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एक टी 20 विश्वकप बहुत भारी पड़ गया
आपका -विपुल

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज 2024-25 में भारत की 1 के मुकाबले 3 से हार हुई।
भारत केवल एकमात्र पहला टेस्ट मैच जीता जिसमें जसप्रीत बुमराह कप्तान थे, रोहित शर्मा टीम में नहीं थे, दो भारतीय खिलाड़ियों हरफनमौला नीतीश कुमार रेड्डी तेज गेंदबाज हर्षित राणा ने जिसमें अपना पदार्पण किया और बल्लेबाज देवदत्त पडिक्कल ने अपना दूसरा टेस्ट मैच खेला तथा कई मैचों के बाद के एल राहुल ने सलामी बल्लेबाजी की।


लगातार भारत से हार रहे ऑस्ट्रेलिया ने इस बार टेस्ट मैचों का आयोजन स्थल भी इस हिसाब से रखा था कि भारत को ज्यादा से ज्यादा परेशानियों में डाला जा सके।
पहला मैच पर्थ में जो ऑस्ट्रेलिया का सबसे तेज मैदान माना जाता है।दूसरा एडिलेड में पिंक बॉल डे नाइट टेस्ट, तीसरा ब्रिसबेन, चौथा मेलबॉर्न और पांचवां और अंतिम टेस्ट सिडनी में।
हालांकि पहला टेस्ट पर्थ के वाका के बजाय ऑप्टस स्टेडियम में खेला गया पर पहले ही दिन पता चल गया कि ये पिच बल्लेबाजी के लिये बिल्कुल अच्छी नहीं थी।
भारत 150 पर आउट हो गया और दिन का खेल खत्म होने तक ऑस्ट्रेलिया के भी 7 विकेट हो चुके थे।
बुमराह अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे। दूसरी पारी में के एल राहुल के अर्धशतक और यशस्वी जायसवाल के लंबे शतक से भारत की सलामी साझेदारी ही 200 रन की हो गई फिर विराट कोहली ने भी मौके का फायदा उठा कर शतक मार दिया।
ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में ट्रेविस हेड को छोड़ किसी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और भारत अप्रत्याशित रूप से ये मैच जीत गया।
इस जीत में लगभग सभी का योगदान था।
पहली पारी में बल्ले से खास सफल न रहे देवदत्त पडिक्कल और वाशिंगटन सुंदर ने दूसरी पारी में क्रीज पर अच्छा समय बिताया। हर्षित राणा ने उपयोगी विकेट लिये, वाशिंगटन सुन्दर को भी विकेट मिले। सिराज ने भी अच्छा किया।


नीतीश कुमार रेड्डी ने उपयोगी रन बनाये, एक विकेट लिया।
टीम में वो जोश और एकजुटता दिख रही थी जो न्यूजीलैंड के खिलाफ घर में 0- 3 की हार के बाद नदारद थी।
पर दूसरे टेस्ट में टीम के स्थाई कप्तान रोहित शर्मा टीम में लौट आये साथ ही शुभमन गिल भी।


पर्थ टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले वॉशिंगटन सुंदर की जगह रवि अश्विन ने ली।
भारत दोनों पारियों में 200 के आंकड़े तक नहीं पहुंचा, वहीं ट्रेविस हेड ने अकेले ही पहली पारी में 140 रन बना डाले।
ये मैच भारत दस विकेट से हार गया।
तीसरे टेस्ट में भी भारत की स्थिति खराब रही।ट्रेविस हेड ने इस मैच में भी शतक बनाया और साथ ही कई दिनों से आउट ऑफ फॉर्म चल रहे स्टीव स्मिथ ने भी शतक जड़ा।
ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 बना डाले। इसके जवाब में के एल राहुल तथा रवींद्र जडेजा के अर्धशतकों के बाद तेज गेंदबाज आकाशदीप और जसप्रीत बुमराह को बल्लेबाजी में भी हाथ दिखाने पड़े तब भारत फॉलोऑन बचा पाया। बारिश की वजह से भारत ये मैच ड्रॉ कराने में सफल रहा।


