आप असफल नहीं हैं।
आपका – विपुल
एक साल और
मैंने खुद का मूल्यांकन किया तो पाया कि भले ही मैं कोई बहुत बड़ी हस्ती न होऊं,बहुत अमीर और बहुत रुतबे वाला न होऊं,पर अभी जिंदा हूं, खेल में हूं और असफल भी नहीं हूं।
ये एकालाप है और यहां इसलिये लिख रहा हूं कि शायद किसी कठिनाइयों से जूझते व्यक्ति को कुछ मदद इसी से मिल जाये।
सब कुछ आपकी मर्जी से नहीं हो सकता जिंदगी में।सब कुछ अगर आपकी मर्जी से होने लगेगा तो सात आसमान पार बैठे भगवान का क्या काम फिर?
आप अपना काम कर सकते हैं, जिस पर आपका वश हो।
और जीवन जीने के लिए काम करना ही पड़ता है।
छोटा बड़ा मंझोला।
नौकरी खेती दुकान व्यापार ड्राइवरी, प्लंबरी कुछ भी।
हो सकता है आप अंबानी जैसे अमीर, ह्रितिक जैसे हैंडसम, गुकेश जैसे दिमाग वाले सचिन जैसे लोकप्रिय या मोदी जैसे सफल न हों। पर इसका क्या गिला?
दुनिया के 99 .99 %लोग ऐसे सफल अमीर हैंडसम तेज दिमाग नहीं होते।
पर दुनिया ऐसे ही लोग चलाते हैं।
हमारे आपके जैसे एकदम साधारण लोग।
और इस बात का गर्व करिए कि दुनिया हमारे आपके जैसे लोगों से चलती है।
आपकी कही हर बात का वजन है, आपकी लिखी हर बात का वजन है।
कोई माने या न माने आप मानो ये बात सबसे पहले।
जब खुद को खुद ही सीरियसली लेने लगोगे तो दुनिया भी आपको सीरियसली लेगी।
ऐसा करना शुरू करें तो फर्क दिखता ही है।
और एक बात गांठ लें कि इस भरी दुनिया में आपके लिए आपसे ज्यादा महत्वपूर्ण कोई नहीं।
अगर आप ऐसा नहीं मानते तो आप फिजिकली बाद में मरोगे, मेंटली अभी ही मर चुके हो।
आप जिंदा रहोगे, खेल में रहोगे तो आपकी पूंछ है।
मुर्दा जिस्म को कोई न पूछता।
लोगों को दिखाते रहो कि आप जिंदा हो।
कैसे?
खुद को जिंदा दिखाने के लिए बेशर्म बनना पहली जरूरत है और जीवन में कुछ हासिल करने के लिए भी बेशर्मी पहली जरूरत।
मैं बिल्कुल भी बहुत बड़ा धर्मात्मा, उदारवादी और सबको प्रिय लगने वाले व्यक्ति बनने की सलाह कभी किसी को नहीं देता।
बेशर्म बनने की की जरूर देता हूं।
ये जीने के लिए जरूरी है।
जरा कभी सोचना कि आपसे 4 गली आगे रहने वाले कितने लोग आपको जानते हैं और आपसे 8 गली आगे रहने वाले को क्या इस बात से मतलब है कि आज आपके घर चूल्हा जला कि नहीं?
आपका उधार चुका कि नहीं?
किसी को मतलब नहीं होगा। इसलिए अपनी योजनाएं टोले मोहल्ले वाले क्या कहेंगे के आधार पर तो मत ही बनाएं।
कोई किसी का नहीं होता,इन सब कटु सत्यों को जानने के बाद भी थोड़ा सामाजिक रहें।
अपनी तरफ से किसी से संबंध न बिगाड़ें। समाज में दिखते रहें। पर केवल वहीं जहां आपको बुलाया जाए। समाज की पंचायतों में लगे रहेंगे तो जीने में रुचि भी रहेगी।
अकेलापन आदमी को डिप्रेशन में धकेलता है।
समस्याएं सबके सामने आती हैं।सभी लोगों के ज्यादातर फैसले उनको बाद में गलत ही लगते हैं।पर न आप समस्याओं से भाग सकते हैं, न फैसले लेने छोड़ सकते हैं।
जीवन में सब कुछ करना पड़ता है।
खेल में तो हैं अभी भी आप।
गलतियां सबसे होती हैं।कुछ से तो गुनाह भी।
असफलतायें भी हैं।
पर जीवन यहीं खत्म नहीं हो जाता।
खेल में अभी भी हैं आप।
आज नहीं तो कल जीतेंगे।
एक कप चाय,एक सिगरेट या एक लवली लवली!
आज जैसा था,था!
कल फिर सूरज निकलेगा।
फिर खेलेंगे।
अभी मैदान में हैं।
जीत सकते हैं।
अभी असफल नहीं हुये👍
आपका – विपुल
सर्वाधिकार सुरक्षित – Exxcricketer.com
आप का लेख अच्छा और प्रेरक लगा ।