जिंदा रहो
आप जिस तरह के हैं जैसे भी हैं और जो भी हैं, आप एकदम अद्वितीय और अलबेले हैं और इस सृष्टि के लिये उतने ही जरूरी हैं जितना कि कोई और।
आपके जैसा न तो अभी तक कोई हुआ और आगे भी कभी नहीं होगा।
आप सृष्टि की एक यूनिक रचना है जिसे सृष्टि ने कुछ सोच कर ही बनाया होगा।
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क्योंकि उस परम शक्ति का कोई काज अकारण तो होता ही नहीं।
इस सृष्टि में गोबर में रेंगने वाले गुबरैले, जंगल में स्वच्छंद बिचरते शेर और हवा में उड़ते परिंदे सब जरूरी हैं अपनी अपनी जगह।
भटकटैया का पौधा और गुलाब फूल,
केसर या मिर्च,
कोई भी ऐसा नहीं जो उपयोगी न हो इस सृष्टि में।
जरूरी नहीं कि आप हीरो ही बने।जरूरी नहीं कि आप शेर ही बने।हो सकता है सृष्टि ने तय कर रखा हो कि आप गिरगिट बन के ही सफलता पाएं।
वैसे भी वास्तविक जीवन में शेर से ज्यादा जंग सांप और गिरगिट ही जीतते हैं।
विश्वास नहीं..?
दिल्ली चले जाना कभी!!
बात आपकी कहानी में आपके खुद के हीरो समझने की है। आप असल में हीरो हैं या नहीं, ये मायने नहीं रखता।
वैसे भी अगर तुम खुद अपनी कहानी में खुद को हीरो नहीं मान पाओगे तो कहां बनोगे हीरो?
किसी दूसरे की कहानी में कोई दूसरा हीरो थोड़े न बन पाता यार!
बात कुछ एटीट्यूड की भी होती।
और एटिट्यूड कैसे आता है?
थोड़ी सी बेशर्मी से
देखो!
मैं अच्छा विचारक हूं या खराब, ये भगवान जाने।पर मैं खुद से विचार कर पाता हूं। इस बात का एटिट्यूड है मुझे।
मेरे विचार तब बिलकुल सात्विक नहीं रहते जब जिन्दगी,जिंदा रहने की बात आती है।
जिंदा रहने के लिऐ सबसे जरूरी चीज खुद को जिंदा रखना ही है!
किसी भी तरह।
तुम उतने ही महत्वपूर्ण हो जितना कि कोई और।
जिंदा रहो!
बस!
विपुल मिश्रा
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