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लेखक – विपुल

विपुल

भारत में क्रिकेट का इतिहास

भारत में क्रिकेट इतना लोकप्रिय क्यों है ? इसके लिए आपको पहले क्रिकेट का इतिहास जानना चाहिये ! इंग्लैण्ड में सन १६११ में दो पुरुषों को इसलिए जेल हुई क्योंकि वो रविवार को चर्च जाने के बजाए KRECKETT (क्रिकेट ) खेल रहे थे | इंग्लैंड में इस खेल को एक किस्म के जुए के रूप में विकसित किया गया था | सन १६६४ में इंग्लैण्ड में एक जुआ अधिनियम पारित किया गया था जिसमे क्रिकेट में १०० पौंड से ज्यादा दांव लगाने की मनाही की गयी थी |

18 वीं शताब्दी में भारत और वेस्टइण्डीज में क्रिकेट आया था |१७८८ में ऑस्ट्रेलिया में पहुंचा|

न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में १९ वीं शताब्दी में आया |१७५१ में यॉर्कशायर सबसे पहला व्यवस्थित मॉडर्न क्लब बना |१७८७ में एम् सी सी और लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड की शुरुआत हुई |१८४४ में पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच हुआ |१८७७ में टेस्ट मैच शुरू हहुये और १८८२ में प्रतिष्ठित एशेज|

१८८९ में दक्षिण अफ्रीका ने पहला टेस्ट मैच खेल लिया और १८९० में इंग्लैंड में काउंटी चैम्पियनशिप शुरू हो गयी |यहाँ पर भारत कहाँ था ?

रणजी ,दलीप सिंह , पटौदी और बॉडी लाइन

नवा नगर के दसवें जाम साहब रणजीत सिंह रणजी १८८८ में कैम्ब्रिज युनिवेर्सिटी पढने गए थे | सरे की तरफ से पहला मैच खेले |१८९६ में अपने पहले टेस्ट मैच में इंग्लॅण्ड की तरफ से खेले | कुल १५ मैच खेले |मुख्यतया ससेक्स काउंटी के लिए खेले थे | इनके बाद इनके भतीजे दलीप सिंह भी कैम्ब्रिज ,ससेक्स और इंग्लैंड के लिए खेले | कुल 12 टेस्ट मैच दलीप सिंह भी खेले | पटौदी नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी भी इंग्लैंड के लिए टेस्ट मैच खेल लिए १९३० के दशक में | बाद में हालांकि भारत के लिए भी खेले पटौदी |

इफ्तिखार अली खान पटौदी १९३२ ३३ की कुख्यात बॉडी लाइन श्रृंखला में इंग्लैंड की तरफ से सिडनी में पहला टेस्ट खेले थे और शतक भी मारा था (किस किस को पता है ? ) | लेकिन कप्तान डगलस जोरडीन से उनकी बॉडी लाइन रणनीति पर सवाल उठाने पर डगलस जोरडीन ने उनका उपहास किया | उन्हें टेस्ट टीम से निकाल दिया और वो मात्र 6 टेस्ट खेल पाए इंग्लैंड के लिए | बाद में महाराज कुमार विजय नगरम के बाद भारत के तीसरे टेस्ट कप्तान रहे |

लब्बो लुआब ये कि आम जनता की नज़र में क्रिकेट एक शाही खेल था , जिसे अगर उनका बच्चा खेलता तो उन्हें गर्व की अनुभूति होती थी |

बीसीसीआई का गठन

वैसे भारत में क्रिकेट का पहला वर्णन १७२१ में ईस्ट इंडिया कंपनी के लोगो द्वारा बडौदा में क्रिकेट खेलने का मिलता है | १८४५ में सियालदाह में भी एक क्रिकेट मैच होने के विवरण मिलते है और १८४८ में भारत में मुंबई में ओरिएंटल पारसी क्लब भी बना था |

एक बहुत महत्वपूर्ण बात की १८५७ के स्वतंत्रता आन्दोलन के बाद जब ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश सरकार को भारत की सत्ता हस्तांतरित हुई तो प्रारम्भिक कठोर दमन के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारतीय जनता के मन में ब्रिटिश सरकार की अच्छी छवि बनाने के लिए जो बहुत सारे प्रयास किये , क्रिकेट को भारत में प्रोत्साहन भी उनमे से एक था |भारत का आम ग्रामीण इसे एक अच्छा और शाही खेल समझता था , जिसमे किसी को भी मौक़ा मिल सकता था | मैंने खुद एक परिवार में दीवार पर बनी उनके किसी पूर्वज की एक १९०० के आसपास की पेंटिंग देखी है जिसमे वह एक एक लंबा सा अजीबोगरीब बैट पकडे खड़े है बड़ी अकड़ से|

१९०० के शुरू होते होते क्रिकेट भारत में लोकप्रिय होने लगा था |और तत्कालीन राज्यों में विभिन्न क्रिकेट क्लब भी बन चुके थे | जिनका एकीकरण करके दिसम्बर १९२८ में बीसीसीआई का गठन हुआ तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने BCCI के गठन में पर्याप्त रूचि ली थी | आर ई ग्रांट गोवन BCCI के पहले अध्यक्ष और एंथनी डी मेलो पहले सचिव के रूप में के रूप में निर्वाचित हुए |

१९३२ में भारत ने सी के नायडू की कप्तानी में इंग्लैंड से पहला टेस्ट मैच खेला | सी के नायडू भी भारत के एक बड़े रईस घराने से ताल्लुक रखते थे और इनके पिताजी कांग्रेस के महत्वपूर्ण सदस्य भी थे

