थी एक मैंने ख़्वाहिश करी
काव्य शायरी Exxcricketer.com समीर समीर ख्वाहिश..कभी टूटते सितारे को देख, थी एक मैंने ख्वाहिश करी, कभी तकदीर की लिखाई से, यूँ ज़ोर आज़माइश करी, पर सितारा जो टुटा तो मेरे ख़्वाब भी संग टूट गए, और तकदीर के साए में छुप के सारे वो रंग रूठ गए, अब लगता है…