आयुष अग्निहोत्री
2024 आने वाला है।
मतलब उत्तर प्रदेश के हर एक युवा के लिए महत्वपूर्ण साल क्योंकि चुनावी साल है और युवाओं का वोट पाने लिए भर्ती निकाली जाएगी। शिक्षा विभाग में भी और पुलिस विभाग में भी। और इस भर्ती को पूरा भी फास्ट ट्रैक पर किया जाएगा। साम दाम दण्ड भेद प्रक्रिया का प्रयोग करके चुनाव से पहले एक माह के अंदर परीक्षा करा ली जाएगी। पिछले वर्ष लेखपाल की भर्ती के लिए परीक्षा जुलाई में करा ली गई थी। 6 माह बीतने के बाद भी रिजल्ट का कोई अता – पता नहीं है जबकि योगी जी के निर्देश थे कि आगामी सभी भर्ती को 100 दिन के अंदर पूरा कर लिया जाएगा।
अब इसमें योगी जी की भी गलती नहीं है क्योंकि युवाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए और उनको यह बताने के लिए कि सरकार उनको नौकरी देने के लिए बहुत प्रयासशील है,ऐसा दिखाने के लिए ऐसे बयान देने पड़ते हैं। जो यूपी एस आई की भर्ती हुई उसकी स्थिति किसी से भी छुपी नहीं है। अब ऐसा लगता है कि सरकारें भर्ती युवाओं को नौकरी देने के लिए नहीं बल्कि चुनाव में वोट प्राप्त करने के लिए करती हैं।
अपने फायदे के लिए समय पर भर्ती न निकालने से सबसे बड़ा नुकसान उन युवाओं को होता है जो उम्र सीमा पार कर जाते हैं। इसका ताजा उदाहरण पिछली साल हुई एसएससी जीडी की भर्ती में देखने को मिला जब कोरोना काल के बाद आई भर्ती में अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया फिर जब विरोध हुआ तो इस वर्ष उनको एक अंतिम अवसर दिया गया।
अब बात करते हैं TET परीक्षा की । पहली बात ये कि बिना पेपर लीक हुए परीक्षा कराना रेत में सुई ढूंढने के समान है। 2021 में TET के फॉर्म निकाले गए। नवंबर में परीक्षा हुई। पेपर लीक । दोबारा परीक्षा हुई जनवरी 2022 में। तब से लेकर अब तक दोबारा परीक्षा का नामो निशान नहीं। 2022 पूरा निकल गया और 2023 का भी एक महीना बीत चुका है। हर साल हजारों सरकारी कर्मचारी रिटायर होते हैं लेकिन भर्ती कितने होते हैं?
सरकार भी नियमित कर्मचारी की अपेक्षा संविदा भर्ती पर ज्यादा ध्यान देती है। संविदा भी नहीं कहना चाहिए क्योंकि सरकार तो कंपनी को टेंडर जारी कर देती है। वही कंपनियां 10-12 हजार रुपए की तनख्वाह पर भर्ती करती हैं। और अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा शोषण भी इन्हीं कर्मचारियों का होता है। उनको ये तक नहीं पता रहता कि कल उनकी नौकरी होगी या नहीं। क्या आज के समय में 10 हजार रुपए में घर का गुजारा करना संभव है? सरकार युवाओं को नियमित भर्ती के स्थान पर वोट पाने के लिए फ्री की योजनाएं चला कर लोगों को नाकारा बनाने पर तुली हुई है। लोग राशन कोटा से फ्री का राशन लेकर बाजार में 16 रुपए किलो के हिसाब से बिचौलियो को बेच देते हैं और सरकार को लगता है कि हम लोगों की बहुत मदद करते हैं। अगर फ्री की योजनाओं पर खर्च किए गए पैसे का इस्तेमाल नियमित भर्ती करके युवाओं के लिए अच्छी योजना लाने पर खर्च करे जिससे युवाओं का भी भला हो तो मुझे लगता है लोग ज्यादा सरकार का समर्थन करेंगे चाहे किसी की भी सरकार हो।
अब लोगों को भर्ती के नाम पर चुनावी लॉलीपॉप देकर वोट बटोरे जाएंगे और वो भर्ती हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अटक जायेगी। सरकार अभ्यर्थियों को बताएगी कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं और जो भी कोर्ट का निर्णय होगा उसी के अनुसार भर्ती होगी और वोट बटोरेगी।
और हां भर्ती तो हो ही जाएगी पूरी 2027 तक क्योंकि तब भी चुनाव होंगे और तब भी वोट लेने होंगे।
आयुष अग्निहोत्री
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A bitter truth…
👌😊