काम और प्रेम
विपुल बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का मन हुआ प्रेम पर।आप मुझसे असहमत हो सकते हैं ,लेकिन मेरे लिये बिना काम के प्रेम अधूरा है, बल्कि है ही नहीं।काम जो है न वो प्रेम का एक स्थायी अवयव है।और रूहानी प्रेम जैसी बकवासों पर मैं यकीन नहीं रखता।अपनी संस्कृति देखियेसीता…