लेखक – विपुल
कई नवयुवक पूंछते हैं कि बहुत सारी ट्रॉफीज या बहुत सारे मैच न जीत पाने के बाद भी आजतक सचिन तेंदुलकर को इतना सम्मान क्यों दिया जाता है जबकि धोनी ने सचिन से ज़्यादा ट्रॉफीज जीती हैं और कोहली का वनडे रेकॉर्ड और विदेश जीत का रिकॉर्ड सचिन से अच्छा है।ये लेख इसी पर |
सचिन ,सचिन का युग
पहली बात तो ये कि सचिन जब अंतरराष्ट्रीय पटल पर उभरे ,तब 83 की विश्वविजेता भारतीय टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी या तो रिटायर हो चुके थे, या होने वाले थे।ऐसे समय मे सचिन भारतीय बल्लेबाजी क्रम की रीढ़ बने।दूसरे उस समय भारत में पॉवर हिटर के तौर पर केवल सचिन ही थे।
सचिन ने वनडे में ओपनिंग के साथ धमाल मचाया ,साथ ही अच्छे स्पिनर भी थे।वेस्टइंडीज के खिलाफ एक बार शायद 5 विकेट लिये थे।हीरो कप 93 के सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को अंतिम ओवर में 6 रन नहीं बनाने दिये।विदेशों में सबसे सफल टेस्ट बल्लेबाज होते थे।
ये वो समय था ,जब भारतीय टीम का विदेश जाकर सीरीज ड्रा करवाना ही बड़ी उपलब्धि थी।सचिन का कभी किसी क्रिकेटर से कोई विवाद नहीं रहा।न ही किसी सिने तारिका से अफेयर की बात उठी।कप्तान के तौर पर असफल होने पर कप्तानी भी छोड़ दी।
यही नहीं ,जिस फ़िक्सिंग के भंवर जाल में साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोनिये की जान गई ।अज़हर, अजय जडेजा, प्रभाकर के करियर खत्म हुये, उस फिक्सिंग के कीचड़ की एक छींटा भी सचिन पर नहीं पड़ा।पूरे करियर में सचिन को अम्पायर से भिड़ते भी नहीं देखा किसी ने ।
हां ,लगातार खेलते ज़रूर रहे और जब उनसे वेंगसरकर ने रिटायरमेंट के लिये कहा, तो ले भी ली, नहीं तो शायद और दो तीन साल खेलते।रिटायरमेंट वाले साल में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 की पारी खेली थी, मतलब फिट थे तब तक।आईपीएल में रोहित की कप्तानी में भी खेल लिये।ईगो नहीं दिखाया।
महेंद्र सिंह धोनी
अब बात धोनी की ।निस्संदेह भारत के अभी तक के सबसे अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज और कप्तान।लेकिन जहाँ सचिन ने विदेशी दौरों पर असफल होते ही कप्तानी छोड़ दी, धोनी ने तब तक टेस्ट की कप्तानी नहीं छोड़ी ,जब तक मज़बूर नहीं हुए।2011 के विश्वकप के बाद इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया से लगातार 8 टेस्ट मैच हारे।जिसमें खुद भी धोनी ने कोई खासा योगदान नहीं किया था, पर श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष होने के नाते उनकी कप्तानी बनी रही क्योंकि धोनी ,श्रीनिवासन की आईपीएल टीम के कप्तान थे।
इंग्लैंड ने तो भारत को भारत में हराया ,पर श्रीनिवासन की वजह से धोनी बचे रहे।2015 के विश्वकप में भी सी एस के कोटा चला।मैच फिक्सिंग केस में चेन्नई की टीम बैन हुई जिसके कप्तान धोनी थे।सहवाग और गंभीर से धोनी की खुंदक तो जगजाहिर थीमनोज तिवारी ने सहवाग की कप्तानी में शतक लगाया और विकेट लिये ,पर अगले ही मैच में धोनी कप्तान बने और मनोज तिवारी को फिर मौका ही नही मिला।ईश्वर पांडे , एम पी के तेज गेंदबाज का सेलेक्शन हुआ था एक टूर पर ,पर धोनी ने मोहित शर्मा को सीएसके कोटे से प्रोमोट किया ।ईश्वर पांडे बिना खेले लौट आये|
गांगुली और द्रविड़ ने धोनी को बल्लेबाजी क्रम में काफी बार ऊपर भेजा था पर अपनी कप्तानी में धौनी नीचे खेले।आम्रपाली केस ,सुप्रीम कोर्ट में बन्द लिफाफा ,मैच फिक्सिंग ,धोनी के ऊपर छींटे हैं या।अभी किसान आंदोलन में रिहाना के ट्वीट के खिलाफ सचिन ,कोहली सबने पोस्ट किया ,धौनी ने नहीं |ध्यान रहे |रैना ,औऱ बॉलकनी का किस्सा रहने ही दें।