लाला अमरनाथ और महाराज कुमार विजय नगरम

भारत के दूसरे टेस्ट कप्तान महाराज कुमार विजय नगरम रहे : इनके नाम के साथ लाला अमरनाथ के नाम का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है जो कपूरथला के सामान्य कायस्थ परिवार के थे और आजाद भारत की टेस्ट टीम के पहले कप्तान भी रहे थे | लाला अमरनाथ शायद भारत के सबसे पहले ऐसे क्रिकेटर थे जो जनता में लोकप्रिय थे | १९३३ में इन्होने बम्बई जिमखाना में इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक बनाया था तो जनता पगला गयी थी | बीच मैच में इन्हें फूल मालाये पहनाई गयी | मैच के बाद इन्हें कई घरो से दावत का निमंत्रण मिला था |लेकिन महाराजा विजय नगरम को लाला अमरनाथ अपने गैर राजसी पृष्ठभूमि के कारण नापसंद थे और १९३६ में जब भारतीय टेस्ट टीम इंग्लैंड के दौरे पर गयी थी ,तब महाराज कुमार विजय नगरम ने लाला अमरनाथ को अनुशासनहीनता का आरोप लगा कर घर वापस भेज दिया था | जिसका तब काफी विरोध हुआ था | द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण काफी साल क्रिकेट नहीं हुआ | जब दुबारा क्रिकेट शुरू हुआ तब लाला अमरनाथ स्वतन्त्र भारत के पहले कप्तान बने और विजय हजारे इनके नायब बने |वैसे डॉन ब्रेडमैन केवल एक बार अपने पूरे कैरियर में हिट विकेट आउट हुए हैं और वो आउट लाला अमरनाथ ने ही किया था|

दो विजय का ज़िक्र किये बिना बात पूरी नहीं होगी | विजय मर्चेंट जिनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट में जो ७१ का एवरेज है , वो डॉन ब्रेडमैन के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ है और दूसरे विजय हजारे जो लाला अमरनाथ के बाद कप्तान बने और भारत को १९५२ में बतौर कप्तान पहली जीत दिलवाई |दोनों विजय महाराष्ट्र से आते थे और लाला अमरनाथ से बहुत अछे सम्बन्ध नहीं रखते थे | भारतीय क्रिकेट में मुंबई लॉबी को हावी करने में दोनों विजय (हजारे और मर्चेंट ) का योगदान था और लाला अमरनाथ के बाद जब कपिल देव भारतीय टीम में आये तभी उत्तर भारतीय लॉबी हावी हो पाई |

तो अब इस विषय पर फिर आते है किभारत में क्रिकेट इतना लोकप्रिय क्यों हुआ | कई कारणों में से पहला मुझे समझ आता है कि इसे गोरे साहब लोगो का खेल समझ कर पहले राजा महाराजो नवाबो ने खेलना शुरू किया और चूंकि इस खेल के लिए काफी खिलाडियों की ज़रुरत थी सो उन राजाओ ने अपने नौकरों को सिखाया | एक कारण ये भी था कि राजा लोग फील्डिंग नहीं करते थे | कई अँगरेज़ क्रिकेटरों ने ये बात अपने संस्मरणों में लिखी है | आईपीएल के १०० साल पहले भी अँगरेज़ पैसो के लालच में महाराज को आउट नहीं करते थे और ख़राब फील्डिंग और बोलिंग करते थे |

और आम ग्रामीण भारतीय ये खेल इसलिए खेलना चाहता था कि उसे अमीर और इज्ज़तदार माना जाए |एक भावना शायद अंग्रेजो को उनके ही खेल में पराजित करने की रही होगी | लेकिन एक और बहुत महत्वपूर्ण कारण था कि फ़ुटबाल के बाद शायद ये सबसे सरल खेल लगा भारतीयों को |फुटबाल में केवल एक ग्राउंड और बाल चाहिए | क्रिकेट में केवल बैट बाल | विकेट तो ईंटों का भी हो जाता था और मैदानों की कमी नहीं थी तब | आम भारतीय बच्चे इसे लप्पू डंडा ( प्राचीन भारतीय खेल जिसमे एक खिलाडी गेंद फेंकता है और चार पांच बच्चे अपनी अपनी छड़ी या डंडे से गेंद वापस मारते हैं ) से भी जोड़ कर देखते थे |

जब हिन्दुस्तान में हॉकी अपने चरम पर थी तब भी भारतीय क्रिकेट को बहुत पसंद करते थे | मेरे स्वर्गवासी पिताजी अपने समय में एयरफ़ोर्स की हॉकी टीम में गोलकीपर थे और तब वो बताते थे कि मेरे दादाजी इस बात के लिए उन्हें डांटते थे कि वो क्रिकेट टीम में क्यों नहीं है ?वीनू मांकड़ बहुत लोकप्रिय थे तब |जब अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत विंडीज और इंग्लैंड में जीती और सुनील गावस्कर उभरे ,तब तक क्रिकेट दुसरे खेलो को भारत में पीछे छोड़ चूका था और कपिल देव की १९८३ में विश्व कप विजय ने भारत में क्रिकेट को लोकप्रियता के चरम पे ला दिया और अभी भी भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय है लेकिन अब क्रिकेटरों की आईपीएल और अन्य स्रोतों से मोटी कमाई भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है और अब युवाओं के लिए क्रिकेट रोज़गार कमाने का एक साधन भी है |

लेखक-विपुल

विपुल

(लेख में वर्णित विचार लेखक के स्वयं के हैं सर्वाधिकार सुरक्षित )

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