पर मेलबर्न टेस्ट में बारिश नहीं आई।
मेलबर्न की पिच इस टेस्ट श्रृंखला की सबसे आसान बल्लेबाजी पिच थी। रविचंद्रन अश्विन पिछले मैच के बाद संन्यास ले चुके थे और इस मैच में सुंदर के साथ जडेजा भी खेले स्पिनर के तौर पर।
पिछले 3 मैचों में ओपनर के तौर पर असफल रहे मैकस्वीनी की जगह सैम कॉन्सटास ने ली और पहले दिन का पहला शो अपनी बल्लेबाजी से लूट लिया। बुमराह सीरीज में पहली बार पिटे। साथ ही कोहली ने भी अनावश्यक ही कॉन्सटास से कंधा टकराया।
कॉन्स्टॉस, ख्वाजा, लाबूशान का अर्धशतक , स्टीव स्मिथ का शतक और पैट कमिंस के 49 रन।
ऑस्ट्रेलिया ने 474 बना डाले।
जवाब में यशस्वी जायसवाल 82 रनों तक अच्छा ही खेल रहे थे जब तक कोहली के साथ गलतफहमी के चलते वो रन आउट न हुये। फिर कोहली भी 36 रनों पर निकल लिये।


नीतीश कुमार रेड्डी के शतक और सुंदर के अर्धशतक से भारत फॉलोऑन बचा पाया और दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के 6 विकेट 91 रनों पर कर दिए पर ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों ने बल्लेबाजी में जौहर दिखा के अपना स्कोर 234 तक पहुंचा दिया।
इस मैच में कप्तान रोहित शर्मा ओपनिंग में आए थे। अंतिम दिन भारत को 95 ओवर खेलने थे मैच बचाने को।
यशस्वी जायसवाल ने अच्छा संघर्ष किया और दूसरे सत्र में ऋषभ पंत ने भी अपना विकेट नहीं फेंका।
पर मैच के अंतिम सत्र में ऋषभ पंत ट्रेविस हेड की गेंद पर एक बेवकूफाना शॉट खेल कर चलते बने और भारत की पूरी पारी ढह गई।
भारत ये मैच हार गया।
अंतिम टेस्ट सिडनी में हुआ और रोहित शर्मा इसमें नहीं खेले, शुभमन गिल खेले। बुमराह ने कप्तानी की।
सिडनी की ये पिच तेज गेंदबाजी के माकूल थी। भारत ने पहली पारी में जैसे तैसे 185 रन बनाए जिसमें पंत का सर्वाधिक 40 रनों का योगदान था।
स्कॉट बोलैंड इस पिच पर आग उगल रहे थे।


भारत ने पहले दिन की आखिरी गेंद पर ख्वाजा का विकेट पा लिया।
अगले दिन कुछ ओवर फेंकने और लाबूशन का विकेट लेने के बाद जसप्रीत बुमराह मैदान के बाहर चले गए और दोबारा गेंदबाजी को न आये।
फिर भी प्रसिद्ध कृष्णा मोहम्मद सिराज और नीतीश कुमार रेड्डी ने जिम्मेदारी उठा कर ऑस्ट्रेलिया को भारत की पहली पारी के स्कोर 185 से कम 181 पर आउट कर ही दिया।
पर अगली पारी में भारतीय बल्लेबाजी को स्कॉट बोलैंड और कमिंस ने तिगनी का नाच नचा दिया।
केवल ऋषभ पंत के आक्रामक 33 गेंदों में 61 रनों को छोड़ कोई भारतीय बल्लेबाज ज्यादा टिका नहीं और भारतीय पारी 157 पर खत्म हुई,जबकि जायसवाल ने पारी के पहले ओवर में ही चार चौके मारे थे और ओपनिंग 42 रनों की थी।


