लेखक -आयुष अग्निहोत्री
आज के समय में एक शब्द बहुत सुनने को मिलता है
सेक्युलरिज्म या धर्मनिरपेक्षता
लेकिन वर्तमान में ये शब्द एक शब्द न होकर एक एजेंडा बन गया है। एक ऐसा एजेंडा जिसमें आप एक धर्म के समर्थन में धृतराष्ट्र की तरह खड़े हो जाएं और वही दूसरी तरफ दूसरे धर्म को गाली दें। कुछ नेता, पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं जबकि ये स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष हैं। अगर आप इनके विचार पढ़ें तब आपको पता लगेगा कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कैसे आपको मूर्ख बनाया जा रहा है।
ये लोग बिलकिस बानो को लेकर तो उसके धर्म की दलील देकर न्याय मांगते हैं जबकि उसके आरोपी सजा काट चुके हैं एवं उनको मानवीय आधार पर रिहा किया गया है। जबकि हाल में झारखंड के दुमका जिले में हुई घटना पर शुतुरमुर्ग की तरह मुंह मिट्टी में डाल लेते हैं । झारखंड के दुमका जिले में एक 17 वर्षीय युवती अंकिता को शाहरुख नाम के लड़के ने पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। अंकिता का दोष केवल इतना था कि उसने शाहरुख से प्यार करने से मना कर दिया था। ये घटना इतनी भयाभय थी कि अंकिता का अंत समय का वीडियो देखकर दिल कांप गया।
अपराधियों के इतने हौसले बुलंद हैं कि किसी को भी घर में घुसकर मार देंगे और छाती चौड़ी करके चलेंगे क्योंकि उनको पता है कि उनको बचाने के लिए वकीलों की फौज खड़ी हो जाएगी क्योंकि अपराधी यहां पर धर्म विशेष से है। अगर कोई कसर रह भी गयी तो जज साहब पहले ही कह चुके हैं “Every sinner has a future”. जब आप किसी बड़े पद पर होते हैं तो आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है एवं आपका एक – एक शब्द समाज में मिसाल के तौर पर जाता है। जब न्यायाधीश ऐसी बात कह कर अपराधियों की मौत की सजा (4 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म किया गया था जिसमें बालिका की मृत्यु हो गयी थी) को उम्र कैद में बदल देंगे तो अपने आप समाज में गलत संदेश जाएगा एवं अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे।
जब कोई घटना तबरेज के साथ हो जाती है तो देश का तमाम मीडिया , पत्रकार, नेता एवं स्वघोषित सामाजिक कार्यकर्ता सेकुलरिज्म के नाम पर निंदा करने लग जाते हैं लेकिन जब पीड़िता निकिता तोमर हो तो सबके मुंह में दही जम जाता है। जब पीड़ित अखलाक हो तब सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी लोग घर जाकर मुआवजा देते हैं करोड़ों के चेक , प्लॉट, नौकरी तक की घोषणा हो जाती है लेकिन जब पीड़ित दिलवर नेगी हो तो सब नाम लेने से भी बचते हैं।
ऐसी हजारों घटनाएं हैं और इसमें केवल विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष भी है। शबाना आजमी की कार का एक्सीडेंट हो जाने पर ट्वीट आते हैं एवं महाराष्ट्र में साधुओं की हत्या पर चुप्पी एवं कमलेश तिवारी तथा कन्हैया लाल के गला रेते जाने पर मौन धारण कर लिया जाता है एवं हमको बताया जाता है कि पद की गरिमा होती है।
आयुष अग्निहोत्री
सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com