानी सुरक्षित दिख रही थी ।
पर तभी अप्रत्याशित रूप से अज़हर कप्तान बनाए जाते हैं।

श्रीकांत का हालांकि बल्ल्लेबाज के तौर प्रदर्शन पाकिस्तान में अच्छा नहीं रहा था । पर उनकी कप्तानी अच्छी थी ।पाकिस्तान जाकर बिना हारे लौटना बड़ी बात थी उस समय।
89 की ये सीरीज सचिन ,विवेक राजदान और सलिल अंकोला की डेब्यू सीरीज थी।
अंकोला बाद में ग्लैमर इंडस्ट्री में आये
समझे ?

अपने अक्खड़पन के लिये मशहूर मोहिंदर अमरनाथ पहले ही ठिकाने लगाए जा चुके थे।गावस्कर रिटायर थे।श्रीकांत और वेंगसरकर भी किनारे लगाए जा रहे थे।अज़हर उस समय कप्तान बनाये गए जब भारत में राम मंदिर आंदोलन चरम पर था।
राजसिंह डूंगरपुर ,लता मंगेशकर।
दोनों दिवंगत हैं।
कुछ नहीं कहेंगे।
🙏🙏

आपमें से ज़्यादातर ने इस समय का क्रिकेट नहीं देखा होगा ।मैंने देखा है।
शारजाह में हर साल कम से कम दो सीरीज होती थीं।
भारत पाकिस्तान का मैच हमेशा जुमे को होता था।
लंच टाइम में बीच मैदान में पाकिस्तानी टीम सामूहिक नमाज़ पढ़ती थी
भारत के खिलाड़ी डरे सहमे रहते थे।भयंकर हूटिंग होती थी भारतीय टीम की।

इतना सब होने के बावजूद भारतीय टीम शारजाह जाती ही थी ।लेकिन अति तब हो गई।
(ये मैच मैंने देखा है लाइव )
रामलीला का समय था।
भारत की बैटिंग बाद में थी।
मैदान में अंधेरा था ,लेकिन भारत को मैच खेलना पड़ा।
आक़िब जावेद ने सचिन समेत तीन बल्लेबाजों को एलबीडब्ल्यू किया।

आक़िब की तीनों गेंदे स्टंप्स से ग़ज़ भर ऊपर थीं।कमर पे लग रही थीं।
इस मैच के बाद भारत में वो हंगामा बरपा कि भारत सरकार ने ही भारतीय क्रिकेट टीम के शारजाह जाने पर रोक लगा दी थी।
लेकिन बीसीसीआई तो बीसीसीआई ठहरी।
बला की बेशर्म
कहाँ मानने वाली।

इस दरमियान के मैच देखेंगे तो सचिन सबसे अलग दिखेंगे।हमेशा जीत के लिये जूझते हुए।मनोज प्रभाकर का 95 में कपिल पर फिक्सिंग का आरोप लगाना शायद दो गुटों की लड़ाई थी।96 विश्वकप सेमीफाइनल में अज़हर का श्रीलंका के खिलाफ पहले गेंदबाजी का फैसला 100 प्रतिशत फिक्सिंग था।
ये बहुतों का मत है।

अज़हर संगीता बिजलानी अफेयर इसी समय खुला।सीधे सादे अज़हर का संगीता बिजलानी के साथ अफेयर हतप्रभ कर देने वाला था।तमाम शुभचिंतको की सलाह ठुकराते हुये अज़हर ने पत्नी नौरीन को तलाक दिया और संगीता बिजलानी से शादी की जो कभी भी टॉप की हीरोइन नहीं रहीं।

नवजोत सिद्धू के भी बॉलीवुड से अच्छे संबंध रहे हैं।लेकिन आप सिद्धू पर फिक्सिंग के आरोप नहीं लगा पाएंगे।कांबली के बारे में नहीं कह सकता।गौर करिये कांबली को सचिन ने इग्नोर किया था तब।1996 में सिद्धु को अज़हर ने जलील कर भारत लौटने पर मजबूर किया।
लेकिन ये एक अच्छी चीज़ हो गई यहाँ।

