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सत्त्या भाई के सबक -3

लेखक -विपुल


सत्त्या भाई ने घड़ी देखी ,
12 बजे थे ।उज्जैन में थे
इंदौर पहुंचना था 4 बजे
सड़क जाम कर रखी थी प्रदर्शन कारियों ने।
ट्रेन से जाना नहीं चाहते थे, पर विकल्प नहीं था।
अमीषा पटेल के मैनेजर निकल जाते इन्दौर से 4 बजे तक।
उनसे ही काम था सत्या भाई को।
तो एक इंटरसिटी ट्रेन में चढ़ गए।

ट्रेन खचाखच भरी थी।खुद को कोसते हुये सत्त्या भाई एक डिब्बे में चढ़ पाए जैसे तैसे।।
नीली जीन्स, सफेद हाफ बाजू के कुर्ते, बॉबी देओल टाइप चश्मा, मस्तक पर तिलक हाथ में एप्पल का फ़र्ज़ी लोगो लगा चाइनीज़ मोबाइल।
सत्या भाई जम रहे थे ,कैलाश विजयवर्गीय जैसे।

लोगों ने इतना एहसान किया कि सत्त्या भाई को खड़े रहने भर की जगह मिल गई
लगभग डेढ़ घंटे काटने थे ।सत्त्या भाई ने आह भरी ।सीट पर कुछ बुढ़िया आराम से टांग फैलाये बैठी थीं, कुछ लेबर टाइप लोग, कुछ डेली पैसेंजर टाइप।एक एक सीट पर 7 8 लोग ठंसे थे
हाऊ डिसगस्टिंग!सत्त्या भाई के मुंह से निकला

लगभग बीस मिनट बाद ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी ।कुछ लोग उतरे ,पर सीटें तब भी खाली नहीं हुईं।।
तभी सौंदर्य प्रेमी सत्त्या भाई की नजरें चमक उठीं।
अत्यंत सुंदर और आकर्षक दो युवतियां डब्बे में चढ़ी
ग्रे स्कर्ट ,व्हाइट ब्लाउज।
सत्त्या भाई को पता नहीं खरबूजों का भाव क्यों ध्यान आ गया ?

ट्रेन के अंदर इतनी जगह थी नहीं कि वो बैठ पाएं ,तो उन युवतियों ने सत्त्या भाई के पास खड़े रहना उचित समझा।उनके पीछे एक अत्यंत रौबदार अधेड़ सफारी सूट पहने, हाथ मे बैग लिए घुसा।ऑफिसर लग रहा था।एक कुछ उम्र दराज महिला पैंट सूट में आई ।
“बहुत गर्मी है भाई साहब!”सफारी सूट वाला बोला।

जी”
सत्या भाई ने जवाब दिया।जो बहुत खुश थे अंदर अंदर।।
दो युवा स्टूडेंट्स लड़कियां उनके आस पास खड़ी थीं।भीड़ की वजह से अंग अंग चिपक रहा था।
एक शिल्पा शेट्टी टाइप सेक्सि औरत उनके सामने थी।
क्लीवेज की स्पेलिंग क्या होती है ? सत्त्या भाई याद कर रहे थे।
बोल कुछ रहे थे ,सोच कुछ।
इसी दरम्यान दो तीन बार ट्रेन दो तीन स्टेशन पर रुकी।अगल बगल खड़ी लड़कियों को दो तीन बार पता नहीं क्यों बाथरूम जाना पड़ रहा था, वो एकदम चिपक के निकल रही थीं सत्त्या भाई से।सत्त्या भाई का रोम रोम गदगद था ।
हालांकि कोई लौंडा इतना चिपक के निकलता तो कंटाप मार देते उसके सत्त्या भाई

उधर वो शिल्पा शेट्टी टाइप औरत ,बार बार सत्त्या भाई पर झुकी जा रही थी, ट्रेन हिल रही थी न।चौसा आम क्या भाव है?सत्त्या भाई मन ही मन सोच रहे थे
उधर सफारी सूट वाला सत्त्या भाई को बता रहा था कि ई बराबर एम सी स्क्वायर अब सर्वमान्य फार्मूला नहीं है ,शायद फिजिक्स टीचर

एम सी ?
स्क्वायर?

इतना अच्छा पैसेंजर ट्रेन का सफर सत्त्या भाई का आजतक नहीं कटा था।वो प्रोफेसर और शिल्पा शेट्टी एक स्टेशन पहले उतरे इंदौर के।गाड़ी भी खाली हो रही थी।सत्त्या भाई से वो दोनों प्रभावित लग रही थीं ।इन्दौर में मॉडल थी दोनों ।
सोना ,माना
इंदौर में ट्रेन स्टॉपेज
सत्त्या भाई मन मार के उतरे

सोना माना को1 फ्लाइंग किस देते हुये वो बाहर निकले
टैक्सी को हाथ दिया
और फिर टाइम देखने के लिये मोबाइल देखना चाहा,पर उनके पास नहीं था
ओह
उन्होंने अपने लैपटॉप बैग में रख लिया था।
कितना भुलक्कड़ हूँ मैं
वो मन ही मन हंसे।
ऐसे ही वक्त के लिये वो cadio की 35 रुपये वाली घड़ी पहनते थे

लेकिन हाथ में तो ये भी नहीं थी।
फिक्रमंद होकर सत्त्या भाई ने चरस वाली सिगरेट निकालने के लिये जीन्स की जेब में हाथ डाला।
कुछ नहीं
कुर्ते की जेबें कटी, फटीं
जीन्स की जेब में पर्स नहीं
बैग के नीचे कट ।
मोबाइल गायब
बैग तो वो टाँगे ही रहे थे
कौन काम लगा गया ?
सोना ?
माना ?
शिल्पा?

सत्त्या भाई को फिर स्टेशन के बाहर बैठे चरसियों के झुंड को अपना परिचय और कोड नंबर देना पड़ा।
चरसियों में बड़ी एकता होती है।
कोड नंबर मिलते ही भाई की आने जाने रुकने की व्यवस्था पूरी हो गई ।पर उस दिन सत्त्या भाई को एक सबक मिला।आपके लिए भी उपयोगी है ।
याद रखना।

ट्रेन के जनरल डब्बे के सफर में कोई ज़्यादा चिपकने की कोशिश करे तो सतर्क हो जाओ ,विशेषकर सुंदर लड़की।
ये पूरा गिरोह होता है जेबकतरों का जो इतना सिस्टमेटिक काम करता है कि शक नहीं होता।
शिकार कर आधे लोग एक स्टेशन पहले उतर जाते हैं बाकी पूरा गिरोह आखिरी तक रहता है।

🙏

लेखक -विपुल

सर्वाधिकार सुरक्षित -Exxcricketer.com


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