भारत पाक मैच और रवीश कुमार -2
लेखक -राहुल दुबे नमस्कार मैं रवीश कुमार!! हाथ कांप रहे हैं, धड़कने महंगाई की तरह हो गयी हैं, मनोबल टूट चुका है लेकिन फिर भी न जाने क्यों मन में एक अजीब सी चहक है,।रात के 2 बज रहे है, सड़क पर दो कुत्ते रह-रहकर बोल रहे हैं, लगता है…