1992 में डालमिया कोटे से आये फिर बाहर हुये सौरव गांगुली 4 साल बाद टेस्ट टीम में लौटे।शतक लगा दिया।साथ राहुल द्रविड़ ने दिया और बाकी कुछ भी कह लो।इन दोनों मानसिक रूप से बेहद मजबूत खिलाड़ियों पर आप खेल से बेईमानी का आरोप तो नहीं ही लगा सकते।दोनों में पटती नहीं थी ।

लेकिन दोनों की ही सचिन से पट गई।श्रीनाथ और कुम्बले से भी।अज़हर कमजोर हुये ।इसी समय आप कुछ अज़ीब से वनडे मैच देखेंगे जिसमें आप तय ही नहीं कर पाएंगे कि हो क्या रहा है ?सहारा कप 97 या ढाका इंडिपेंडेंस कप 98 जैसे।

अज़हर सिद्धू विवाद को न्यूट्रलाइज करने के लिये सचिन कप्तान बनाये गए और शायद भारतीय टेस्ट इतिहास में कप्तानी की जितनी कठिन परीक्षा सचिन की हुई ,उतनी आज तक किसी कप्तान की नहीं हुई।नोएल डेविड ,डेविड जॉनसन, डोडा गणेश, अबे कुरुविला, निखिल चोपड़ा, आशीष कपूर जैसे गेंदबाज और वेस्टइंडीज ,दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड ,ऑस्ट्रेलिया के दौरे।
हाँ ,पारस महाम्ब्रे, देवांग गांधी,विक्रम राठौड़ को भी जोड़ें।
मैंने सुना है वेस्टइंडीज के खिलाफ जब एक मैच में जीत के लिये चौथी पारी में पूरी भारतीय टीम जीत के लिये 120 रन न बना पाई तब
सचिन ,फोन पर अंजली से फूट फूट कर रोये थे ।

सचिन भारतीय क्रिकेट में कदम रखते ही सुपरस्टार बन चुके थे।ये ओहदा किसी को न मिला है ,न मिल पायेगा।इनका कम उम्र में ही अपने से 5 साल बड़ी अंजली से शादी कर लेना इन्हें और भारतीय क्रिकेट को बचा ले गया।
हनी ट्रैप का प्रयास तो इनका भी हुआ ही होगा।पर अंजली औऱ सचिन की बॉन्डिंग अच्छी थी।
सचिन को फिर कप्तानी से हटाया गया।
बहुत अपमानजनक तरीके से।इस दरम्यान का एक मैच कानपुर का याद है।मनोज प्रभाकर और नयन मोंगिया रन ही नहीं बना रहे थे जीतने के लिये।बाद में इसीलिए एक दो मैच से बैन किया गया दोनों को दंड के तौर पर।खुली फिक्सिंग दिख रही थी।
अज़हर दोबारा कप्तान बने।

99 विश्वकप में अज़हर कप्तान थे।बाद में अजय जडेजा भी बनाये गए। तभी हैंसी क्रोन्ये की साउथ अफ्रीका टीम भारत दौरे पर आई।
दिल्ली पुलिस ने मैच फिक्सिंग का विस्फोट कर दिया।
अज़हर ,जडेजा, प्रभाकर नप गये।
फिक्सिंग में।
कारगिल युद्ध हो चुका था तब तक।
भारत में दाऊद के ठिकाने कमजोर थे।

जमींदार घराने के ठसक वाले सौरव गांगुली कप्तान बने।
सचिन ,द्रविड़, कुम्बले, श्रीनाथ,प्रसाद, सभी ने साथ दिया।
सहवाग नए थे।
ये भारतीय क्रिकेट का शायद सबसे साफ सुथरा दौर था।
लेकिन ज़्यादा दिन नहीं चला।

2002 में टीशर्ट उतारने के बाद सौरव गांगुली सलमान से भी ज़्यादा लोकप्रिय थे।
तभी नगमा और गांगुली के अफेयर हवा में तैरने लगे।
अन्य लोगों की तरह मेरा भी विश्वास है कि गांगुली खेल से बेईमानी नहीं करेंगे।घमण्ड कितना भी भरा हो
गांगुली को कप्तानी से हटाने के लिये चैपल अकेले दोषी नहीं थे।

