आपका -विपुल
आज एक हैंडल पर सचिन और कोहली की तुलना देखी ।सचिन ने 523 पारियों में 49.51 एवरेज से 107 अर्धशतक सहित 23 274 रन बनाये थे।वहीं कोहली ने 522 पारियों में 53.81 औसत से 124 अर्धशतक सहित 24002 रन बनाये हैं।इस लेख में गम्भीर चर्चा करेंगे आज बहुत दिनों बाद क्रिकेट पर। आइये |
विराट कोहली
पहली बात ,मैं कोहली फैन बिल्कुल नहीं हूँ लेकिन मैं ये मानता हूँ कि सचिन युग के बाद विराट कोहली भारत का सारे फॉर्मेट का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज है।एक समय विश्व का नंबर 1 था।टॉप 10 में आज भी है। कोहली पिछले एक दशक के सर्वश्रेष्ठ भारतीय आल फॉर्मेट बल्लेबाज है ।मानो या न मानो।
रोहित शर्मा
10 सालों के दूसरे बेस्ट आल फॉर्मेट बल्लेबाज काफी बड़े अंतर से रोहित शर्मा हैं।अगर ये मुंबई लॉबी से न होते और धोनी , इन्हें ओपनिंग का मौका न देते तो ये बीती बात हो चुके होते।इन्हें टेस्ट में भी बहुत मौके मिले 2013 में टेस्ट डेब्यू के बाद 2019 में भरोसेमंद टेस्ट बल्लेबाज बन पाए।
चेतेश्वर पुजारा
पिछले एक दशक के तीसरे सबसे बड़े भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा हैं और ये आल फॉरमेट प्लेयर नहीं हैं।केवल टेस्ट खेलते हैं।इसी से आप सीमित ओवर क्रिकेट की भारतीय बल्लेबाजी का आंकलन कर लें।2019 और 2021 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर यादगार प्रदर्शन किया था।
ऋषभ पंत
तमाम बेवकूफियों और नादानियों के बाद भी युवा भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत पिछले एक दशक के चौथे सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाज हैं मेरे अनुसार।मज़े की बात ये है कि इनका इंटरनेशनल डेब्यू हुये पूरे 5 साल भी नहीं हुये और टेस्ट के अलावा सीमित ओवर में इनकी उपलब्धि नगण्य हैं।
मुरली विजय
मुरली विजय मेरे पांचवे सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाज होंगे पिछले 10 साल के ।ये केवल टेस्ट खेलते थे और 3 साल से टीम से बाहर हैं। इसी से आप दोबारा भारतीय सीमित ओवर टीम की क्षमता का आंकलन करें। आप विश्वकप जीतेंगे ?आगे और घाव भी कुरेद के रहूँगा ।
के एल राहुल
कभी भी मौके पर काम न आने वाले के एल राहुल मेरी भारतीय सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाजों की लिस्ट में नम्बर 6 पर होंगे।2014 में ऑस्ट्रेलिया में डेब्यू शतक2017 में ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे पर 5 अर्धशतक,2021 के इंग्लैंड दौरे पर शतक ।और कोई उपलब्धि नहीं इनके पास।मौके बहुत मिले।
एम् एस धोनी
3 साल पहले रिटायर हो चुके धोनी को मेरी पिछले 10 सालों के सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाजों की लिस्ट में नंबर 7 पर रखने का मतलब । आप खुद का मज़ाक उड़ा रहे हैं अगर आप सोचते हैं कि आप सीमित ओवर क्रिकेट विश्वकप के दावेदार हैं।
अजिंक्य रहाणे
पिछले एक दशक में सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाजों की लिस्ट में आठवें नम्बर पर विशेषज्ञ टेस्ट बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे को रखना पड़ रहा है जो 3 साल से आउट ऑफ फॉर्म हैं और अब टीम से भी आउट हैं।मतलब भारतीय बल्लेबाजी बहुत कमजोर है।
शिखर धवन
केवल 50 ओवर क्रिकेट खेलने वाले शिखर धवन इस दशक के सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाजों की लिस्ट में 9वें नंबर पर रहेंगे।केएल राहुल की तरह टेस्ट में ज़्यादा मौके नहीं मिले।स्ट्राइक रेट और चोट समस्या रही। 2019 विश्वकप में चोटिल होकर बाहर हुये ।भारत पर प्रभाव पड़ा|
रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा
अगर विशेषज्ञ टेस्ट गेंदबाज़ों अश्विन और रविंद्र जडेजा को मुझे पिछले 10 साल के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की सूची में दसवें नंबर पर संयुक्त रूप से रखना पड़े तो सीमित ओवर क्रिकेट भारतीय बल्लेबाजी के बारे में आपको इशारा मिल जाये।अश्विन जडेजा दोनों टेस्ट में ही बढ़िया बैटिंग करते हैं|
सचिन और कोहली की तुलना
अब यहाँ से असली टॉपिक शुरू करते हैं। पिछले एक दशक के भारतीय बल्लेबाजों के बनाये रन देखें और विराट कोहली के बनाये रन देखें।पिछले 10 सालों में भारतीय टीम ने जितने रन सभी फॉर्मेट में बनाये हैं । शायद 25 से 30 प्रतिशत अकेले कोहली के हैं एकदम सही आंकड़ा नहीं पता ।कोई निकाल ही लेगा आंकड़े |
तो एक तो ये कि कोहली ने भी सचिन की तरह टीम इंडिया को अपने कंधो पर काफी समय ढोया।सीमित ओवर में रोहित और धवन, टेस्ट में पुजारा, रहाणे ने साथ दिया ।सचिन को कैरियर के उत्तरार्द्ध में टेस्ट में द्रविड़ ,गांगुली ,लक्ष्मण ,सहवाग ,वनडे में सहवाग ,दादा, धोनी और युवराज का साथ मिला था।
दूसरा ये कि कोहली के आक्रामक स्वभाव की वज़ह से कोहली के हेटर ज़्यादा हैं। हम सचिन और कोहली की तुलना 5 बिंदुओं पर करेंगे। तकनीक, मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास , नाजुक मौकों पर प्रदर्शन, विपक्षी गेंदबाज , पिच प्रारूप और नियम। चलिये शुरू करते हैं।
तकनीक
तकनीक – दाएं हाथ के बल्लेबाजों में सचिन और बायें हाथ के बल्लेबाजों में लारा से ज़्यादा अच्छी तकनीक किसी की नहीं है।ऑफ़ स्टम्प के बाहर से बैट लाने वाले बॉटम हैंड बल्लेबाज कोहली जो लेग साइड मास्टर हैं ,वो टिपिकल टेक्स्ट बुक तकनीक वाले सचिन से नहीं जीत पाएंगे। सचिन 1 कोहली 0
मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास
मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास में 0.01 परसेंट से ही सही ,कोहली को सचिन से आगे रखूँगा। सचिन के समय ऐसे ज़हरीले फैंस ,बेलगाम सोशल मीडिया और माहौल नहीं था। कोहली 1 सचिन 0
नाजुक मौकों पर प्रदर्शन
नाजुक मौकों पर न सचिन महत्वपूर्ण प्रदर्शन कर पाते थे ,न कोहली कर पाते हैं। विश्वकप 2003 फाइनल चैंपियंस ट्रॉफी 2017 फ़ाइनल 2001 कोलकाता टेस्ट, 36 आल आउट टेस्ट सचिन -0 कोहली -0
विपक्षी गेंदबाज
बोल्ट वसीम अकरम से कम नहीं है।कमिंन्स मैक्ग्रा के ही टक्कर का है।रबाडा और स्टेन में ज़्यादा फर्क नहीं है।अश्विन लॉयन दोनों हरभजन से कम नहीं हैं। सचिन और कोहली दोनों ने ही बेहतरीन गेंदबाज़ों का सामना किया है। सचिन -1 कोहली -1 स्कोर 2 -2 फाइनल की ओर चलिये।
पिच प्रारूप और नियम
पिच प्रारूप और नियम। यहीं सचिन बाज़ी मार ले जाते हैं।वर्तमान में कोई भी पिच 1990 के पर्थ जितनी तेज़ नहीं है।स्विंग पिचें भी ज़्यादा नहीं हैं।टी 20 प्रारूप बढ़ा है।बाउंड्री छोटी हुई हैं।गेंद पहले के मुकाबले ज्यादा दूर जाती है।वनडे में 15 से 40 ओवर तक बाउंड्री पर 4 ही फील्डर रख सकते हैं।रन बनाने के मौके ज़्यादा हैं।इसलिए कोहली सचिन के बराबर दिखते हैं। सचिन ने लम्बी बाउंड्री पर तब भी रन बनाए जब ऐसे नियम नहीं थे। सचिन -1 कोहली -0 फाइनल 3 -2 सचिन के पक्ष में |यहाँ एक बात अंत में-
विराट कोहली इस युग का सबसे बड़ा प्रतिभाशाली बल्लेबाज है।अगर ये 12000 टेस्ट रन नहीं बनाता तो ये खुद के ही साथ अन्याय करेगा।
आपका -विपुल
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