दूसरी पारी में बुमराह गेंदबाज़ी करने आए नहीं और ऑस्ट्रेलिया आसानी से 6 विकेट से ये सिडनी टेस्ट जीत गया।
ऑस्ट्रेलिया ने 2014 के बाद पहली बार भारत से द्विपक्षीय टेस्ट शृंखला जीती।
इस हार से शायद ही कोई भारतीय क्रिकेट फैन चौंका हो।
सभी को पता था ये होने वाला है। हालांकि पहले टेस्ट में बुमराह की टीम के विजय प्रदर्शन से कुछ उम्मीदें जागी थीं, पर लगभग सभी जानते थे कि जिस टेस्ट टीम की बल्लेबाज़ी यूनिट में पिछले कई सालों से असफल कोहली, पिछले 8 टेस्ट में 11 की औसत से खेलते रोहित, सेना देशों में खेली पिछले 18 पारियों में 17 के औसत से खेलते गिल, 100 टेस्ट पारियों के बाद भी 33 के बल्लेबाजी औसत वाले राहुल, महत्वपूर्ण मौकों पर अपना विकेट फेंक देने की काबिलियत रखने वाले पंत हों, उससे जीत की उम्मीद नहीं कर सकते।
आल राउंडर्स नीतीश कुमार रेड्डी, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने लगभग अपना काम किया पर ऑल राउंडर से कब कहां कैसे काम लेना है, ये कप्तान के ऊपर होता है।


अंतिम सिडनी टेस्ट की पिच तेज गेंदबाजी के माकूल थी पर भारत ने दो स्पिन आल राउंडर खिलाये क्योंकि इन ऑल राउंडर्स की बल्लेबाज़ी का इस्तेमाल करना था। इस पिच पर शायद एक और तेज गेंदबाज होता तो शायद नतीजा कुछ और होता।
और नतीजा तब भी कुछ और होता अगर ऋषभ पंत मेलबर्न में अपना विकेट न फेंक देते। पर्थ टेस्ट में खराब प्रदर्शन के बाद
ध्रुव जुरैल को दूसरा मौका मिला नहीं जबकि ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर शायद वो सबसे ज्यादा अभ्यास कर चुका था हाल में।
अभिमन्यु ईश्वरन और सरफराज खान बेंच ही गर्म करते रहे पूरी सिरीज में।
अभिमन्यु ईश्वरन सलामी बल्लेबाज हैं और रोहित की जगह के हकदार भी। शायद उनको न खिलाने का एक कारण ये हो सकता है।
इसी दरम्यान सिडनी टेस्ट के पहले रोहित शर्मा के मित्र देवेंद्र पांडे की कलम से इंडियन एक्सप्रेस में भारतीय ड्रेसिंग रूम की कुछ बातचीत का ब्यौरा दिया गया जिसमें कोच गौतम गंभीर और वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच कहासुनी का विवरण था।


इस लेख का समय ऐसा था कि रोहित पर उंगलियां उठीं, रोहित सिडनी टेस्ट से बाहर रहे और मैच के दूसरे दिन उन्होंने टीवी पर आकर बताया कि उन्होंने खुद ये फैसला लिया था और वो अभी संन्यास नहीं ले रहे।
इसके बाद विद्या बालन सहित कई बॉलीवुड हस्तियों के सोशल मीडिया पोस्ट रोहित की प्रशंसा के आये और साफ दिख गया कि रोहित शर्मा अपने मीडिया मैनजरों द्वारा क्या खेल खेल रहे हैं। पूरा इंटरनेट रोहित की इस पी आर एक्टिविटी की खिल्ली उड़ाने में जुट गया।
वहीं भारतीय टीम के सबसे बड़े सुपरस्टार विराट कोहली की छवि सुधार अभियान भी चालू था।
कोहली को और मौका देने की बातें करने वाले बड़े खिलाड़ियों के साथ ये बात भी फैलाई गई कि कोहली अपना फॉर्म सुधारने को इस साल काउंटी खेलेंगे।
जबकि काउंटी मैचों का समय आईपीएल से टकराता है तो ये संभव ही नहीं।
पर पी आर है तो है।