गौर करियेगा ।दादा और ग्रेग चैपल दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।और नगमा वाला प्रकरण भी इसी समय का।
मोहिंदर अमरनाथ की कॉपी दादा को कोई भी फिक्सिंग के जाल में नहीं फांस सकता था
बॉलीवुड का ग्लैमर भी नहीं।
दादा का विकेट गिरा नहीं गिराया गया।
कभी विक्रांत गुप्ता और श्वेता सिंह से पूंछना।

द्रविड़ लक्ष्मण कुम्बले और सहवाग ।
इन सब की शख्सियत बहुत बड़ी थीं।बहुत अनुशासित थे
स्किन अटैक हुये इनपर भी।
द्रविड़ का एमटीवी बकरा एपिसोड याद करिये।
ऐसे ही शुरुआत होती है।
ये लोग मायानगरी से दूर रहे
श्रीसंत के सम्बंध मायानगरी से थे।
आखिर में फिक्सिंग में फंसे ही न ?

द्रविड़ ने कप्तानी के खेल में भले सौरव को पछाड़ा हो ,फिक्सिंग में नहीं फंसे ।2007 का वेस्टइंडीज विश्वकप याद कीजिए।
बॉब वूल्मर की लाश मिली थी।
आज तक राज़ नहीं खुला।
हालांकि इस विश्वकप में भारत सिर्फ थोड़ा खराब खेला था बौलिंग में
ज़हीर खान की पत्नी सागरिका बॉलीवुड से हैं।

लेकिन ज़हीर खान शायद भारत के सर्वश्रेष्ठ वनडे गेंदबाज रहे हैं और इनकी विश्वसनीयता पर कोई मूर्ख ही संदेह करेगा।अब यहाँ से मैं आपका ध्यान कुछ चीज़ों की ओर बहुत गम्भीरता से ले जाकर बात समाप्त करूंगा।

शारजाह में इतनी भयंकर बेईमानी के बाद भी बीसीसीआई ने 4 5 साल बाद ही टीम भेजनी शुरू कर दी।
आईसीसी का मुख्यालय दुबई में बना।
आईपीएल के आयोजन मौका मिलते ही दुबई में होने लगे ।
जबकि साउथ अफ्रीका एक बार आईपीएल का सफल आयोजन कर चुका है।अब तो हर देश आईपीएल आयोजन को लालायित रहता है।

टी 20 क्रिकेट को असली बूम भारत पाकिस्तान के एक रोमांचक विश्वकप फाइनल से ही मिल सकता था जो 2007 में मिला।
ज़ी नेटवर्क के सुभाष चंद्रा ने 2007 में आईसीएल शुरू की।
बीसीसीआई ने इसे और इसके खिलाड़ियों को नेस्तनाबूद कर दिया।
2008 में बीसीसीआई ने आईपीएल शुरू किया।
इसके डायरेक्टर ललित मोदी थे।सुष्मिता सेन फेम।

राजीव शुक्ला भी आईपीएल में जुड़े जो सोनिया से लेकर साद तक सबके करीबी हैं।
आईपीएल के द्वारा क्रिकेट बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड का रिश्ता और गहरा हुआ।
ड्रग्स,सट्टेबाजी ,पार्टी।फिक्सिंग
मुद्गल कमेटी
बन्द लिफाफा
तेरह खिलाड़ी।
अनुष्का शर्मा के पहले सारा जेन डायस
रितिका के पहले सोफिया।

दीपिका पादुकोण का नाम धोनी और युवराज दोनों से जुड़ा।
हरभजन गीता बसरा के साथ।
युवराज रेचेल के पहले किम शर्मा।
ज़हीर सागरिका घाटगे।
ये तो पुराने थे ।
बात किये फायदा नहीं।
वर्तमान भारतीय क्रिकेट की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतें

गौर करिये

विराट कोहली -अनुष्का शर्मा
रोहित शर्मा -रीतिका सजदेह (सलमान खान की दूर की रिश्तेदार)
जसप्रीत बुमराह -संजना गणेशन
हार्दिक पांड्या -नताशा
के एल राहुल -अथिया शेट्टी

गौर करिये ऊपर सब कप्तान हैं या बनेंगे।

ऋषभ पंत भी दावेदार है।
बात समझे तो ठीक न समझे तो क्या समझायें।
🙏🙏

विपुल

आपका -विपुल

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