साकेत अग्रवाल
आजकल भारत में एक यात्रा निकाली जा रही है उस यात्रा का नाम रखा गया है भारत जोड़ो यात्रा।
वैसे तो मैं इस यात्रा के विषय पर एक शब्द भी लिखना नहीं चाहता था और यात्रा के प्रारंभ होने (07/09/2022) से लेकर कर दिनांक 12/11/2022 तक मैंने इसे कोई महत्व भी नहीं दिया था और न ही चाहता था कि अन्य कोई इसे महत्व दे लेकिन इस यात्रा के विषय में अकस्मात ही एक आश्चर्यजनक बात पता चली कि ये यात्रा भारत जोड़ो यात्रा से अधिक भारत छोड़ो है और इस कारण से इस विषय को आप लोगों तक पहुंचाना मुझे आवश्यक लगा।
इस यात्रा की एकमात्र सकारात्मक बात ये है कि भले ही दिखावे लिए सही लेकिन इस यात्रा का नाम “भारत जोड़ो यात्रा” रखा गया है। हालांकि इस यात्रा में भारत को जोड़ा कम और छोड़ा अधिक गया है।
आइए बताता हूं कैसे?
भारत को जोड़ने के नाम निकाली जा रही ये यात्रा, भारत को एकता के सूत्र में जोड़ने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के गुजरात को छोड़ते हुए कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाएगी अर्थात तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा, गुजरात से नहीं निकलेगी।
तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा उत्तरपूर्व के सात राज्यों (असम, अरुणाचल, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम) से भी नहीं निकलेगी। उस अरुणाचल प्रदेश से भी नहीं जहां की चिंता हमारे राहुल बाबा को दिन रात खाए जाती है। अच्छा होता राहुल बाबा यात्रा लेकर अरुणाचल जाते और चीन ने वहां पर कथित तौर पर जो घर/बस्ती बना लीं हैं उन पर बुलडोजर चला कर यूपी वाले बुलडोजर बाबा के लिए चुनौती खड़ी करते।
छत्तीसगढ़, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, झारखंड और सिक्किम के लोग भी तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा की नौटंकी से अछूते ही रहेंगे।
तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा भारत के मात्र 11 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों से होकर निकलेगी बाकी बचे 17 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों से ये यात्रा नहीं निकलेगी।
अब आप स्वयं विचार करिए कि ये कैसी भारत जोड़ो यात्रा जो आधे से अधिक भारत को छोड़ते हुए निकाली जा रही है?
आधे से अधिक भारत को छोड़कर कोई भला ये दावा कैसे कर सकता है वो भारत को समझने, जानने के लिए निकला है?
हास्यास्पद बात तो ये है कि आधे से अधिक भारत को छोड़कर निकाली जा रही इस यात्रा के मंच से अनेकता में एकता वाला राग लाउडस्पीकर लगाकर गाया जा रहा है।
कोई भी पत्रकार कांग्रेस से ये पूछने का साहस नही जुटा पा रहा कि आधे से अधिक भारत को छोड़कर ये कैसी भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है लेकिन भ्रम क्या फैलाया जाता है कि मीडिया तो “गोदी मीडिया” है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से MOU साइन करके बैठी भारत की सबसे पुरानी पार्टी अगर आधे से अधिक भारत को छोड़कर कोई बड़ा इवेंट करे और उसे “भारत जोड़ो” का नाम दे तो क्या आप लोगों का माथा नहीं ठनकता?
राजनीति में कुछ भी अकस्मात नहीं होता सबकुछ सुनियोजित होता है|
साकेत अग्रवाल
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