विजयंत खत्री
भविष्य की एक खास बात ये है कि ये निश्चित नहीं है।अगर आप मार्वल मूवीज के प्रशंसक हैं तो आपको इनफिनिटी वॉर फिल्म का वो दृश्य याद होगा,जहां पर डॉक्टर स्ट्रेंज भविष्य की करोड़ों संभावनाओं को देखता है और बताता है कि सिर्फ एक ही संभावना ऐसी है जहाँ पर थानोस हार सकता है।
टोनी स्टार्क के पूछने पर कि वह संभावना क्या है, डॉक्टर स्ट्रेंज कहता है कि अगर ये अभी बता दिया तो वह संभावना खत्म ही हो जायेगी।भविष्य के बारे में डॉक्टर स्ट्रेंज का ये कथन बहुत हद तक सही है।कोई भी भविष्य कथन तब ही सही हो सकता है जब सब कुछ जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहे।
भविष्यवक्ता इसी का फायदा उठाते हैं और भविष्य बदलने की कोशिश करते हैं।
उदाहरण के तौर पर यदि आप अच्छी तरह से लगकर पढ़ाई/मेहनत करते हैं तो सम्भव है कि आप सफल हों।पर यह भी संभव है कि यदि कोई आप से अधिक मेहनत कर गया या परिस्थितियां आपके अनुकूल न रहीं और आप अपनी मेहनत को काम में नहीं ला पाये तो आप असफल भी हो सकते हैं।
यहां पर एक बात ये भी विचारणीय है कि यदि किसी व्यक्ति ने बिल्कुल ही पढ़ाई/ मेहनत नहीं की है तो उसका असफल होना तय ही है,बशर्ते वह अपना ढर्रा न बदले।
जैसे ही वह अपना ढर्रा बदलेगा, उसका भविष्य बदल जायेगा।
जब भी आप ज्योतिषों से और अनुभवी बुजुर्गों से मिलेंगे ,उनसे बात करेंगे तो आपको अनुभव होगा कि भविष्य दो तरह के होते हैं।पहला भाग्यफल और दूसरा कर्मफल।
भाग्यफल वह है जो कि निश्चित है।
कर्मफल वह है जो कर्म के परिणामस्वरूप बनता है।
भाग्य आधारित भविष्य अटल है, आपकी लाख कोशिशों के बावजूद आप भाग्य का लिखा रास्ता नहीं बदल सकते, भाग्य आपको मजबूर कर देता है उसके चुने रास्ते को चुनने के लिए।
अब भाग्य के चुने रास्ते पे आप कितने वक़्त में कितना सफर तय करोगे या कितना जल्दी कितना आगे जाओगे, ये आपका कर्म आधारित भविष्य है जो बदलने की प्रचुर संभावना लिये होता है। सबसे ज्यादा अनिश्चित।
उदाहरण के लिए अगर आपका किसान/बिजनसमैन / सरकारी नौकर/राजनीतिज्ञ/अपराधी बनना भाग्य ने तय कर दिया है तो ये होकर ही रहेगा लेकिन सम्बंधित क्षेत्र में आप कितना आगे जाओगे ये आपकी दूरदृष्टि पर आधारित आपके कर्म तय करेंगे।
लेकिन पेंच वहाँ फंसता है जहाँ ज्योतिष से अपना उज्ज्वल या मनपसन्द भविष्य जानने के पश्चात लोग शिथिल पड़ जाते हैं और अपने कर्मों में ढिलाई बरतने लगते हैं।वे निश्चिंत होकर बैठ जाते हैं कि समय आने पर ये सब होना ही है !
हाँ तो भाग्य चाहता ही ये था कि कोई आपको गुमराह करे और आप आलसी हो जाओ और जो भाग्य ने आपके लिए आपकी क्षमताओं से कमतर तय किया हुआ है वहाँ तक आ कर लुढ़को।ऐसे लोगों के लिये ही गोस्वामी तुलसीदास बाबा कह गये हैं।
“सकल पदारथ हैं जग माहीं।
करमहीन नर पावत नाहीं।।”
विजयंत खत्री
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