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साकेत अग्रवाल

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करुण नायर :- खेल में राजनीति का शिकार करुण नायर

image credit-thequint.com

पहले टेस्ट शतक को तिहरे शतक में परिवर्तित करने वाला बल्लेबाज करुण नायर,

भारत के लिए तिहरा शतक लगाने वाला मात्र दूसरा बल्लेबाज करुण नायर

2010 से 2019 के दशक में भारत के लिए सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी खेलने वाला बल्लेबाज करुण नायर

लेकिन इन उपलब्धियों के बाद भी करुण को टीम से बाहर निकाला गया और ऐसा बाहर निकाला गया कि आजतक उसकी वापसी संभव नहीं हो पाई।

वो 16 दिसंबर 2016 का दिन था, 25 वर्षीय करुण को चोटिल अजिंक्य रहाणे के स्थान पर इंग्लैंड के विरुद्ध चेन्नई टेस्ट मैच में खेलने का अवसर मिला। ये करुण का तीसरा टेस्ट मैच था। करुण का टेस्ट मैचों में पदार्पण भी इंग्लैंड के विरुद्ध इसी श्रृंखला के तीसरे टेस्ट(मोहाली) में हुआ था।

वो 26 नवंबर 2016 का दिन था जब चेन्नई टेस्ट मैच में करुण ने वो इतिहास रचा जो सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे महान खिलाड़ी अपने पूरे टेस्ट जीवन में भी नहीं रच पाए। करुण अपने तीसरे ही टेस्ट में तिहरा शतक लगाने का अद्भुत कार्य किया और विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के बाद भारत के लिए तिहरा शतक बनाने वाले मात्र दूसरे बल्लेबाज बने।

ये तिहरा शतक लगाते ही करुण ने एक इतिहास और रचा। वो ऐसे मात्र तीसरे बल्लेबाज बने जिसने अपने पहले ही टेस्ट शतक को तिहरे शतक में परिवर्तित किया हो। उससे पहले गैरी सोबर्स (वेस्टइंडीज) विरुद्ध पाकिस्तान और बाब सिम्पसन(आस्ट्रेलिया) विरुद्ध इंग्लैंड ने ही ऐसा अद्भुत कार्य किया था।

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करुण ने अपने टेस्ट करियर में 6 टेस्ट की 7 पारियों में 62.33 की औसत से 374 रन बनाए। उसका उच्च स्कोर 303(नाबाद) रन का है|

इसके बाद भारत ने अपनी अगली श्रृंखला बंगलादेश के विरुद्ध खेली, अजिंक्य रहाणे की वापसी हुई और करुण नायर को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया। ये बात कल्पना से परे है कि कैसे एक तिहरे शतकवीर को प्लेइंग इलेवन से बाहर किया जा सकता है।

आस्ट्रेलिया के विरुद्ध अगली श्रृंखला के पहले टेस्ट में करुण को टीम में शामिल नहीं किया गया लेकिन अगले तीन टेस्ट मैचों में करुण को टीम में शामिल किया गया हालांकि वहां उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इसके बाद करुण भारत की टीम में शामिल अवश्य रहे पर उन्हें मैदान में उतरने का अवसर नहीं मिला। क्या ऐसा आस्ट्रेलिया के विरुद्ध किए गए निराशाजनक प्रदर्शन के बाद हुआ?

नहीं बिल्कुल नहीं…… कतई नहीं क्योंकि ऐसे बहुत से खिलाड़ी रहे जो लगातार निराशाजनक प्रदर्शन करने के बाद भी लगातार भारत के लिए खेले। करुण नायर को टीम से बाहर करने का कभी कोई ठोस कारण नहीं बताया गया, अलग अलग समय पर नए-नए कुतर्क गढ़े जाते रहे।

2018 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट श्रृंखला में करुण को न चुनने का तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता M.S.K प्रसाद ने कारण बताया कि ” हम घरेलू श्रृंखला में ज्यादा बड़ी टीम नहीं चुन सकते, लिहाजा उन्हें अपने मौके का इंतजार करना पड़ेगा”।

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करुण नायर को इंग्लैंड के विरुद्ध, इंग्लैंड में खेली जाने वाली टीम में चुना गया लेकिन खिलाया नहीं गया, कारण बताया गया कि वो नेट में वैसी बल्लेबाजी नहीं कर पा रहा है जैसी उसने उस दिन (तिहरा शतक लगाने वाले दिन) इंग्लैंड के विरुद्ध की थी।

इतने घटिया और इतने कमजोर कारण बताकर करुण नायर को टीम से बाहर कर दिया गया। वैसे ये वही श्रृंखला थी जिसमें तत्कालीन कप्तान विराट और कोच रवि शास्त्री ने करुण नायर के साथ राजनीति का खेल खेला। स्क्वॉड में शामिल करुण को एक भी मैच नहीं खिलाया गया लेकिन स्क्वॉड के बाहर के हनुमा विहारी के प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। क्रिकेट में खेले गए राजनीति के इस खेल ने तत्कालीन कप्तान कोहली और कोच शास्त्री की मंशा को दुनिया के सामने रख दिया कि वो जानबूझकर करुण को टीम में शामिल नहीं करना चाहते।

करुण नायर संभवतः तत्कालीन कप्तान विराट कोहली और तत्कालीन कोच रवि शास्त्री के पसंदीदा नहीं रहे इसलिए तिहरे शतक के बावजूद उन्हें अधिक अवसर नहीं दिए गए।

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करुण को नहीं खिलाने का एक कारण यह भी हो सकता है कि करुण के तिहरे शतक के बाद तत्कालीन कप्तान विराट कोहली के मन में असुरक्षा की भावना ने जन्म ले लिया हो, स्वयं के लिए अथवा अपने किसी अन्य “प्रिय खिलाड़ी” के लिए।

करुण ने टीम इंडिया में अवसर नहीं मिलने पर एक बार कहा भी था कि “न तो मुझे कोच ने, न ही कप्तान ने और न ही चयनकर्ताओं ने बताया कि मैं टीम से क्यों बाहर हूं? मुझसे किसी ने इस बारे में बात नहीं की।

अब यहां ध्यान देना कुछ दिन पूर्व विराट कोहली एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह रहे थे कि कप्तानी से हटने के बाद मुझे धोनी को छोड़कर किसी ने फोन नहीं किया। इससे ये तो सिद्ध हो ही गया कि आपका कर्म आपके पास वापस लौट कर अवश्य आता है।

करुण को और अधिक अवसर मिलने चाहिए थे वो इसका अधिकारी था लेकिन करुण नायर तत्कालीन कप्तान, कोच और चयनकर्ताओं की राजनीति का शिकार हो गया।

आज कोई विराट कोहली से, रवि शास्त्री से, एम एस के प्रसाद से ये प्रश्न क्यों नहीं पूछता कि उन्होंने करुण नायर का टेस्ट करियर क्यों खाया?

क्यों करुण नायर को अवसर न देने के बहाने ढूंढे गये?

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क्यों करुण नायर से भी अधिक निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी टीम इंडिया में शामिल रहे?

क्यों क्रिकेट में राजनीति का खेल खेला गया?

कोई बड़ा खेल संवाददाता या न्यूज चैनल पूछे या न पूछे लेकिन समय अवश्य ये प्रश्न करेगा।

साकेत अग्रवाल

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