राहुल दुबे
इंतजाम- ए- PET 2022
हमारे प्रदेश की ये परिपाटी है कि हमारे यहां जब कुछ बेहतर होने लगता है तो उसकी ऐसी लंका लगती है कि पूछिए मत। इस बार UPSSSC PET परीक्षा के लिए रिकॉर्ड 37 लाख फॉर्म भरे गए थे, ये आंकड़े सरकार के लिए चिंताजनक तो थे अब सरकार के उपर था कि वे परीक्षा ढंग से कराकर अपनी साख को साबित करते हैं या फिर अपनी साख को बट्टा लगाते हैं।
लेकिन वो होता है न कि कोई सरकारी बड़ा कार्य शत् प्रतिशत सही नहीं हो सकता है ,वही चीज योगीजी के अफसरों ने दोहराई। हड़बड़ी में ऐसी तैयारी की कि उसको पूरा भारत कई सालों तक याद रखेगा।
योगी जी के अफसर इतने क्रांतिकारी हैं कि पहले तो उन्होंने छात्रों के सेंटर को कोसों दूर भेजा और फिर परीक्षा दो दिन में चार शिफ्ट में कराने का फैसला ले लिया। ये लोग AC रूम में बैठकर कितने अपरिपक्व निर्णय लेते हैं। उसकी मिसाल है ये PET का इम्तिहान।
फैसला तो आ ही गया था अतः छात्रों के पास उसका पालन करने के अलावा कोई उपाय नहीं ही था | इसका परिणाम यह हुआ कि जिस स्टेशन पर गिनती के चार लोग नहीं पहुंचते थे ,वहां एक रात में हजार-हजार लड़के खड़े थे।
और एक अपना वजूद गंवा चुकी एक संस्था के सफेद पन्ने पर लिखे आग्रह कि “रेलवे छात्रों के लिए विशेष ट्रेन चलाये” की प्रार्थना को उतना ही स्वीकार किया था रेलवे ने ,जितना राहुल गांधी को देश की जनता ने और हिंदुत्व को उद्धव ठाकरे ने ।
चारों तरफ सब विद्यार्थी एक ही जद्दोजहद में थे |बस कैसे भी करके ट्रैन में चढ़ जायें, बस में चढ़ जायें|
बाकी तो देख ही लेंगे ।
और एक सड़ी गली संस्था के कुंठित अधिकारियों के फैसले ने रातों रात ऐसा महौल बना दिया कि मानो सब खत्म सा हो गया है।
मेरे खुद के लोकल रेलवे स्टेशन से आधी रात को करीब सौ-डेढ़ सौ छात्रों को इसलिए लौटना पड़ा क्योंकि स्टेशन पर रुकी ट्रैन में घुसने की जगह नहीं थी और उसके बाद कोई रेलगाड़ी भी नहीं थी जिससे वो सारे छात्र 200KM की यात्रा रातों रात करके परीक्षा दे आयें।
जो जा भी रहे थे वे ऐसी स्थिति में जा रहे थे मानो कोई परीक्षा देने नहीं बल्कि किसी फैक्टरी में बंधुआ मजदूरी कराने के लिए किसी बाहुबली ने उन छात्रों को जानवरों की तरह ट्रेन में ठूँस दिया हो।
तस्वीरें जब आईं तो उस पर सब अपनी अपनी भावनाएं बेचने लगे |सब को छोड़ भी दें तो इन तथाकथित राष्ट्रवादियों की अलग ही बकलोली है ।
इनके अनुसार सरकारी नौकरी की तैयारी करना , उसका इम्तिहान देना ,चीन से MOU sign करने जैसा है।इस मोर्चे पर निक्कमी सरकार के बचाव में कुछ भी उलूल जुलूल लिखने लगे ये फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी ।
जानते है गजब क्या है ?
इसी यूपी में जुलाई अगस्त में कांवड़ियों के लिए पुलिस अफसर लोग, डीएम साहब लोग ,बड़े साहब लोग, राहों में पुष्प वर्षा कर रहे थे ।
और अब जब छात्रों की ऐसी तस्वीरें आएंगी तो कौन भला हिंदुत्व पर सवाल नहीं करेगा ?
यहां तो ना पुष्प वर्षा ही करनी थी और ना ही DJ लगवाना था ।मात्र हर रूट पर दो विशेष ट्रैन चलवानी थीं।
लेकिन न जाने सरकार की क्या मंशा है ?
छात्र जीवन से ही पढ़कर अफ़सर का जीवन जी रहे इन लोगों की पता नहीं क्या मंशा थी ,जो इन छात्रों को ऐसे ही अव्यवस्था के अंदर छोड़ दिया ।
शायद ये मुद्दा दो दिन भी न चले ।
मीडिया में एक भी दिन ना चले ।
लेकिन जिन छात्रों ने एक पूरी रात ट्रैन में खड़े होकर गुजारी है, ट्रेन में बैठने के लिए धक्के खाये है, जिन्होंने जी जान से 3 महीने तैयारी करी लेकिन फिर भी परीक्षा में इसलिए न बैठ पाए क्योंकि सरकार के पास उचित इंतजाम नहीं था, वो नहीं भूल पायेंगे।
मुझे नही पता चुनावों में ये नेता इन छात्रों से कैसे कह लेते है कि ये सरकार गरीबों-नवजवानों की सरकार है।।
और ऐसे ही चलेगा तो लोग हिंदुत्व का भी मजाक बनाएंगे और तथाकथित हिंदूवादी सरकार का भी |
क्योंकि रामराज्य की परिकल्पना ये कतई नही हो सकती कि आप अपने राष्ट्र के भविष्य को ही अपनी ही नीतियों से चौपट करें |
जय सरकार।
जय जय अफसरशाही।
राहुल दुबे
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