भारतीय टीम की हार की समीक्षा डायनासोर पूर्व युग से बीसीसीआई में विद्यमान राजीव शुक्ला की अगुआई में हुई और रोहित शर्मा ने उसमें गरज के कहा कि वो अभी संन्यास नहीं लेने जा रहे, भारतीय टेस्ट टीम का कप्तान आप बाद में ढूंढ लेना।
चैंपियंस ट्रॉफी टीम में भी शायद रोहित शर्मा कप्तान रहें और अभी हाल में इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली 3 टी 20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों की टीम जो चुनी गई , उसमें रोहित के धुर विरोधी हार्दिक पांड्या को उपकप्तानी से हटा दिया गया, ईशान किशन की बात ही न हुई और शिवम दुबे चुने न गए।
यही नहीं रोहित के मित्र देवेंद्र पांडे ने पहले ही घोषणा कर दी थी टीम की। मतलब रोहित अभी हावी तो हैं ही।
और बात कुछ गंभीर की भी कर ली जाये।


हर खिलाड़ी, हर कोच पर सवालिया निशान उठाते रहे गंभीर अब खुद सवालों के घेरे में हैं।
26 सालों में पहली बार श्रीलंका से एकदिवसीय सीरीज हार,10 सालों में पहली बार ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हार,12 सालों में पहली बार घरेलू टेस्ट सीरीज हार और 92 सालों में पहली बार न्यूजीलैंड से टेस्ट सीरीज हार!
जवाब कौन देगा? कोच तो गंभीर ही हैं वो भी अपने चुने सहायक कोचिंग स्टाफ के साथ।
अगर वो लगातार असफल रहे रोहित और कोहली को टीम में खिलाने पर मजबूर हैं तो इस्तीफा क्यो नहीं दे देते?
इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में लगातार सफल सरफराज और ध्रुव जुरैल को बांग्लादेश के खिलाफ बाहर कर के एक राहुल को टीम में लाने का औचित्य गंभीर क्या बताएंगे?
अंतिम 15 में चयनित अभिमन्यु ईश्वरन को छोड़ देवदत्त पडिक्कल को खिलाने की क्या जिद थी?
सरफराज और ध्रुव जुरैल क्यों नहीं खेले?
आकाशदीप की जगह पिंक बॉल टेस्ट में हर्षित राणा क्यों थे और पर्थ टेस्ट में अच्छे प्रदर्शन के बाद सुंदर टीम से क्यों हटाए गए?
दो बातें एक साथ नहीं हो सकतीं।
या तो गौतम गंभीर रोहित और कोहली गैंग से समझौता कर के अपनी जगह बचाने में जुट चुके हैं जो अपनी मन मुताबिक टीम चयन नहीं कर पाते या फ़िर गंभीर एक असफल कोच हैं जो सब कुछ अपने हिसाब से करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं दे पा रहे।
गंभीर ऊपर लिखी इन दोनों जगह में से एक जगह जरूर हैं और जहां भी हैं असफल ही माने जायेंगे।
चलते चलते बात बुमराह की भी कर लें।


बुमराह ने इस टेस्ट सीरीज में यादगार प्रदर्शन किया और शायद सिडनी टेस्ट में बुमराह फिट रहता तो शायद हम जीत भी सकते थे।
पर बुमराह को इतना खास समर्थन अपनी पूरी बोलिंग यूनिट से मिली नहीं और वो चोटिल हो गया।
वैसे बुमराह को बांग्लादेश के खिलाफ खिलाने का औचित्य भी समझ न आया।
उम्मीद करते हैं बुमराह जल्द स्वस्थ हों।
भारतीय क्रिकेट तो जल्द स्वस्थ होता दिखता नहीं।
हर दूसरे साल होने वाला एक टी 20 विश्वकप जीतना भारतीय क्रिकेट को बहुत भारी पड़ गया है।
आपका – विपुल
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One thought on “एक टी 20 विश्वकप बहुत भारी पड़ गया

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