कुल मिलाकर धोनी कप्तान और एकदिवसीय खिलाड़ी बहुत अच्छे रहे पर कंट्रोवर्सी हमेशा उनके साथ रही है|
विराट कोहली
विराट कोहली का अत्यंत आक्रामक व्यवहार ही उनको क्रिकेट ग्रेटस की लाइन में नहीं आने देता।कोहली को काफी सपोर्ट मिला क्योंकि निश्चित तौर पर वो असाधारण बल्लेबाज है।पर कुंबले प्रकरण के बाद कोहली अब सबके निशाने पर रहते हैं।2014 15 की सर्दियों में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर धोनी के अचानक सन्यास लेने के कारण कप्तान बनने से पहले ही विराट भारतीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बन चुके थे।।आईपीएल में बेंगलुरु के कप्तान पहले से थे।कोहली भारत से ज़्यादा ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर मेंटलिटी के लगते हैं|
अनुष्का शर्मा से खुलेआम अफेयर ,फिर शादी ,कोहली इस मामले मे बिंदास थे।रन चेस में हमेशा सफल रहे।टेस्ट में भी आक्रामक कप्तान रहे।मगर कोच अनिल कुंबले से सीधी लड़ाई लेकर कोहली ने अपनी साख गंवाई और उनकी कमियों पर भी लोग सीधे उंगली उठाने लगें|
हिंदुस्तान का कोई भी क्रिकेट कप्तान किसी अंतरराष्ट्रीय खिताबी मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ टॉस जीतकर पहले बैटिंग ही लेगा।पर अपने चेस मास्टर के तमगे से मगरूर कोहली ने 2017 चैंपियन ट्रॉफी फाइनल में पाक के खिलाफ कोच कुंबले की सलाह न मानकर पहले गेंदबाजी का फैसला लिया|
फखर ज़मान ने सैकड़ा बना दिया ,पाक ने 300 से ऊपर का स्कोर बना दिया और भारत रनों का पीछा करने में असमर्थ रहा।कोहली भी नहीं चले।इस मैच के बाद कोहली ने कुंबले को कोच के पद से हटाने की मांग की।कुंबले ने इस्तीफा दिया। चैंपियंस ट्राफी २०१७ का फाइनल बुरी तरह हारने के बाद विराट की पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ हँसते हुए एक फोटो ने आम भारतीय क्रिकेट प्रेमी को गुस्सा दिलाया |
कोहली की पसंद रवि शास्त्री फिर कोच बने।
2018 के दक्षिण अफ्रीका दौरे पर शुरू के 2 मैचों में अपने चहेते राहुल के लिये विदेशी पिचों पर सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से एक रहाणे को हटा दिया।पहले मैच के अच्छे गेंदबाज भुवी को अगले मैच से निकाल दिया।तीसरा टेस्ट मैच कप्तान कोहली तब जीते जब भुवी औऱ रहाणे दोनों खेले ।जसप्रीत बुमराह को तीनो टेस्ट में मौका दिया गया था इस सीरिज में जो भारतीय तेज़ आक्रमण के मुखिया बन कर उभरे |गलत चयन की वजह से अफ्रीका के बाद भारतीय टेस्ट टीम इंग्लैंड में हारी | काउंटी क्रिकेट का अनुभव रखने वाले पुजारा को पहले 2 मैच नहीं खिलाया। असफल ओपनर राहुल को मौके मिलते रहे।ऑस्ट्रेलिया में कोहली की टीम जीती
विराट कुंबले और विराट के टीम चयन
आप गौर करें कि कुंबले के लिए कोहली के मन मे इतनी खटास है कि कुंबले ने कोच रहते जिन प्लेयर्स को मौका दिया था।,कोहली ने उनका करियर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।जयंत यादव 2016 के इंग्लैंड के भारत दौरे पर अच्छे स्पिन आल राउंडर बन के निकले थे, एक1 शतक भी लगाया था ,5 विकेट लिए थे |
