Vividh

बदले की आग

लघुकथा -विजयंत खत्री ​खेतों की हरी-भरी शांति में, जहाँ हवा सरसराती हुई फसलों के बीच से गुजर रही थी, बसंत अपनी चारपाई पर बैठा था। उसका चेहरा ढलते सूरज की रोशनी में चमक रहा था, लेकिन उसकी आँखों में एक अंधेरा था जो खेतों की हरियाली से मेल नहीं खाता…

Comedy Haasya Vyangya

सबक

लेखक -विपुल विपुल भद्दर गर्मी की एक चिलचिलाती दोपहर!खाली सड़क !सत्त्या भाई अपनी मोटर साइकिल घसीट के लिये जा रहे थे।कोई देख नहीं रहा था!पेट्रोल बचा सकते थे!जेब मे पड़े रुपये पानी की बोतल खरीदने के काम आ सकते थे। रास्ते में एक पीपल का पेड़ दिखा, वहाँ खड़े होकर…