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आयुष अग्निहोत्री
भारतीय शिक्षा
किसी भी समाज का निर्माण और पतन उसकी शिक्षा ही करती है। अगर शिक्षा अच्छी हो तो समाज एवं संस्कृति का निर्माण होता है एवं अगर शिक्षा सही दिशा में न हो तो उस समाज की संस्कृति का पतन भी होता है।
शिक्षा के पाठ्यक्रम में यह याद रखना नितांत आवश्यक है कि हम आप रोल मॉडल किसे बता रहे हैं, कहीं ऐसा तो नहीं किसी क्रूर व्यक्ति का वर्णन या किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन हम अपनी पुस्तकों में कर रहे हों जिसने हमारे समाज एवं संस्कृति को चोट पहुँचाई हो। बैसे भी कहा जाता है कि जो देश अपना इतिहास भूल जाता है , वह अपना सब कुछ भूल जाता है।
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अभी कुछ दिन पहले icse बोर्ड की एक किताब देखी जिसमें एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन किया गया था जिसको देखकर मैं चौंक गया। जी हां
उस व्यक्ति का नाम था एम एफ हुसैन
वही एम एफ हुसैन जिसने भारतीय समाज को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसने हिन्दू देवी – देवताओं की अभद्र तस्वीरें बनाई। जिसने हमारा देश, हमारी मातृभूमि जिसको हम भारत माँ कहते हैं , उनकी नग्न पेंटिंग बनाई। जिसने हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगला और जो बाद में भारत की नागरिकता छोड़कर चला गया उसका बखान हमारी किताबों में किया जा रहा है और बच्चों को वही पढ़ाया जा रहा है।
जिस व्यक्ति ने देश छवि को नुकसान पहुंचाया हो ऐसे व्यक्ति के बारे में पुस्तकों में पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना एवं बच्चों को पढ़ाना उचित है?
कोई भी व्यक्ति कितना भी महान क्यों न हो वह देश से बढ़कर कभी नहीं हो सकता।
और यह सिर्फ एक घटना नहीं है औरंगजेब से लेकर अलाउद्दीन खिलजी तक से किताबें भरी पड़ी हैं। कक्षा 7 की इतिहास की किताब उठा के देखिए मुगलों को भर भर के पूरे के पूरे पाठ बताए गए हैं वहीं महाराणा प्रताप एवं पृथ्वीराज चौहान को कुछ लाइन्स में समेट दिया गया।
जरूरी यह है कि हमें अपना सही इतिहास पता हो न कि वह जो इतिहासकारों ने एक पक्षीय लिखा है। सरकार को भी इस बारे में कदम उठाने होंगे अगर वास्तव में हम अपने बच्चों को अपना वास्तविक इतिहास पढ़ाना चाहते हैं तो।
धन्यवाद 🙏
आपका -आयुष अग्निहोत्री
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