जयंत यादव को 17 में पुणे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खराब प्रदर्शन के बाद दूसरा मौका नहीं ।करुण नायर ने 16 में इंग्लैंड के खिलाफ 300 रन मारे , कोहली ने अगले ही मैच में उसे बाहर कर दिया।17 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम मुकाबले में कुलदीप यादव को तब मौका मिला जब कोहली कप्तान नहीं थे
भुवनेश्वर कुमार ,कुलदीप, जयंत यादव ,करुण नायर ,ये सब कुंबले के चहेते खिलाड़ी थे, इसी वजह से बाहर रहे।भुवनेश्वर कुलदीप और ऋषभ पन्त का आत्मविश्वास तोड़ने में कोहली ने कमी न रखी।भुवनेश्वर और पन्त तो अपनी प्रतिभा और आत्मविश्वास से सर्वाइव कर गए, लेकिन अब भुवनेश्वर अपने अतीत की छाया भर रह गए है सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को कर चुके है इसलिए उनका समर्थन नहीं करूँगा | कुलदीप को हौसला रखना होगा |
विराट और रोहित
रोहित और कोहली के मनमुटाव की खबरें ,हकीकत ही प्रतीत हुईं।।जो रोहित आईपीएल में खेल रहे थे, उन्हे ऑस्ट्रेलिया के एकदिवसीय ,टी 20 दौरे से बाहर रखा गया और टेस्ट में तब जोड़ा गया जब रोहित शर्मा ने खुद कहा कि वो फिट है, उनसे किसी ने बात ही नहीं की।
जो कप्तान अभी तक एक भी आईसीसी ट्रॉफी न जीता हो, कोई आईपीएल न जीता हो 10 साल से, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका के जीत सकने वाले दौरे अपनी चयन की गलतियों से हारा हो, अंपायर पर बेजा दबाव बनाता हो, मैं उसे अच्छा कप्तान नहीं मानता।धोनी ,कप्तानी में फिर भी कोहली से अच्छा था।
जो कप्तान अभी तक एक भी आईसीसी ट्रॉफी न जीता हो, कोई आईपीएल न जीता हो 10 साल से, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका के जीत सकने वाले दौरे अपनी चयन की गलतियों से हारा हो, अंपायर पर बेजा दबाव बनाता हो, मैं उसे अच्छा कप्तान नहीं मानता।धोनी ,कप्तानी में फिर भी कोहली से अच्छा था।
सचिन ने असफल होते ही कप्तानी छोड़ दी, अच्छे कप्तान थे भी नहीं , पर एक खिलाड़ी और व्यक्ति के तौर पर समाज मे प्रतिष्ठा अच्छी रही।धोनी एकदिवसीय खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर बहुत अच्छे रहे पर अच्छे टेस्ट खिलाड़ी नहीं थे।कोहली टेस्ट और वनडे ,टी 20 सबके अच्छे खिलाड़ी रहे |
कोहली टेस्ट वनडे टी 20 के अच्छे खिलाड़ी हैं, पर न तो अच्छे कप्तान हैं और समाज मे भी संभ्रांत और मृदुभाषी शिष्ट लोगो मे से नहीं कह सकते। इसीलिए सचिन की फैन फॉलोइंग अभी भी बहुत है|
एक बात का ज़िक्र ज़रूर करूँगा जिससे सचिन और विराट का फर्क समझ आएगा |1996 में जब दक्षिण अफ्रीका की टीम की गेंदबाजी बहुत घातक थी सचिन ने एक मैच में उस टीम के खिलाफ कुल 200 में से 67 रन बनाये थे और लोग कह रहे थे, यार सचिन को क्या हुआ है, ये तो खेल ही नहीं पाता अब | मतलब तब की जनता को सचिन से हर मैच में 100 की उम्मीद रहती थी | आज के युग की जनता समझदार है कि कोहली के 3 साल से शतक न बना पाने पर भी उसको ख़राब खिलाड़ी नहीं मानती |
लेखक-विपुल
(लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के स्वयं के हैं |सर्वाधिकार सुरक्षित )
Exxcricketer.com
Dhoni ka cricket mind bahut achcha tha… isiliye kuchh bdi jeete unke khate mein hai..Sachin toa ofcourse mahan bhi hai aur sajjan bhi lekin kbhi- kbhi lgta tha shatak bnane ko lekar jyada hee cautious the…aakhiri 1.5 saal sauve shatak ke intjar mein gujara…phir bhi great batsman toa the hee..
Kohli ki bs ek khasiyat hai ki chahe team pehle batting kre ya baad mein uske khel mein pressure dikhai nhin deta..baki vo bs stoke player hai…